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उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 विधानसभा में पास

यूपी विधानसभा
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Published : Feb 24, 2021, 5:39 PM IST

Updated : Feb 24, 2021, 10:50 PM IST

17:34 February 24

विपक्ष ने प्रवर्तन समिति को भेजने की सिफारिश की

सत्ता और विपक्ष ने एक-दूसरे पर साधा निशाना.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 विधानसभा में बुधवार को पास हो गया. संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि ऐसे पाया गया कि धर्म परिवर्तित कर धोखाधड़ी करके शादी की जा रही है. इसपर इस कानून के माध्यम से सज़ा का प्रावधान किया गया है.  

सदन में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि इस तरह से धोखाधड़ी करने पर कम से कम तीन वर्ष अधिकतम 10 वर्ष जेल की सजा होगी. स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वाले को दो माह पहले सूचना देनी होगी. आपको बता दें कि सरकार पहले ही अध्यादेश जारी कर चुकी है. आज विधानसभा में इसे पास कराया गया.

विपक्ष ने किया विरोध 

हालांकि विपक्ष ने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की सिफारिश की. कांग्रेस नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्रा ने कहा कि विवाह करना निजता से जुड़ा मामला है.  इसे जबरन रोकना उचित नहीं है.  इसलिए इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाए, ताकि इस पर सुझाव आ सके, इसके बाद इसे लागू किया जाए. वहीं सपा के संजय गर्ग ने कहा कि यह विधेयक अधिकार छीनने वाला है, संविधान विरोधी है. लिहाजा इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए. वहीं बसपा नेता विधानमंडल दल लालजी वर्मा ने कहा कि इस विधेयक की जरूरत ही नहीं है. सरकर स्वतः ही वापस ले. उन्होंने कहा कि गलत तरीके से विवाह करने के मामले में कार्रवाई के लिए पहले से ही कानून मौजूद है.  दो महीना पहले जिलाधिकारी और पुलिस के चक्कर काटने पड़ेंगे. यदि इतनी ही इसकी जरूरत है तो इसे प्रवर समिति को भेजा जाए. 

सरकार ने दिया यह तर्क

इस पर सुरेश खन्ना ने सदन के समक्ष स्पष्ट किया कि विपक्ष गुमराह कर रहा है.  यह विधेयक संविधान विरोधी नहीं है. स्वेच्छा से विवाह करने वालों का हम स्वागत करते हैं.  धोखा, फरेब और कपट के साथ विवाह करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की व्यवस्था की गयी है. 

किसी मजहब के खिलाफ नहीं, बल्कि बच्चियों के जीवन की रक्षा के लिए है कानून

योगी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि धर्मांतरण को लेकर काफी पहले से आवाजें उठ रही थी. जगह-जगह से शिकायत आ रही थी कि बहुत सारे लोग बहला-फुसलाकर बच्चियों से शादी कर रहे हैं. फिर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं. जबरदस्ती करते हैं. धर्म परिवर्तन नहीं करने पर कई बार उनकी हत्या कर दी जाती है या फिर उन्हें सड़क पर बेसहारा छोड़ दिया जाता है. इस प्रकार की शिकायत पूरे समाज से मिल रही थी. इस पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर जांच हुई. जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के उपरांत यह पाया गया कि ऐसे कानून की आवश्यकता उत्तर प्रदेश में है. यह कानून हम इसलिए लेकर आए हैं कि लोगों को न्याय मिल सके. 

निराधार है विपक्ष का आरोप

मोहसिन रजा ने कहा कि विपक्ष का जिस तरह से आरोप है, वैसा कुछ नहीं है. यह किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं है. यह सभी वर्गों के लिए है. विपक्ष को तुष्टीकरण की राजनीति करना पसंद है. वे एक समुदाय की राजनीति करना चाहते हैं. उन्हें एक जाति की राजनीति करना अच्छा लगता है. हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की बात करते हैं. उसी नीति पर हमारी सरकार काम कर रही है. इसलिए यह विधेयक लेकर आए हैं. विपक्ष का आरोप निराधार है.

कानून में किए गए कड़े प्रावधान 

उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 के तहत धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. इस कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष की सजा होगी. कम से कम 15 हजार रुपये जुर्माना होगा. जबकि नाबालिग महिला और अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के संबंध में हुए अपराध में कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा होगी. इसमें जुर्माने की राशि कम से कम 25 हजार रुपये होगी. वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में तीन साल से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. ऐसी परिस्थिति में 50 हजार रुपये जुर्माना होगा.

'महिलाओं के नाम पर सरकार कर रही राजनीति'

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि निश्चित रूप से हिंदुस्तान में, समाज में कोई भी व्यक्ति यदि अपनी जाति, धर्म अथवा पहचान छिपाकर किसी भी महिला से दोस्ती करता है व संबंध बनाता है तो यह कानूनन जुर्म है और ऐसे व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि भाजपा महिला को सम्मान तो नहीं दिला पा रही है बल्कि महिलाओं के नाम पर राजनीति कर रही है. भाजपा के राज में लगातार महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है, जिसे रोकने में सरकार बुरी तरह से विफल है.

पिछले साल मुख्यमंत्री ने कानून लाने का किया था ऐलान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल विधानसभा के उपचुनाव के दौरान धर्मांतरण विरोधी कानून लाने का ऐलान किया था. इसके बाद 24 नवंबर को योगी कैबिनेट द्वारा इस अध्यादेश को पारित कराया गया था. 28 नवंबर को राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ ही प्रदेश में इस अध्यादेश को कानून के रूप में लागू कर दिया गया. नियमानुसार किसी भी अध्यादेश को छह महीने के भीतर विधान मंडल से पारित कराना होता है. लिहाजा बुधवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 पारित हो गया है. इसके बाद विधान परिषद में सरकार इसे पारित कराएगी. विधान परिषद में पारित होने के बाद राज्यपाल का इस पर हस्ताक्षर होगा. उनके हस्ताक्षर के साथ ही प्रदेश में कानून के रूप में यह लागू हो जाएगा. इसके अलाव उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2021 पारित किया गया. मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण संशोधन विधेयक 2021 और उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपति विरूपण विधेयक 2021 को भी सदन के पटल पर रखा गया.

17:34 February 24

विपक्ष ने प्रवर्तन समिति को भेजने की सिफारिश की

सत्ता और विपक्ष ने एक-दूसरे पर साधा निशाना.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 विधानसभा में बुधवार को पास हो गया. संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि ऐसे पाया गया कि धर्म परिवर्तित कर धोखाधड़ी करके शादी की जा रही है. इसपर इस कानून के माध्यम से सज़ा का प्रावधान किया गया है.  

सदन में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि इस तरह से धोखाधड़ी करने पर कम से कम तीन वर्ष अधिकतम 10 वर्ष जेल की सजा होगी. स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वाले को दो माह पहले सूचना देनी होगी. आपको बता दें कि सरकार पहले ही अध्यादेश जारी कर चुकी है. आज विधानसभा में इसे पास कराया गया.

विपक्ष ने किया विरोध 

हालांकि विपक्ष ने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की सिफारिश की. कांग्रेस नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्रा ने कहा कि विवाह करना निजता से जुड़ा मामला है.  इसे जबरन रोकना उचित नहीं है.  इसलिए इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाए, ताकि इस पर सुझाव आ सके, इसके बाद इसे लागू किया जाए. वहीं सपा के संजय गर्ग ने कहा कि यह विधेयक अधिकार छीनने वाला है, संविधान विरोधी है. लिहाजा इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए. वहीं बसपा नेता विधानमंडल दल लालजी वर्मा ने कहा कि इस विधेयक की जरूरत ही नहीं है. सरकर स्वतः ही वापस ले. उन्होंने कहा कि गलत तरीके से विवाह करने के मामले में कार्रवाई के लिए पहले से ही कानून मौजूद है.  दो महीना पहले जिलाधिकारी और पुलिस के चक्कर काटने पड़ेंगे. यदि इतनी ही इसकी जरूरत है तो इसे प्रवर समिति को भेजा जाए. 

सरकार ने दिया यह तर्क

इस पर सुरेश खन्ना ने सदन के समक्ष स्पष्ट किया कि विपक्ष गुमराह कर रहा है.  यह विधेयक संविधान विरोधी नहीं है. स्वेच्छा से विवाह करने वालों का हम स्वागत करते हैं.  धोखा, फरेब और कपट के साथ विवाह करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की व्यवस्था की गयी है. 

किसी मजहब के खिलाफ नहीं, बल्कि बच्चियों के जीवन की रक्षा के लिए है कानून

योगी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि धर्मांतरण को लेकर काफी पहले से आवाजें उठ रही थी. जगह-जगह से शिकायत आ रही थी कि बहुत सारे लोग बहला-फुसलाकर बच्चियों से शादी कर रहे हैं. फिर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं. जबरदस्ती करते हैं. धर्म परिवर्तन नहीं करने पर कई बार उनकी हत्या कर दी जाती है या फिर उन्हें सड़क पर बेसहारा छोड़ दिया जाता है. इस प्रकार की शिकायत पूरे समाज से मिल रही थी. इस पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर जांच हुई. जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के उपरांत यह पाया गया कि ऐसे कानून की आवश्यकता उत्तर प्रदेश में है. यह कानून हम इसलिए लेकर आए हैं कि लोगों को न्याय मिल सके. 

निराधार है विपक्ष का आरोप

मोहसिन रजा ने कहा कि विपक्ष का जिस तरह से आरोप है, वैसा कुछ नहीं है. यह किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं है. यह सभी वर्गों के लिए है. विपक्ष को तुष्टीकरण की राजनीति करना पसंद है. वे एक समुदाय की राजनीति करना चाहते हैं. उन्हें एक जाति की राजनीति करना अच्छा लगता है. हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की बात करते हैं. उसी नीति पर हमारी सरकार काम कर रही है. इसलिए यह विधेयक लेकर आए हैं. विपक्ष का आरोप निराधार है.

कानून में किए गए कड़े प्रावधान 

उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 के तहत धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. इस कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष की सजा होगी. कम से कम 15 हजार रुपये जुर्माना होगा. जबकि नाबालिग महिला और अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के संबंध में हुए अपराध में कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा होगी. इसमें जुर्माने की राशि कम से कम 25 हजार रुपये होगी. वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में तीन साल से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. ऐसी परिस्थिति में 50 हजार रुपये जुर्माना होगा.

'महिलाओं के नाम पर सरकार कर रही राजनीति'

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि निश्चित रूप से हिंदुस्तान में, समाज में कोई भी व्यक्ति यदि अपनी जाति, धर्म अथवा पहचान छिपाकर किसी भी महिला से दोस्ती करता है व संबंध बनाता है तो यह कानूनन जुर्म है और ऐसे व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि भाजपा महिला को सम्मान तो नहीं दिला पा रही है बल्कि महिलाओं के नाम पर राजनीति कर रही है. भाजपा के राज में लगातार महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है, जिसे रोकने में सरकार बुरी तरह से विफल है.

पिछले साल मुख्यमंत्री ने कानून लाने का किया था ऐलान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल विधानसभा के उपचुनाव के दौरान धर्मांतरण विरोधी कानून लाने का ऐलान किया था. इसके बाद 24 नवंबर को योगी कैबिनेट द्वारा इस अध्यादेश को पारित कराया गया था. 28 नवंबर को राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ ही प्रदेश में इस अध्यादेश को कानून के रूप में लागू कर दिया गया. नियमानुसार किसी भी अध्यादेश को छह महीने के भीतर विधान मंडल से पारित कराना होता है. लिहाजा बुधवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 पारित हो गया है. इसके बाद विधान परिषद में सरकार इसे पारित कराएगी. विधान परिषद में पारित होने के बाद राज्यपाल का इस पर हस्ताक्षर होगा. उनके हस्ताक्षर के साथ ही प्रदेश में कानून के रूप में यह लागू हो जाएगा. इसके अलाव उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2021 पारित किया गया. मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण संशोधन विधेयक 2021 और उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपति विरूपण विधेयक 2021 को भी सदन के पटल पर रखा गया.

Last Updated : Feb 24, 2021, 10:50 PM IST
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