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यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला: कपिल व धीरज वधावन के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर लिया संज्ञान

सीबीआई के विशेष जज ने यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला मामले में संज्ञान लिया है. इस मामले में डीएचएफएल कम्पनी और इसके प्रमोटर कपिल वधावन व धीरज वधावन के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है.

यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला
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Published : Sep 20, 2022, 9:23 AM IST

लखनऊ: सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला मामले में डीएचएफएल कम्पनी और इसके प्रमोटर कपिल वधावन व धीरज वधावन के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लिया है. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन अक्टूबर की तारीख तय की है. सोमवार को दोनों अभियुक्त दिल्ली के तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित रहे.

विगत 26 मई को दोनों अभियुक्तों को इस मामले में न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था. उल्लेखनीय है कि 2 नवम्बर 2019 को इस मामले की एफआईआर वर्तमान सचिव ट्रस्ट आईएम कौशल ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. इसकी विवेचना ईओडब्ल्यू ने की. उसने इस मामले में यूपीपीसीएल के तत्कालीन आला अधिकारियों सहित 17 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था.

पांच मार्च 2020 को इस मामले की विवेचना सीबीआई को सौंप दी गई. विवेचना के पश्चात सीबीआई ने वधावन बंधु और इनकी कम्पनी डीएचएफएल के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी सपठित धारा 420, 409, 467, 468, 471 व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया. इसके मुताबिक, अभियुक्तों ने डीएचएफएल की कूटरचित बैलेंस सीट व वित्तीय स्टेटमेंट दाखिल कर ट्रिपल-ए की रेटिंग प्राप्त की.

यह भी पढ़ें: सपा नेता आजम खान और बेटे अब्दुल्ला समेत 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज

इस मामले के अन्य अभियुक्तों के साथ आपराधिक षडयंत्र के तहत नियम विरुद्ध तरीके से यूपीपीसीएल के कुल 42 हजार कर्मचारियों का सीपीएफ और जीपीएफ की रकम अपनी कम्पनी में निवेश कराई. 17 मार्च 2017 से 17 दिसंबर 2018 के मध्य कुल चार हजार 122 करोड़ 70 लाख का निवेश कराते हुए लाभ प्राप्त किया. इससे यूपीपीसीएल को दो हजार 267 करोड़ 90 लाख की आर्थिक क्षति भी हुई.

लखनऊ: सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला मामले में डीएचएफएल कम्पनी और इसके प्रमोटर कपिल वधावन व धीरज वधावन के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लिया है. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन अक्टूबर की तारीख तय की है. सोमवार को दोनों अभियुक्त दिल्ली के तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित रहे.

विगत 26 मई को दोनों अभियुक्तों को इस मामले में न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था. उल्लेखनीय है कि 2 नवम्बर 2019 को इस मामले की एफआईआर वर्तमान सचिव ट्रस्ट आईएम कौशल ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. इसकी विवेचना ईओडब्ल्यू ने की. उसने इस मामले में यूपीपीसीएल के तत्कालीन आला अधिकारियों सहित 17 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था.

पांच मार्च 2020 को इस मामले की विवेचना सीबीआई को सौंप दी गई. विवेचना के पश्चात सीबीआई ने वधावन बंधु और इनकी कम्पनी डीएचएफएल के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी सपठित धारा 420, 409, 467, 468, 471 व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया. इसके मुताबिक, अभियुक्तों ने डीएचएफएल की कूटरचित बैलेंस सीट व वित्तीय स्टेटमेंट दाखिल कर ट्रिपल-ए की रेटिंग प्राप्त की.

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इस मामले के अन्य अभियुक्तों के साथ आपराधिक षडयंत्र के तहत नियम विरुद्ध तरीके से यूपीपीसीएल के कुल 42 हजार कर्मचारियों का सीपीएफ और जीपीएफ की रकम अपनी कम्पनी में निवेश कराई. 17 मार्च 2017 से 17 दिसंबर 2018 के मध्य कुल चार हजार 122 करोड़ 70 लाख का निवेश कराते हुए लाभ प्राप्त किया. इससे यूपीपीसीएल को दो हजार 267 करोड़ 90 लाख की आर्थिक क्षति भी हुई.

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