लखनऊ : पूर्व मंत्री आशुतोष टंडन (गोपाल जी) के निधन के बाद खाली हुई लखनऊ पूर्व की विधानसभा सीट पर चुनाव होने हैं. यह सीट देश की राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव डाल सकती है. लंबे समय से केवल राजनीतिक कार्यकर्ता का तमगा लगाए घूम रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के छोटे पुत्र के लिए यह सीट खासी मुफीद बताई जा रही है. हालांकि लखनऊ पूर्व का विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होगा. ऐसे में राजनाथ सिंह खुद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और उनके पुत्र नीरज सिंह उप चुनाव में साथ लड़ें तो विपक्ष इसको मुद्दा बना लेगा. इसलिए नीरज सिंह का अवसर बन पाना लगभग असम्भव माना जा रहा है. ये बात दीगर है कि प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह, विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक, प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई और भाजपा नेता राजीव मिश्र का नाम उत्तर विधानसभा में दावेदारों के तौर पर चलना शुरू हो चुका है. राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के पुत्र अमित मिश्र भी पूरब सीट से दावेदार बताए जा रहे हैं.
कुछ अन्य नामों पर है नजर |
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लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट का गठन पहली बार 2012 के विधानसभा चुनाव में हुआ था. तब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र इस सीट से विधायक चुने गए थे. 2014 की लोकसभा चुनाव में कलराज मिश्र ने लोकसभा का चुनाव देवरिया सीट से लड़ा था. जहां उनको जीत मिलने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ. उपचुनाव में आशुतोष टंडन गोपाल जी की जीत हुई. इसके बाद में गोपाल जी 2017 और 2022 लगातार दो चुनाव में इस सीट पर भाजपा के विधायक बने, मगर उनकी मृत्यु होने के बाद यह सीट रिक्त हो गई है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव जो कि मार्च में होंगे. इस समय इस सीट पर उपचुनाव हो जाएगा. ऐसे में इसी पर दावेदारी भी शुरू हो चुकी है.
राजनाथ सिंह का पुत्र होने से नीरज सिंह का नुकसान : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का पुत्र होना उनके छोटे बेटे नीरज सिंह पर भारी पड़ा है. पार्टी पर परिवारवाद का आरोप न लग जाए, इसलिए नीरज को टिकट मिलना मुश्किल होगा. नीरज के बड़े भाई पंकज सिंह पहले से ही नोएडा से विधायक हैं. ऐसे में एक ही परिवार के तीन सदस्यों का पद देना संभव नजर नहीं आ रहा है.
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