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UPPCL पीएफ घोटाला: सीबीआई को हाईकोर्ट से झटका, अभियुक्त मनोज अग्रवाल को भी मिली जमानत

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Published : Jul 26, 2021, 10:25 PM IST

उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) पीएफ घोटाला मामले के एक और अभियुक्त की जमानत याचिका हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंजूर कर लिया है.

यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला
यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) पीएफ घोटाला मामले में सीबीआई को एक बार फिर से झटका लगा है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले के एक और अभियुक्त मनोज अग्रवाल की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है. कुछ दिनों पहले इस मामले के मुख्य अभियुक्त पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा को भी हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की एकल पीठ ने मनोज अग्रवाल की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया. याची की ओर से दलील दी गई कि वह इस मामले में 7 दिसम्बर 2019 से ही जेल में है. उस पर दो फर्जी कम्पनियां बनाकर कर्मचारियों के पीएफ फंड का पैसा निवेश कराने के बदले में, उक्त कम्पनियों के खाते में चार करोड़ रुपये का कमीशन प्राप्त करने का आरोप है.

याची के अधिवक्ता राघवेंद्र पांडेय ने दलील दी कि याची स्वयं धोखाधड़ी और साजिश का पीड़ित है. सीए इशांत अग्रवाल और ललित गोयल ने उसे इस मामले में फंसाया है. वह चांदनी चौक में साड़ी की दुकान में नौकरी करता है और उसने किसी फर्म के दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. यह भी दलील दी गई कि सीबीआई अब तक मामले की विवेचना पूरी नहीं कर सकी है.

इसे भी पढ़ें- टिकैत के बयान पर BJP की चेतावनी! कहा- यूपी में योगी सरकार है, उपद्रव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

अब तक इस मामले में मुख्य अभियुक्त एपी मिश्रा समेत सह-अभियुक्त अमित प्रकाश, इशांत अग्रवाल, संजय कुमार, अभिनव गुप्ता व विकास चावला को जमानत मिल चुकी है. लिहाजा उसे भी समानता का लाभ मिलना चाहिए. न्यायालय ने सभी तथ्यों पर गौर करने के उपरांत मनोज अग्रवाल को भी सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) पीएफ घोटाला मामले में सीबीआई को एक बार फिर से झटका लगा है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले के एक और अभियुक्त मनोज अग्रवाल की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है. कुछ दिनों पहले इस मामले के मुख्य अभियुक्त पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा को भी हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की एकल पीठ ने मनोज अग्रवाल की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया. याची की ओर से दलील दी गई कि वह इस मामले में 7 दिसम्बर 2019 से ही जेल में है. उस पर दो फर्जी कम्पनियां बनाकर कर्मचारियों के पीएफ फंड का पैसा निवेश कराने के बदले में, उक्त कम्पनियों के खाते में चार करोड़ रुपये का कमीशन प्राप्त करने का आरोप है.

याची के अधिवक्ता राघवेंद्र पांडेय ने दलील दी कि याची स्वयं धोखाधड़ी और साजिश का पीड़ित है. सीए इशांत अग्रवाल और ललित गोयल ने उसे इस मामले में फंसाया है. वह चांदनी चौक में साड़ी की दुकान में नौकरी करता है और उसने किसी फर्म के दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. यह भी दलील दी गई कि सीबीआई अब तक मामले की विवेचना पूरी नहीं कर सकी है.

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अब तक इस मामले में मुख्य अभियुक्त एपी मिश्रा समेत सह-अभियुक्त अमित प्रकाश, इशांत अग्रवाल, संजय कुमार, अभिनव गुप्ता व विकास चावला को जमानत मिल चुकी है. लिहाजा उसे भी समानता का लाभ मिलना चाहिए. न्यायालय ने सभी तथ्यों पर गौर करने के उपरांत मनोज अग्रवाल को भी सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

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