लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन (UPPCL) की तरफ से उठाए गए हालिया कदम के बाद अब पीक आवर्स में बिजली सप्लाई करनी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा. कारपोरेशन ने पावर एक्सचेंज से बिजली खरीदने की अधिकतम दर 7 रुपये निर्धारित कर दी है. इस निर्णय के बाद पीक आवर्स में बिजली मुहैया कराने में प्रबंधन को पसीना आने लगा है. शाम 7 बजे से रात 11 बजे के बीच उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग उपलब्धता के मुकाबले अधिक होने लगी है.
प्रबंधन के पास वर्तमान उपलब्धता के मुकाबले 1000 मेगावाट बिजली अभी भी कम पड़ रही है, जिसे पूरा करना मुश्किल हो रहा है. उस पर अब 7 रुपये से ऊपर बिजली खरीद नहीं की जा सकती. ऐसे में अब तहसील के मुताबिक आधा घंटे बिजली कटौती शुरू कर दी गई है.
विभागीय अधिकारी बताते हैं कि मांग बढ़ने पर पावर एक्सचेंज पर कंपनियां 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बेच रही हैं. जबकि प्रदेश में खरीद की अधिकतम दर 7 रुपये होने के कारण पीक आवर्स में बिजली खरीदने में भी दिक्कत आने लगी है. हालांकि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज कहते हैं कि राज्य में अभी बिजली की कोई समस्या नहीं है. शाम 7 से 11 बजे के बीच डिमांड ज्यादा है. उत्तर प्रदेश के पास अपनी बिजली और अनुबंध के तहत मिलने वाली 20,000 मेगावाट बिजली उपलब्ध है. आगे के लिए बिजली आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए प्लान तैयार किया जा रहा है. पूरी कोशिश की जाएगी कि उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति में किसी तरह की कोई दिक्कत न आने पाए.
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उत्तर प्रदेश स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने रविवार को जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में तय शेड्यूल 18 घंटे की जगह 17 घंटे 32 मिनट और तहसील स्तर पर 21 घंटे 30 मिनट के बजाय 21 घंटे 7 मिनट बिजली सप्लाई की जा रही है. करीब 30 मिनट की कटौती ग्रामीण और तहसील स्तर पर बिजली विभाग की तरफ से की गई है. बुंदेलखंड क्षेत्र में भी करीब 30 मिनट बिजली कटौती की गई है.
डिस्पैच सेंटर की तरफ से शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक रात 8 बजे उत्तर प्रदेश में बिजली की अधिकतम मांग 20,806 मेगावाट थी. जबकि राज्य के पास बिजली की कुल उपलब्धता 20,636 मेगावाट रही. 170 मेगावाट बिजली की डिमांड उपलब्धता के मुकाबले ज्यादा थी. ऐसे में कहा जा सकता है कि गर्मी बढ़ेगी तो बिजली सप्लाई करने में उपलब्धता के आधार पर दिक्कत भी आएगी.
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