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राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित कर सकती है लखनऊ पूर्व क्षेत्र की विधानसभा सीट, जानिए क्या है बड़ी वजह - UP News

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पूर्वी विधानसभा सीट लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल टंडन की आकस्मिक मृत्यु के कारण खाली हो गई है. ऐसे में रक्षामंत्री बेटे नीरज सिंह समेत कई दावेदारों के नाम चर्चा में हैं. बहरहाल यह सीट कई मायनों में देश की राजनीतिक धुरी बन गई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 13, 2023, 8:26 AM IST

लखनऊ : पूर्व मंत्री आशुतोष टंडन (गोपाल जी) के निधन के बाद खाली हुई लखनऊ पूर्व की विधानसभा सीट पर चुनाव होने हैं. यह सीट देश की राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव डाल सकती है. लंबे समय से केवल राजनीतिक कार्यकर्ता का तमगा लगाए घूम रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के छोटे पुत्र के लिए यह सीट खासी मुफीद बताई जा रही है. हालांकि लखनऊ पूर्व का विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होगा. ऐसे में राजनाथ सिंह खुद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और उनके पुत्र नीरज सिंह उप चुनाव में साथ लड़ें तो विपक्ष इसको मुद्दा बना लेगा. इसलिए नीरज सिंह का अवसर बन पाना लगभग असम्भव माना जा रहा है. ये बात दीगर है कि प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह, विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक, प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई और भाजपा नेता राजीव मिश्र का नाम उत्तर विधानसभा में दावेदारों के तौर पर चलना शुरू हो चुका है. राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के पुत्र अमित मिश्र भी पूरब सीट से दावेदार बताए जा रहे हैं.

यूपी में भाजपा की रणनीति.
यूपी में भाजपा की रणनीति.

कुछ अन्य नामों पर है नजर

  • संतोष सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह का नाम पूर्व क्षेत्र में विधायक पद के लिए सामने आ सकता है. लंबे समय से वह पार्टी में सक्रिय हैं. पहले संतोष सिंह छात्र नेता थे और धीरे-धीरे प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे बड़े पद पर पहुंच चुके हैं. मगर अब तक उनका कोई भी संवैधानिक पद नहीं मिल सका है.
  • विजय बहादुर पाठक : विजय बहादुर पाठक कभी भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता थे अब वे एमएलसी हैं. निकट भविष्य में उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है. वे भी प्रमुख दावेदार बताए जा रहे हैं.
  • हीरो बाजपेई : लखनऊ महानगर से राजनीति का आगाज कर के सालों से भाजपा के प्रमुख नेता रहे हीरो बाजपेई पूर्वी क्षेत्र के ही स्थानीय निवासी हैं. लंबे समय से पार्टी में काम कर रहे हैं और इस समय प्रदेश प्रवक्ता हैं. उनका नाम भी प्रमुख दावेदारों में हैं.
  • अमित मिश्र : इस क्षेत्र से पूर्व विधायक और वर्तमान में राजस्थान के राजयपाल कलराज मिश्र के बेटे अमित मिश्र भी पार्टी में काम कर रहे हैं.वे उम्मीद कर रहे हैं कि उनको भी टिकट मिल सकता है.
  • राजीव मिश्र : भाजपा की राजनीति के साथ ही लम्बे समय से सामाजिक कार्यों में लगे हुए राजीव मिश्र पर भी पार्टी दांव लगा सकती है. उनको लेकर भी चर्चा का बाजार गर्म है.



लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट का गठन पहली बार 2012 के विधानसभा चुनाव में हुआ था. तब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र इस सीट से विधायक चुने गए थे. 2014 की लोकसभा चुनाव में कलराज मिश्र ने लोकसभा का चुनाव देवरिया सीट से लड़ा था. जहां उनको जीत मिलने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ. उपचुनाव में आशुतोष टंडन गोपाल जी की जीत हुई. इसके बाद में गोपाल जी 2017 और 2022 लगातार दो चुनाव में इस सीट पर भाजपा के विधायक बने, मगर उनकी मृत्यु होने के बाद यह सीट रिक्त हो गई है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव जो कि मार्च में होंगे. इस समय इस सीट पर उपचुनाव हो जाएगा. ऐसे में इसी पर दावेदारी भी शुरू हो चुकी है.



राजनाथ सिंह का पुत्र होने से नीरज सिंह का नुकसान : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का पुत्र होना उनके छोटे बेटे नीरज सिंह पर भारी पड़ा है. पार्टी पर परिवारवाद का आरोप न लग जाए, इसलिए नीरज को टिकट मिलना मुश्किल होगा. नीरज के बड़े भाई पंकज सिंह पहले से ही नोएडा से विधायक हैं. ऐसे में एक ही परिवार के तीन सदस्यों का पद देना संभव नजर नहीं आ रहा है.

यह भी पढ़ें : Defense Minister Rajnath का पुत्र होने से आपको नुकसान हो रहा है, जानिए इस सवाल पर क्या कहते हैं पंकज सिंह

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लखनऊ : पूर्व मंत्री आशुतोष टंडन (गोपाल जी) के निधन के बाद खाली हुई लखनऊ पूर्व की विधानसभा सीट पर चुनाव होने हैं. यह सीट देश की राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव डाल सकती है. लंबे समय से केवल राजनीतिक कार्यकर्ता का तमगा लगाए घूम रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के छोटे पुत्र के लिए यह सीट खासी मुफीद बताई जा रही है. हालांकि लखनऊ पूर्व का विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होगा. ऐसे में राजनाथ सिंह खुद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और उनके पुत्र नीरज सिंह उप चुनाव में साथ लड़ें तो विपक्ष इसको मुद्दा बना लेगा. इसलिए नीरज सिंह का अवसर बन पाना लगभग असम्भव माना जा रहा है. ये बात दीगर है कि प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह, विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक, प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई और भाजपा नेता राजीव मिश्र का नाम उत्तर विधानसभा में दावेदारों के तौर पर चलना शुरू हो चुका है. राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के पुत्र अमित मिश्र भी पूरब सीट से दावेदार बताए जा रहे हैं.

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कुछ अन्य नामों पर है नजर

  • संतोष सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह का नाम पूर्व क्षेत्र में विधायक पद के लिए सामने आ सकता है. लंबे समय से वह पार्टी में सक्रिय हैं. पहले संतोष सिंह छात्र नेता थे और धीरे-धीरे प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे बड़े पद पर पहुंच चुके हैं. मगर अब तक उनका कोई भी संवैधानिक पद नहीं मिल सका है.
  • विजय बहादुर पाठक : विजय बहादुर पाठक कभी भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता थे अब वे एमएलसी हैं. निकट भविष्य में उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है. वे भी प्रमुख दावेदार बताए जा रहे हैं.
  • हीरो बाजपेई : लखनऊ महानगर से राजनीति का आगाज कर के सालों से भाजपा के प्रमुख नेता रहे हीरो बाजपेई पूर्वी क्षेत्र के ही स्थानीय निवासी हैं. लंबे समय से पार्टी में काम कर रहे हैं और इस समय प्रदेश प्रवक्ता हैं. उनका नाम भी प्रमुख दावेदारों में हैं.
  • अमित मिश्र : इस क्षेत्र से पूर्व विधायक और वर्तमान में राजस्थान के राजयपाल कलराज मिश्र के बेटे अमित मिश्र भी पार्टी में काम कर रहे हैं.वे उम्मीद कर रहे हैं कि उनको भी टिकट मिल सकता है.
  • राजीव मिश्र : भाजपा की राजनीति के साथ ही लम्बे समय से सामाजिक कार्यों में लगे हुए राजीव मिश्र पर भी पार्टी दांव लगा सकती है. उनको लेकर भी चर्चा का बाजार गर्म है.



लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट का गठन पहली बार 2012 के विधानसभा चुनाव में हुआ था. तब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र इस सीट से विधायक चुने गए थे. 2014 की लोकसभा चुनाव में कलराज मिश्र ने लोकसभा का चुनाव देवरिया सीट से लड़ा था. जहां उनको जीत मिलने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ. उपचुनाव में आशुतोष टंडन गोपाल जी की जीत हुई. इसके बाद में गोपाल जी 2017 और 2022 लगातार दो चुनाव में इस सीट पर भाजपा के विधायक बने, मगर उनकी मृत्यु होने के बाद यह सीट रिक्त हो गई है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव जो कि मार्च में होंगे. इस समय इस सीट पर उपचुनाव हो जाएगा. ऐसे में इसी पर दावेदारी भी शुरू हो चुकी है.



राजनाथ सिंह का पुत्र होने से नीरज सिंह का नुकसान : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का पुत्र होना उनके छोटे बेटे नीरज सिंह पर भारी पड़ा है. पार्टी पर परिवारवाद का आरोप न लग जाए, इसलिए नीरज को टिकट मिलना मुश्किल होगा. नीरज के बड़े भाई पंकज सिंह पहले से ही नोएडा से विधायक हैं. ऐसे में एक ही परिवार के तीन सदस्यों का पद देना संभव नजर नहीं आ रहा है.

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