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रालोद ने कर दी यह मांग, सपा और रालोद गठबंधन पर लग सकता है ग्रहण ! - सपा और रालोद गठबंधन

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पक्ष और विपक्ष दोनों ने तैयारियां शुरू कर दी है. समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के बीच गठबंधन तय माना जा रहा है. लेकिन, सियासी गलियारों में चर्चा है कि राष्ट्रीय लोक दल की मांग ने गठबंधन को खतरे में डाल दिया है. देखिए यह रिपोर्ट...

सपा और रालोद गठबंधन
सपा और रालोद गठबंधन
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Published : Jul 28, 2021, 8:15 PM IST

लखनऊ : समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) का आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) को लेकर गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है. दो दिन पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के दिल्ली स्थित आवास पर जाकर मिले थे. गठबंधन में सीटों को लेकर दोनों नेताओं के बीच बातचीत भी हुई, लेकिन राष्ट्रीय लोक दल के पदाधिकारियों की मानें तो समाजवादी पार्टी से 50 सीटों की मांग की गई है. इससे कम सीटें गठबंधन में राष्ट्रीय लोक दल को स्वीकार नहीं होगी. हालांकि यह बात राष्ट्रीय लोक दल के पदाधिकारी अनौपचारिक बातचीत में ही कह रहे हैं. समाजवादी पार्टी के नेताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल निश्चित तौर पर गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से हटाएंगे.



रालोद के लिए सपा का साथ इसलिए जरूरी है क्योंकि साल 2002 के यूपी विधानसभा चुनाव में रालोद ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ 14 पर ही जीत हासिल हुई. साल 2007 के चुनाव में भी राष्ट्रीय लोक दल का प्रदर्शन बेहतर होने की बजाय बदतर ही होता गया. रालोद सिर्फ 10 सीटों पर सिमट कर रह गई. साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में 46 सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार उतारे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में एक और सीट कम हो गयी. पार्टी नौ सीटें ही जीत पायी. साल 2017 का विधानसभा चुनाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद की हालत और भी खस्ता करने वाला साबित हुआ. रालोद का महज एक प्रत्याशी ही चुनाव में जीत हासिल कर सका. इसके बाद राष्ट्रीय लोक दल के लिए साल 2014 का लोकसभा चुनाव सबसे बदतर साबित हुआ. इस चुनाव में न जयंत चौधरी जीत पाए और न ही उनके पिता चौधरी अजीत सिंह.

वीडियो रिपोर्ट
राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर साल 2017 के विधानसभा चुनाव में छपरौली विधानसभा सीट से जीते सहेंद्र सिंह रमाला भी 2018 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये. आंकड़ों के नजरिये से देखा जाए तो राष्ट्रीय लोक दल विधानसभा से लेकर लोकसभा तक शून्य है, लेकिन पंचायत चुनाव राष्ट्रीय लोक दल के लिए एक बार फिर ऑक्सीजन देने वाला साबित हुआ. यही वजह है कि जयंत चौधरी और अखिलेश यादव एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुए हैं.




राष्ट्रीय लोकदल अब 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटा है. शुरू से ही किसानों की राजनीति करने वाली यह पार्टी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन में मुखर होकर साथ खड़ी हुई थी. पार्टी को उम्मीद है कि किसान एक बार फिर से रालोद के साथ खड़े होंगे. अपनी खोयी हुई सियासी जमीन पाने के लिए राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया जयंत चौधरी हरसंभव कोशिश में जुटे हैं. किसान पंचायत के जरिए पहले उन्होंने माहौल बनाया और जाट समुदाय का विश्वास जीतने का प्रयास किया. इसी का फायदा पंचायत चुनाव में रालोद को मिला.

लखनऊ
अखिलेश यादव

जयंत चौधरी भाईचारा सम्मेलन आयोजित कर एक बार फिर मुस्लिमों और जाटों की नाराजगी दूर कर रहे हैं. पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पहले की तरह ही जाट और मुसलमान रालोद के पक्ष में खड़े नजर आएंगे और फिर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल का परचम लहराएगा.

राष्ट्रीय लोक दल के नेता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी कहते हैं कि रालोद और समाजवादी पार्टी का गठबंधन आगे भी जारी रहेगा. दोनों दल साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएंगे. सीटों के सवाल पर वह कहते हैं कि दोनों दलों के अध्यक्ष सीट बंटवारे पर जल्द ही फैसला करेंगे. समाजवादी पार्टी के एमएलसी सुनील सिंह साजन कहते हैं कि दोनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. सीटों के सवाल पर वह भी कहते हैं कि दोनों ही नेता मिल-बैठककर सीटें फाइनल कर लेंगे.


इसे भी पढ़ें - सपा के वरिष्ठ नेता का सुझाव माना गया तो खतरे में आ जाएगा अखिलेश का राजनीतिक करियर

लखनऊ : समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) का आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) को लेकर गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है. दो दिन पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के दिल्ली स्थित आवास पर जाकर मिले थे. गठबंधन में सीटों को लेकर दोनों नेताओं के बीच बातचीत भी हुई, लेकिन राष्ट्रीय लोक दल के पदाधिकारियों की मानें तो समाजवादी पार्टी से 50 सीटों की मांग की गई है. इससे कम सीटें गठबंधन में राष्ट्रीय लोक दल को स्वीकार नहीं होगी. हालांकि यह बात राष्ट्रीय लोक दल के पदाधिकारी अनौपचारिक बातचीत में ही कह रहे हैं. समाजवादी पार्टी के नेताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल निश्चित तौर पर गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से हटाएंगे.



रालोद के लिए सपा का साथ इसलिए जरूरी है क्योंकि साल 2002 के यूपी विधानसभा चुनाव में रालोद ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ 14 पर ही जीत हासिल हुई. साल 2007 के चुनाव में भी राष्ट्रीय लोक दल का प्रदर्शन बेहतर होने की बजाय बदतर ही होता गया. रालोद सिर्फ 10 सीटों पर सिमट कर रह गई. साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में 46 सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार उतारे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में एक और सीट कम हो गयी. पार्टी नौ सीटें ही जीत पायी. साल 2017 का विधानसभा चुनाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद की हालत और भी खस्ता करने वाला साबित हुआ. रालोद का महज एक प्रत्याशी ही चुनाव में जीत हासिल कर सका. इसके बाद राष्ट्रीय लोक दल के लिए साल 2014 का लोकसभा चुनाव सबसे बदतर साबित हुआ. इस चुनाव में न जयंत चौधरी जीत पाए और न ही उनके पिता चौधरी अजीत सिंह.

वीडियो रिपोर्ट
राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर साल 2017 के विधानसभा चुनाव में छपरौली विधानसभा सीट से जीते सहेंद्र सिंह रमाला भी 2018 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये. आंकड़ों के नजरिये से देखा जाए तो राष्ट्रीय लोक दल विधानसभा से लेकर लोकसभा तक शून्य है, लेकिन पंचायत चुनाव राष्ट्रीय लोक दल के लिए एक बार फिर ऑक्सीजन देने वाला साबित हुआ. यही वजह है कि जयंत चौधरी और अखिलेश यादव एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुए हैं.




राष्ट्रीय लोकदल अब 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटा है. शुरू से ही किसानों की राजनीति करने वाली यह पार्टी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन में मुखर होकर साथ खड़ी हुई थी. पार्टी को उम्मीद है कि किसान एक बार फिर से रालोद के साथ खड़े होंगे. अपनी खोयी हुई सियासी जमीन पाने के लिए राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया जयंत चौधरी हरसंभव कोशिश में जुटे हैं. किसान पंचायत के जरिए पहले उन्होंने माहौल बनाया और जाट समुदाय का विश्वास जीतने का प्रयास किया. इसी का फायदा पंचायत चुनाव में रालोद को मिला.

लखनऊ
अखिलेश यादव

जयंत चौधरी भाईचारा सम्मेलन आयोजित कर एक बार फिर मुस्लिमों और जाटों की नाराजगी दूर कर रहे हैं. पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पहले की तरह ही जाट और मुसलमान रालोद के पक्ष में खड़े नजर आएंगे और फिर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल का परचम लहराएगा.

राष्ट्रीय लोक दल के नेता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी कहते हैं कि रालोद और समाजवादी पार्टी का गठबंधन आगे भी जारी रहेगा. दोनों दल साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएंगे. सीटों के सवाल पर वह कहते हैं कि दोनों दलों के अध्यक्ष सीट बंटवारे पर जल्द ही फैसला करेंगे. समाजवादी पार्टी के एमएलसी सुनील सिंह साजन कहते हैं कि दोनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. सीटों के सवाल पर वह भी कहते हैं कि दोनों ही नेता मिल-बैठककर सीटें फाइनल कर लेंगे.


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