लखनऊ: साल 2023 की वो शख्सियतें जो सुर्खियों में रहीं उनमें सबसे पहला नाम मथुरा के प्रेमानंद महाराज का आता है, जो देशभर में आध्यात्मिक शक्ति का सूत्रपात करते नजर आए. फिर कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह आते हैं, जो पहलवानों से विवाद में पूरे देश के लिए चर्चा का विषय बने रहे. पुलिस कस्टडी में हुई हत्या के बाद अतीक और अशरफ की पूरे देश ने बात की. अपनी हिंदू और ब्राह्मण विरोधी छवि को लेकर विवादों में रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने केवल विपक्ष का ही नहीं बल्कि अपनों का भी विरोध झेला. इसी तरह से यूपी की राजनीति से लेकर अन्य गतिविधियों में कुछ खास नाम पूरे साल चर्चा में बने रहे.
प्रेमानंद महाराज : पिछले वर्ष की सर्दी में भारतीय क्रिकेट टीम के सितारे विराट कोहली जब अपनी अभिनेत्री पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ मथुरा में संत प्रेमानंद के आश्रम में पहुंचे और वहां उनके दर्शन किए उसके बाद से ही सोशल मीडिया से लेकर आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रेमानंद महाराज का चर्चा आम हो गया. पहले भी हजारों की संख्या में लोग उनके दर्शन के लिए जाते थे. मगर, विराट कोहली के जाने के बाद यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ी. इंटरनेट पर उनके वीडियो इतनी तेजी से वायरल हुए कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और बांके बिहारी मंदिर के बाद में सबसे अधिक अगर लोग कहीं जाना चाह रहे थे तो वह प्रेमानंद महाराज के आश्रम में. बड़े-बड़े नेता मंत्री, जज, फिल्म स्टार और आम लोगों का तांता उनके आश्रम में रात 1:30 बजे से ही लगना शुरू हो जाता है. इसी वजह से साल 2023 में प्रेमानंद महाराज उत्तर प्रदेश की खास शख्सियतों में बने रहे.
बृजभूषण शरण सिंह : अखिल भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और कैसरगंज से सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) कुश्ती संघ को लेकर लगातार विवादों और चर्चाओं में बने रहे. पहलवानों ने बाकायदा बड़ा आंदोलन उनके खिलाफ छेड़ दिया था. अनेक महिला पहलवान ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जमकर धरना प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद में पूरा प्रकरण अदालत में गया. जहां से बृजभूषण शरण सिंह को राहत मिली. पहलवान एशियाड में गए जहां प्रदर्शन खराब रहा. लंबे समय से निलंबित चल रहे कुश्ती महासंघ का नए सिरे से चुनाव हुआ. बृजभूषण के नजदीकी संजय सिंह ने अध्यक्ष पद पर शानदार जीत हासिल की. मगर इसके बाद केंद्रीय खेल मंत्रालय ने इस मामले मेंसंघ को निलंबित कर दिया. इस पूरे प्रकरण में पूरे साल बृजभूषण शरण सिंह पक्ष और विपक्ष के बीच में राष्ट्रीय स्तर के चरित्र बने रहे जिन पर राजनीतिक तमाशे होते रहे.
स्वामी प्रसाद मौर्य : स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) समाजवादी पार्टी में साल 2022 में शामिल हुए थे. बाद में उनको एमएलसी बनाया गया. मगर पिछले करीब सात आठ महीने से स्वामी प्रसाद मौर्य अपने हिंदू विरोधी बयानों को लेकर न केवल विवादों में रहे हैं बल्कि उन्होंने अपनी समाजवादी पार्टी को भी निशब्द कर दिया. पार्टी के भीतर से ही उनका विरोध शुरू हो गया है. दो दिन पहले दिल्ली में जंतर मंतर पर उन्होंने अपने सम्बोधन में हिंदू धर्म को धोखा करार दे दिया था. जिसके बाद सपा के अनेक नेता उनके विरोध में खडे़ हो गए हैं.
अतीक और अशरफ : माफिया सरगना अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और उसका भाई अशरफ (Ashraf) की पुलिस कस्टडी में हुई हत्या पूरे देश में चर्चा का बन गई. राजू पाल हत्याकांड (Raju Pal Murder case) के गवाह उमेश पाल (Umesh Pal Murder Case) की प्रयागराज में दिनदहाड़े हुई हत्या के बाद अतीक और अशरफ यूपी पुलिस के निशाने पर थे. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने विधानसभा में कहा था कि जिस माफिया ने यह किया है उसको हम मिट्टी में मिला देंगे. अतीक के बेटे की यूपी पुलिस के साथ एनकाउंटर में मौत हो गई थी. जबकि अतीक को अहमदाबाद जेल से यूपी ट्रांसफर किया गया था. इसी दौरान मेडिकल जांच के मामले में जब एक रोज प्रयागराज में उसको लाया जा रहा था तब दो हमलावरों ने पत्रकार का वेष धरके उसकी हत्या कर दी. इस घटना को इतिहास में याद रखा जाएगा और साल 2023 की सबसे बड़ी घटनाओं में से यह एक रही.
ओमप्रकाश राजभरः 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Brij Bhushan Sharan Singh) ने इस साल जुलाई में दोबारा उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के साथ एक बार फिर गठबंधन किया. एनडीए में वापसी करके राजभर ने सियासी सुर्खियां बटोरीं. प्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल होने के मुहूर्त बताते रहे, लेकिन अरमान पूरे न हो सके. उनके मंत्री न बनना भी यूपी की बड़ी घटनाओं में से एक माना जा रहा है.
दारा सिंह चौहानः पूर्वांचल के नोनिया चौहान समाज को साधने के लिए भाजपा ने सपा विधायक दारा सिंह चौहान को अपने साथ करने में कामयाबी हासिल की. दारा सिंह सपा से घोसी विधानसभा सीट से विधायक थे. लेकिन, जब इस सीट पर उपचुनाव हुआ तो योगी सरकार और भाजपा संगठन की पूरी शक्ति के बाद भी दारा सिंह का दांव उलटा पड़ गया. ओमप्रकाश राजभर ने उनके मंत्री बनने का भी जोर शोर से प्रचार किया. लेकिन, उनका भी इंतजार खत्म नहीं हुआ और साल 2023 जाने को है.
आकाश आनंदः बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी इस साल घोषित कर दिया है. उनका जन्म 1995 में नोएडा में हुआ. नोएडा और गुरुग्राम से स्कूली शिक्षा हासिल की. इसके बाद उन्होंने वर्ष 2013 से 2016 में लंदन की यूनिवर्सिटी ऑफ प्लाईमाउथ से एमबीए किया. भारत आने पर उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू किया और पिता के काम को भी संभाला. आकाश ने कई बड़ी कंपनियों के साथ काम भी किया. इसके साथ ही आनंद ने राजनीति में आने का फैसला लिया. आकाश पिछले कई सालों से पार्टी में एक्टिव हैं. उनको मायावती ने हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी थी. जिसमें उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया और पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ाया. राजस्थान में सीट जीतने में भी सफलता हासिल की. इसी साल आकाश की शादी एक राजनीतिक परिवार की बेटी से हुई है. उन्होंने बसपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉ. प्रज्ञा से शादी की है. उनके भी राजनीति में आने की चर्चाएं जोर-शोर से चल रही हैं.
रामदुलार गोंडः सोनभद्र की दुद्धि विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक राम दुलार गोंड को नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में 25 साल कैद की सजा हुई है. कोर्ट ने गोंड को दुष्कर्म का दोषी करार देते हुए ये कड़ी सजा सुनाई. साल 2023 में किसी राजनीतिक शख्सियत को इतनी कड़ी सजा मिली. यही कारण है कि साल 2023 इतिहास में बड़ी और कड़ी सजा के लिए भी जाना जाएगा.
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