लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति हो या समाज, यहां जाति-धर्म की जड़ें इतनी गहरी पैठ बना चुकी हैं कि इसके बिना यहां कुछ भी संभव नहीं है. अगले साल लोकसभा का चुनाव होने वाला है. राजनीतिक दल तो इस ताक में ही रहते हैं कि उन्हें राजनीतिक रोटियां सेकने का अवसर मिले. हाल के दिनों में राजधानी के आसपास के जिलों के दलित बहुल गांवों में एक नई तरह का जातीय उन्माद फैलाने वाली कोशिशें देखने को मिली हैं. ऐसी ही एक घटना लखीमपुर जिले के मितौली क्षेत्र स्थिति हरपालपुर गांव में हुई. इस गांव में सात से ग्यारह फरवरी तक 'बौद्ध धम्म कथा' का आयोजन किया गया था. इसी दौरान कथा वाचक ने हिंदू देवी-देवताओं पर अपमानजनक टिप्पणियां आरंभ कर दीं, जिसके बाद हुए संघर्ष में दोनों पक्षों के दस लोग घायल हो गए. यह तो एक बानगी है. प्रदेश के तमाम जिलों में 'धम्म कथा' के नाम पर दलितों का धर्म परिवर्तन कराने और हिंदू देवी-देवताओं को अपमानित करने वाली घटनाएं हुई हैं. यह घटनाएं नहीं रुकीं तो कभी भी बड़ी अराजकता का रूप ले सकती हैं.
इस संबंध में नेशनल एवं इंटरनेशनल बौद्ध सोसायटी के राष्ट्रीय महासचिव बलिदान बौद्ध कहते हैं 'कोई भी कथा वाचक हो, चाहे वह किसी भी धर्म से संबंध रखता हो, उसे दूसरे धर्म का अनादर या बुराई नहीं करनी चाहिए. यदि किसी ने ऐसा किया है, तो यह गलत बात है. अपने धर्म की बातें बतानी चाहिए. तथागत बुद्ध के विषय में बताना चाहिए कि उन्होंने क्या बताया, उनका क्या इतिहास था, वह बताना चाहिए. किसी की बुराई कदापि नहीं करनी चाहिए. यदि किसी ने ऐसा किया है, तो हम उसकी निंदा करते हैं. यह गलत बात है.' वह कहते हैं 'इस तरह के कृत्य से दोनों धर्मों के लोगों के बीच विवाद होगा और माहौल भी खराब होगा. जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उन्हें सिर्फ धम्म का प्रचार करना चाहिए. हिंदू धर्म के लोग जब बौद्ध धर्म या मुस्लिम धर्म को गाली नहीं देते हैं, तो अपने तथागत बुद्ध ने भी यह नहीं कहा है कि किसी धर्म की बुराई करो. उन्होंने सभी को एक समान समझा है. भारत में सभी जाति और धर्म के लोग रहते हैं. इसलिए किसी को किसी धर्म की बुराई नहीं करनी चाहिए. जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वह गलत कर रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे कहते हैं 'देखिए लखीमपुर की घटना जो सामने आई है, यह पहला मामला नहीं है. इस तरह की कई घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं. सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. धर्मांतरण अथवा सौहार्द बिगाड़ने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में जो इस तरह के कार्यक्रम हैं, उन मामलों में सरकार को एक अभियान की तरह लेना चाहिए. राजनीतिक परिवेश को भी ध्यान में रखना चाहिए. यदि हम इसे कंट्रोल नहीं कर पाए, तो जान लीजिए कि सांप्रदायिक सौहार्द को खतरा पहुंचाने का काम करेंगे ऐसे कार्यक्रम.
घटना के बाद मौके पर पहुंचे एसपी खीरी गणेश प्रसाद साहा ने कहा थाना मितौली में जो हरिहरपुर गांव है. यहां तीन दिन से बौद्ध कथा हो रही थी. कथा वाचक द्वारा कुछ आपत्तिजनक शब्द कहे गए, जो आपत्तिजनक थे. विशेष कर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं को लेकर. पास में ही कुछ लड़कों ने इसका विरोध किया. इनकी कहासुनी थोड़ी बढ़ गई, जिसमें आपस में झगड़ा हुआ है. घटना में कुछ लोगों को चोट आई है, जिनका इलाज चल रहा है. शिकायत के आधार पर रिपोर्ट दर्ज की गई है और कार्रवाई की जा रही है. हम उन विषयों को भी ढूढ़ रहे हैं कि आखिर यह विवाद क्यों उठा है. मुझे बताया गया है कि पिछले साल भी इसी कथा को लेकर आपस में विवाद हुआ था. हालांकि दोनों पक्षों में आपसी सुलह भी हो गई थी. यह जानना भी जरूरी है कि कथा के दौरान कथा वाचक द्वारा ऐसी कौन सी भाषा बोली गई, जिसके कारण यह विवाद बढ़ा है. हम पूरी गहराई से मामले की जांच कर रहे हैं. हमने अपील की है कि अब ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न होने पाए. दोनों पक्षों में घटना के लिए जो भी जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.'
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