लखनऊ: धर्मांतरण को लेकर इन दिनों यूपी सहित पूरे देश की सियायत गर्म है. ऐसे में यूपी राज्य महिला आयोग(up state women commission) की अध्यक्ष विमला बॉथम(vimala batham) ने जबरन धर्म परिवर्तन की शिकार हुई महिलाओं से अपने धर्म में वापसी की अपील की है. ईटीवी भारत के संवाददाता से बात करते हुए विमला बाथम ने कहा, धर्मांतरण को लेकर प्रदेश में कानून(law on conversion) बनाया गया है. जिन्होंने जबरन किसी का धर्मांतरण (conversion) कराया है, ऐसे अपराधियों को कानूनी कार्रवाई के तहत सजा दी जाएगी. विमला बॉथम(vimala batham) ने कहा महिलाओं को वापस उनके धर्म में लाने के लिए महिला आयोग पूरी तरह से कार्य कर रहा है. हमारे पास अगर ऐसा कोई केस आता है तो हम उसे गंभीरता से लेंगे.
'अपराधी को नहीं छोड़ा जाएगा, सरकार है सख्त'
महिला आयोग (women commission) की अध्यक्ष विमला बॉथम ने एक सवाल के जवाब में बताया कि यूपी में छेड़छाड़ से संबंधित जो भी मामले होते हैं, उन्हें गंभीरता के साथ लिया जाता है. ऐसे मामलों नें अच्छी तरह से सुनवाई की जाती है ताकि किसी भी महिला के साथ नाइंसाफी न हो सके. अगर कोई महिला शिकायत लेकर आयोग के पास आती है तो दोनों पक्षों को बुलाकर दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद ही कोई फैसला लिया जाता है.
'जबरन धर्म परिवर्तन कराना गलत'
धर्मांतरण (conversion) के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जबरन किसी का धर्म परिवर्तन कराना बेहद गलत बात है. किसी को यह हक नहीं है कि कोई किसी का जबर्दस्ती, अवैध तरीके से किसी का धर्म परिवर्तन कराएं. अगर महिलाएं इसकी शिकार हुई हैं तो उन्हें अपने धर्म में वापस आना चाहिए, हम उनके साथ हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार बहुत सख्त है किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा. अगर किसी ने महिलाओं से संबंधित कोई भी अपराध किया है, चाहे वह जबरन धर्म परिवर्तन का हो या फिर छेड़छाड़ का हो, हर आरोपी को सजा दी जाएगी.
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'कोरोना काल में बढ़ गए थे घरेलू हिंसा के मामले'
कोरोना काल में महिला संबंधी मामलों में बढ़ोतरी के सवाल पर यूपी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बॉथम ने बताया कि कोरोना काल में घरेलू हिंसा के मामलों(domestic violence cases) में कुछ तेजी आई थी. इसका एक कारण यह भी था कि लॉकडाउन के दौरान पति-पत्नी 24 घंटे एक-दूसरे के साथ ही थे, जिसकी वजह से दोनों को एक-दूसरे की कमियां दिखने लगी थीं. यही कारण था कि लॉकडाउन (lockdown) के दौरान पति-पत्नी में नोकझोंक बढ़ गई थी. इसके अलावा भी कोरोना काल में हर वर्ग के लोगों ने दिक्कतों का सामना किया था, लोग आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान थे. कोरोना महामारी में लॉकडाउन लगने के कारण लोगों के पास खाने के लिए खाना नहीं था, रोजगार नहीं था, जिसकी वजह से लोग परेशान भी थे. यही वजह थी कि लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के मामलों में अपराध बढ़ गया था. लेकिन अभी घरेलू हिंसा के अपराध पर लगाम लगाया जा चुका है. जो ग्राफ बढ़ गया था वह अब कंट्रोल में है.
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