लखनऊ : प्रदेशवासियों को जल्द ही बढ़ी हुई बिजली दरों का जोरदार झटका लग सकता है. उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने राज्य विद्युत नियामक आयोग (State Electricity Regulatory Commission) को दरें बढ़ाने का प्रस्ताव सौंपा है. इस प्रस्ताव में सबसे ज्यादा भार घरेलू उपभोक्ताओं पर पड़ने की संभावना है. साल 2023-24 के लिए बिजली दरों में औसतन 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है. घरेलू कैटेगरी की दरों में 18 से 23 प्रतिशत बढ़ोतरी की बात की गई है. इतना ही नहीं पावर काॅरपोरेशन ने नियामक आयोग को फिक्स चार्ज ₹110 से बढ़ाकर ₹120 करने का भी प्रस्ताव सौंपा है.
पावर काॅरपोरेशन की तरफ से सौंपे गए बिजली दरों के प्रस्ताव में उद्योगों की दरों में 16 प्रतिशत, कृषि की दरों में 10 प्रतिशत और कमर्शियल दरों में 12 फीसद तक की बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है. इतना ही नहीं एक किलोवाट से कम लोड वाले उपभोक्ताओं की भी बिजली महंगी हो सकती है. इसकी दरों में 17 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव पावर काॅरपोरेशन की तरफ से दिया गया है. अगर यह प्रस्ताव स्वीकार होता है तो बिजली कंपनियों को इस वित्त वर्ष की तुलना में अगले वर्ष करीब 9140 करोड़ रुपए का ज्यादा राजस्व वसूल होगा. इस साल के बिल के जरिए करीब 65 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की मंजूरी मिली है. पावर काॅरपोरेशन का अंदाजा है कि इस साल उसे करीब 134751 मिलियन यूनिट बिजली की भी आवश्यकता पड़ेगी. 2022-23 में यह आंकड़ा 116069 मिलियन यूनिट था.
पावर काॅरपोरेशन के अधिकारी बताते हैं कि 'बिजली कंपनियों ने अपने प्रस्ताव में कुल खर्चों के लिए 92547 करोड़ रुपए की वार्षिक राजस्व आवश्यकता बताई है. लाइन लाॅस 14.90 परसेंट दिखाया गया है. कुल खर्च और राजस्व में तकरीबन 9140 करोड़ रुपए का घाटा दर्शाया गया है. इस घाटे को पूरा करने के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव सौंपा गया है.'
बिजली कंपनियों की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में सौंपे गए बिजली दरों के प्रस्ताव का उपभोक्ता परिषद पुरजोर विरोध करेगा. इसके लिए उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने अपनी तैयारी कर ली है.
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