लखनऊ: यूपी एसटीएफ ने सरकारी विभागों में डायरेक्टर और बोर्ड चैयरमैन बनवाने व एनजीओ में फंड दिलवाने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया है. ये गिरफ्तारी लखनऊ से यूपी एसटीएफ ने की है. गिरोह का मास्टरमाइंड अपने एक साथी को मुख्यमंत्री का विशेष सचिव बनाते थे और शिकार को फंसा उसे से मिलवा कर ठगी करते थे.
एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि शुक्रवार रात ठगी करने वाले इस गिरोह के मास्टरमाइंड विकास यादव, आशीष भारद्वाज, गगन पांडे, नवीन कुमार और अमित तिवारी को लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी से गिरफ्तार किया है. ये सभी आरोपी अलग अलग केंद्रीय व राज्य के मंत्रालयों मे डायरेक्टर, बोर्ड में चेयरमैन बनवाने, सरकारी विभागों मे नौकरी, एनजीओ और विद्यालयों में फण्ड दिलाने व ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने का झांसा देकर करोड़ों रूपयों की ठगी करते थे.
पूछताछ में गिरोह के मास्टरमाइंड विकास यादव ने बताया गया कि वह आरएमएसएस का राष्ट्रीय अध्यक्ष है. उसकी संस्था में अन्य आरोपी अमित तिवारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. उसने ये संस्था लोगों पर प्रभाव दिखाने के लिए बनाया है। विकास के मुताबिक, अपने साथी गगन पाण्डेय का वह परिचय विशेष सचिव मुख्यमंत्री के रूप में लोगों से कराते थे. वर्ष 2020 में इन लोगो द्वारा भारतीय रेलवे मे ग्रुप सी व डी में भर्ती कराने का झांसा देकर लगभग 20 लड़को से दो करोड़ रूपये लेकर फर्जी तरीके से फार्म भरकर उनका मेडिकल कराकर फर्जी ज्वाइनिंग लेटर दिया गया. उस समय गिरोह में सुमन सिंह व विजय सिंह भी शामिल थे. इस मामले में अभ्यर्थी ने इटावा के थाना फ्रेन्डस कालोनी में मुकदमा दर्ज कराया था.
आरोपी ने बताया कि इन लोगों द्वारा मंडी परिषद, एमटीएस, आरओ, वीडियो, यूपीपीसीएल, गन्ना संस्थान, दुग्ध विभाग, रेवेन्यू बोर्ड, कम्प्यूटर आपरेटर, एफसीआई समेत कई विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर सैकडों बेरोजगार युवक युवतियों से व विभिन्न लोगों से मंत्रालय में डायरेक्टर बनवाने, विभिन्न बोर्डो में चेयरमैन बनवाने, अलग अलग विभागों में ठेका दिलाने, ट्रान्ससफर पोस्टिंग कराने, एनजीओ व विद्यालयों को फन्ड दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी की गई है. कूटरचित दस्तावेज बनाकर, लोगों का भरोसा हासिल कर अपने व अपने परिचितो के बैंक खातों पैसा लेते थे.
आरोपी ने बताया कि इसके अलावा कई मैन पावर सप्लाई कम्पनियों में फैजान अली सिद्दीकी के माध्यम से विभिन्न सरकारी विभागों में संविदा पर कर्मचारी का चयन कराने के लिए 6 से 8 महीने की सैलरी एडवांस में ली जाती है, जिसे हम लोग व सम्बन्धित कम्पनी आपस में बांट लेते थे.