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तारीखों ने बढ़ाई बेचैनी, UPSC की बैठक में हुई एक दिन की देरी तो डीएस चौहान का डीजीपी बनना होगा मुश्किल

यूपीएससी ने योगी सरकार से मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से हटाए जाने का कारण पूछा था. इसके चलते सरकार ने रविवार को जवाब तैयार कर लिया था. कयास लगाए जा रहे हैं कि सोमवार को सरकार जवाब भेज सकती है. हालांकि, जवाब में सरकार ने मुकुल गोयल की डीजीपी बनने से पहले की कमियों पर ही जोर दिया.

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डीएस चौहान का डीजीपी बनना मुश्किल
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Published : Sep 26, 2022, 2:23 PM IST

लखनऊ: यूपी के स्थायी डीजीपी के लिए पेंच फंसता जा रहा है. यूपीएससी के सवाल पर सरकार घिर चुकी है और सिर्फ मुकुल गोयल की कमियों को छोड़कर कोई अन्य जवाब अब तक नहीं तलाश पाई है. वहीं, दूसरी ओर हर एक दिन की देरी मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान के लिए स्थायी डीजीपी बनने की राह में मुश्किलें खड़ी कर रही है. माना जा रहा है कि यदि अगले 5 दिनों में यूपीएससी ने डीजीपी के लिए नाम तय नहीं किए तो डीएस चौहान का डीजीपी बनना मुश्किल होगा. उनका 6 महीनों से कम कार्यकाल बचा होने के कारण कमेटी नाम पर चर्चा नहीं करेगी.

यूपीएससी ने योगी सरकार से मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से हटाए जाने का कारण पूछा था. इसके चलते सरकार ने रविवार को जवाब तैयार कर लिया था. कयास लगाए जा रहे हैं कि सोमवार को सरकार जवाब भेज सकती है. हालांकि, जवाब में सरकार ने मुकुल गोयल की डीजीपी बनने से पहले की कमियों पर ही जोर दिया है. अब यह यूपीएससी पर निर्भर करता है कि वह मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से 2 वर्ष पूरा होने से पहले हटाए जाने के फैसले के राज्य सरकार के जवाब से संतुष्ट होगा कि नहीं. क्योंकि, आयोग की संतुष्टी ही मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान को स्थायी डीजीपी बनने की राह आसान कर सकती है.

यूपी सरकार द्वारा भेजे जाने वाले जवाब पर यदि आयोग संतुस्ट होता है तो डीजीपी के लिए भेजे जाने वाले पैनल से जीएल मीणा और आरपी सिंह कार्यकाल 6 माह से कम बचा होने के कारण रेस से बाहर हो जाएंगे. इससे डीएस चौहान की राह आसान हो जाएगी. लेकिन, आयोग डीजीपी के नाम को तय करने के लिए अगली बैठक के लिए 30 सितंबर के बाद की तारीख तय करता है और उसी तरीख को डीजीपी के चयन का आधार मानता है. तो ऐसी स्थिति में डीएस चौहान के पूर्णकालिक डीजीपी बनने की राह मुश्किल हो जाएगी. यही नहीं कमेटी अगर डीजीपी की कुर्सी खाली होनी की तारीख को भी आधार मानती है तब भी डीएस चौहान की राह मुश्किल ही रहेगी. इस हिसाब से चौहान से 3 अधिकारी वरिस्ठ होंगे और पैनल उन्हीं तीन नाम को सरकार के पास भेजेगी.

इसे भी पढ़े-मुकुल गोयल को लेकर यूपीएससी योगी सरकार में तकरार, सरकार ने कहा- नहीं थे डीजीपी के लायक

यूपीएससी को जवाब देने के लिए सरकार ने मुकुल गोयल की सर्विस के दौरान उनकी विफलताओं का ब्योरा तैयार किया है. इसमें सहारनपुर में तैनाती के दौरान निलंबन, भर्ती घोटाले में नाम आने और मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान लापरवाही बरतने तक 13 कमियों का ब्योरा बनाया गया है. हालांकी, इन बिन्दुओं को यूपीएससी 29 जून 2021 में देख चुका है, जब मुकुल गोयल का नाम पैनल में भेजा गया था. कमेटी को यह जानना है कि मुकुल गोयल के डीजीपी बनने के बाद कौन-कौन सी घटनाएं घटी हैं और भ्रष्टाचार का कौन सा मामला सामने आया है.


यह भी पढ़े-सीएम योगी ने DGP मुकुल गोयल को हटाया, नए डीजीपी की नियुक्ति तक ADG लॉ एंड आर्डर संभालेंगे कार्यभार

लखनऊ: यूपी के स्थायी डीजीपी के लिए पेंच फंसता जा रहा है. यूपीएससी के सवाल पर सरकार घिर चुकी है और सिर्फ मुकुल गोयल की कमियों को छोड़कर कोई अन्य जवाब अब तक नहीं तलाश पाई है. वहीं, दूसरी ओर हर एक दिन की देरी मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान के लिए स्थायी डीजीपी बनने की राह में मुश्किलें खड़ी कर रही है. माना जा रहा है कि यदि अगले 5 दिनों में यूपीएससी ने डीजीपी के लिए नाम तय नहीं किए तो डीएस चौहान का डीजीपी बनना मुश्किल होगा. उनका 6 महीनों से कम कार्यकाल बचा होने के कारण कमेटी नाम पर चर्चा नहीं करेगी.

यूपीएससी ने योगी सरकार से मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से हटाए जाने का कारण पूछा था. इसके चलते सरकार ने रविवार को जवाब तैयार कर लिया था. कयास लगाए जा रहे हैं कि सोमवार को सरकार जवाब भेज सकती है. हालांकि, जवाब में सरकार ने मुकुल गोयल की डीजीपी बनने से पहले की कमियों पर ही जोर दिया है. अब यह यूपीएससी पर निर्भर करता है कि वह मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से 2 वर्ष पूरा होने से पहले हटाए जाने के फैसले के राज्य सरकार के जवाब से संतुष्ट होगा कि नहीं. क्योंकि, आयोग की संतुष्टी ही मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान को स्थायी डीजीपी बनने की राह आसान कर सकती है.

यूपी सरकार द्वारा भेजे जाने वाले जवाब पर यदि आयोग संतुस्ट होता है तो डीजीपी के लिए भेजे जाने वाले पैनल से जीएल मीणा और आरपी सिंह कार्यकाल 6 माह से कम बचा होने के कारण रेस से बाहर हो जाएंगे. इससे डीएस चौहान की राह आसान हो जाएगी. लेकिन, आयोग डीजीपी के नाम को तय करने के लिए अगली बैठक के लिए 30 सितंबर के बाद की तारीख तय करता है और उसी तरीख को डीजीपी के चयन का आधार मानता है. तो ऐसी स्थिति में डीएस चौहान के पूर्णकालिक डीजीपी बनने की राह मुश्किल हो जाएगी. यही नहीं कमेटी अगर डीजीपी की कुर्सी खाली होनी की तारीख को भी आधार मानती है तब भी डीएस चौहान की राह मुश्किल ही रहेगी. इस हिसाब से चौहान से 3 अधिकारी वरिस्ठ होंगे और पैनल उन्हीं तीन नाम को सरकार के पास भेजेगी.

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यूपीएससी को जवाब देने के लिए सरकार ने मुकुल गोयल की सर्विस के दौरान उनकी विफलताओं का ब्योरा तैयार किया है. इसमें सहारनपुर में तैनाती के दौरान निलंबन, भर्ती घोटाले में नाम आने और मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान लापरवाही बरतने तक 13 कमियों का ब्योरा बनाया गया है. हालांकी, इन बिन्दुओं को यूपीएससी 29 जून 2021 में देख चुका है, जब मुकुल गोयल का नाम पैनल में भेजा गया था. कमेटी को यह जानना है कि मुकुल गोयल के डीजीपी बनने के बाद कौन-कौन सी घटनाएं घटी हैं और भ्रष्टाचार का कौन सा मामला सामने आया है.


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