लखनऊ: ईटीवी भारत की क्राइम पर खास सीरीज़ यूपी का 'माफिया राज' में आप पढ़िए प्रदेश के उन खूंखार अपराधियों की अनकही दास्तान, जो यूपी पुलिस के साथ ही दूसरे राज्यों के लिए भी बड़े सिरदर्द बन गए थे. हम आपके लिए लाए हैं वो अनसुनी कहानियां, जो आपको बताएंगी कि कैसे इन लोगों ने जरायम की दुनिया में कदम रखा. साथ ही आप जानेंगे कि कैसे इन्होंने एक के बाद एक वारदातों को अंजाम देकर लोगों के दिलों में खौफ का वो मंज़र पैदा किया, जिसे आज तक नहीं भुलाया जा सका है. अभी पढ़ें-
यूपी का 'माफिया राज'
पार्ट 1- पूर्वांचल का वो खूंखार माफिया जो 9 गोली लगने के बाद मुर्दाघर से बाहर आया जिंदा
9 गोलियां लगने के बाद भी जो ज़िन्दा बच गया.मुर्दा घोषित करने के बाद मौत को मात देकर वापस आया.दिल के पास धंसी एक गोली लेकर जो 20 साल ज़िन्दा रहा.जिसका हाथ अपने चाचा का खून करने में भी नहीं कांपा.आज यूपी का माफिया राज में आतंक का पर्याय, शार्प शूटर और गैंगस्टर से नेता बने पूर्वांचल के इस खूंखार अपराधी की कहानी.
पार्ट 2- मोहब्बत में नाकामी ने कैसे बना दिया कुख्यात हत्यारा, चार राज्यों के लिए बन गया था सिरदर्द
बचपन से ही उसे खाकी वर्दी से प्यार था, लेकिन वह आगे चलकर पुलिस वालों का हत्यारा बन गया. यूपी का माफिया राज में इस बार यूपी, हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश में आतंक का दूसरा नाम बन चुके पंकज उर्फ भोला जाट की कहानी.
पार्ट 3- गर्लफ्रेंड, महंगी गाड़ियों के शौकीन 'सुपारी किलर' की खूनी दास्तां
जहां लेता हत्या की सुपारी वहां बना लेता गर्लफ्रैंड...पुलिस की गिरफ्त से फरार होने में माहिर...ब्रांडेड कपड़े और महंगी गाड़ियां जिसका शौक...सुर्खियां में रहना, शेरो शायरी करना उसकी पसंद. यूपी का माफिया राज में बात 35 साल के उस गैंगस्टर की जिसने अपराध की दुनिया में कदम तो रखा चोरी से लेकिन कुछ ही वक्त में बन गया 10 लाख का इनामी हत्यारा. कौन था वो कुख्यात सुपारी किलर.
पार्ट 4- गंगा किनारे वाला 'नेपाली' कैसे बना खूनी दरिंदा? माफिया डॉन की अनसुनी कहानी
गंगा घाट किनारे जो फूंकता था गांजा...आंखों में था बनारस पर राज करने का ख्वाब...हत्या, रंगदारी, अपहरण बन गया जिसका शगल...अन्नू त्रिपाठी से लेकर मुन्ना बजरंगी जैसे खूंखार गैगस्टर की शागिर्दी में मचाया कोहराम...2 दशक बाद भी यूपी पुलिस के लिए अबूझ पहेली...कौन है ये शातिर माफिया डॉन?
यूपी की 'माफिया राज' पार्ट 5 जल्द आ रहा है.....
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