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बिजली दरों की बढ़ोतरी की जुगत में जुटा पाॅवर काॅरपोरेशन, नियमानुसार अगले साल तक कोई प्रावधान नहीं

बिजली कंपनियां वर्ष 2024-25 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता बिजली दर का प्रस्ताव बनाने में जुटी हुई हैं. बीती 24 मई को वर्ष 2023 -24 का टैरिफ आदेश जारी किया है वह विद्युत अधिनियम 2003 के नियमों के अनुरूप 31 मार्च 2024 तक अनुमन्य है. ऐसे में नई बिजली दर विद्युत अधिनियम के तहत पूरी तरह कानून के विपरीत है.

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Published : Jul 20, 2023, 9:41 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियां वर्ष 2024-25 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता बिजली दर का प्रस्ताव बनाने में जुटी हैं. आयोग के बनाए गए कानून में छह माह के लेखा बही का डाटा देने का नियम है, लेकिन कंपनियां तीन माह के डाटा के आधार पर ही 15 अगस्त तक बिजली दर प्रस्ताव तैयार कर रही हैं. बीती 24 मई को वर्ष 2023 -24 का टैरिफ आदेश जारी किया है वह विद्युत अधिनियम 2003 के नियमों के अनुरूप 31 मार्च 2024 तक अनुमन्य है. ऐसे में कोई भी नई बिजली दर एक अप्रैल 2024 के बाद ही प्रदेश में लागू हो सकती है. विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62 (4) में स्पष्ट तौर पर प्रावधान है कि टैरिफ डिटरमिनेशन एक वित्तीय वर्ष में एक ही बार हो सकता है यानी एक वित्तीय वर्ष में एक बार से अधिक संशोधन नहीं किया जाएगा. ऐसे में पाॅवर काॅरपोरेशन की बिजली दरों में बढ़ोतरी की जल्दबाजी पूरी तरह कानून के विपरीत है.

बिजली दरों की बढ़ोतरी की जुगत में जुटा पाॅवर काॅरपोरेशन.
बिजली दरों की बढ़ोतरी की जुगत में जुटा पाॅवर काॅरपोरेशन.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों को ऐसा लग रहा है की वर्तमान परिस्थितियों में आयोग का दरवाजा खटखटाने से उनके हित में निर्णय आ जाएगा, लेकिन शायद उन्हें यह नहीं मालूम कि रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत सभी व्यवस्था संवैधानिक प्रक्रिया के अनुरूप ही आगे बढ़ेगी. वर्मा ने एक बार फिर अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत किसी भी राज्य में अगर वहां के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सरप्लस निकल रहा है तो उस राज्य में देश का कोई भी कानून बिजली दरों में बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देना. उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33,122 करोड सरपंच निकल रहा है जब तक उसका हिसाब बराबर नहीं हो जाता तब तक प्रदेश की बिजली कंपनियां उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी का सपना न देखें.



उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने इस पूरे गंभीर मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार से फिर एक बार अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने एक अप्रैल से किसानों की बिजली फ्री किए जाने का एलान किया था. इसलिए वर्तमान में पाॅवर काॅरपोरेशन व उत्तर प्रदेश सरकार का यह नैतिक दायित्व है वह प्रदेश के किसानों की बिजली दरों को वादानुसार फ्री करके प्रदेश के 14 लाख किसानों को तोहफा दे. उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर पाॅवर काॅरपोरेशन को याद दिलाया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एकमुश्त समाधान योजना लाने का एलान किया था उसको काफी समय बीत गया. अब जल्द ही ओटीएस योजना लाने का ऐलान करना चाहिए.

यह भी पढ़ें : सीएम योगी ने नवचयनित अधिकारियों को दिए नियुक्ति पत्र, बोले-छह वर्ष में यूपी के साढ़े पांच करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियां वर्ष 2024-25 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता बिजली दर का प्रस्ताव बनाने में जुटी हैं. आयोग के बनाए गए कानून में छह माह के लेखा बही का डाटा देने का नियम है, लेकिन कंपनियां तीन माह के डाटा के आधार पर ही 15 अगस्त तक बिजली दर प्रस्ताव तैयार कर रही हैं. बीती 24 मई को वर्ष 2023 -24 का टैरिफ आदेश जारी किया है वह विद्युत अधिनियम 2003 के नियमों के अनुरूप 31 मार्च 2024 तक अनुमन्य है. ऐसे में कोई भी नई बिजली दर एक अप्रैल 2024 के बाद ही प्रदेश में लागू हो सकती है. विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62 (4) में स्पष्ट तौर पर प्रावधान है कि टैरिफ डिटरमिनेशन एक वित्तीय वर्ष में एक ही बार हो सकता है यानी एक वित्तीय वर्ष में एक बार से अधिक संशोधन नहीं किया जाएगा. ऐसे में पाॅवर काॅरपोरेशन की बिजली दरों में बढ़ोतरी की जल्दबाजी पूरी तरह कानून के विपरीत है.

बिजली दरों की बढ़ोतरी की जुगत में जुटा पाॅवर काॅरपोरेशन.
बिजली दरों की बढ़ोतरी की जुगत में जुटा पाॅवर काॅरपोरेशन.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों को ऐसा लग रहा है की वर्तमान परिस्थितियों में आयोग का दरवाजा खटखटाने से उनके हित में निर्णय आ जाएगा, लेकिन शायद उन्हें यह नहीं मालूम कि रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत सभी व्यवस्था संवैधानिक प्रक्रिया के अनुरूप ही आगे बढ़ेगी. वर्मा ने एक बार फिर अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत किसी भी राज्य में अगर वहां के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सरप्लस निकल रहा है तो उस राज्य में देश का कोई भी कानून बिजली दरों में बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देना. उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33,122 करोड सरपंच निकल रहा है जब तक उसका हिसाब बराबर नहीं हो जाता तब तक प्रदेश की बिजली कंपनियां उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी का सपना न देखें.



उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने इस पूरे गंभीर मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार से फिर एक बार अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने एक अप्रैल से किसानों की बिजली फ्री किए जाने का एलान किया था. इसलिए वर्तमान में पाॅवर काॅरपोरेशन व उत्तर प्रदेश सरकार का यह नैतिक दायित्व है वह प्रदेश के किसानों की बिजली दरों को वादानुसार फ्री करके प्रदेश के 14 लाख किसानों को तोहफा दे. उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर पाॅवर काॅरपोरेशन को याद दिलाया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एकमुश्त समाधान योजना लाने का एलान किया था उसको काफी समय बीत गया. अब जल्द ही ओटीएस योजना लाने का ऐलान करना चाहिए.

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