लखनऊ : 33 लाख 50 हजार करोड़ रुपये के औद्योगिक निवेश के प्रस्ताव प्राप्त करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने की तैयारी शुरू कर दी है. उन्होंने मंगलवार को सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव तथा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के सीईओ के साथ विशेष बैठक कर मुख्यमंत्री ने विभागवार निवेश प्रस्तावों की समीक्षा की और क्रियान्वयन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की प्रेरणा एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 का सफल आयोजन हुआ. इस आयोजन में 10 कन्ट्री पार्टनर, 40 देशों के 1000 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों, पार्टनर कंट्री के 04 मंत्रीगण, 17 केंद्रीय मंत्रीगणों, 05 राजदूतों/उच्चायुक्तों और 25000 से अधिक डेलीगेट्स सहित राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों तथा अन्य गणमान्य महानुभावों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता कर उत्तर प्रदेश का मान बढ़ाया. यह आयोजन हमारी 25 करोड़ जनता की आकांक्षाओं, युवाओं की अपेक्षाओं को पूरा करने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को $1 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होने वाला है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 16 देशों के 21 नगरों और देश के 10 शहरों में रोड शो सहित प्रदेश के सभी 75 जनपदों में निवेशक सम्मेलन के उपरांत तीन दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से ₹33.50 लाख करोड़ के औद्योगिक निवेश प्रस्ताव होना अभूतपूर्व है. असमान विकास और उपेक्षा का दंश झेलने वाले बुंदेलखंड और पूर्वांचल के लिए व्यापक निवेश प्रस्ताव मिले हैं. मैन्युफैक्चरिंग, ग्रीन एनर्जी, ईवी, टेक्सटाइल, फ़ूड प्रोसेसिंग, सर्कुलर इकॉनमी, स्वास्थ्य, शिक्षा सहित हर सेक्टर में उद्यमियों ने रुचि दर्शाई है. इससे प्रदेश के औद्योगिक विकास को नयी गति मिलेगी और सबका साथ-सबका विकास का मंत्र साकार होगा. जीआईएस के दौरान हमें 16 लाख करोड़ से अधिक राशि के 13 हजार से अधिक ऐसे प्रस्ताव मिले हैं, जिन्हें निवेशकर्ता द्वारा तत्काल जमीन पर उतारने की तैयारी कर ली गई है. ₹2.80 लाख करोड़ मूल्य के 29 एमओयू पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू कंपनी) की ओर से मिले हैं. निवेशकर्ता इन प्रोजेक्ट पर तत्काल काम शुरू करने को तैयार हैं. सरकार के साथ मिलकर पीपीपी मोड पर विकास कार्यों के लिए 2.45 लाख करोड़ के 99 एमओयू हुए हैं.
सीएम ने कहा कि चरणबद्ध रूप से संचालित होने वाली परियोजनाओं में ₹3 लाख 90 हजार करोड़ निवेश मूल्य के 34 औद्योगिक प्रस्ताव अगले दो वर्ष के भीतर क्रियान्वित होने को तैयार हैं. इसी प्रकार बड़े औद्योगिक समूहों की ओर से ₹4.11 लाख करोड़ के 782 निवेश प्रस्ताव मिले हैं. निवेशकर्ता संस्था/फर्म/कंपनी की जरूरतों के अनुसार इनका समयबद्ध क्रियान्वयन शुरू कराया जाए. निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने के लिए यह अति आवश्यक है कि निवेशकर्ता से सतत संवाद-संपर्क बनाए रखा जाए. उनकी जरूरतों, अपेक्षाओं का तत्काल समाधान हो. प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित हो कि हर निवेशकर्ता को यथोचित रिस्पॉन्स मिले, कोई भी फाइल लंबित न रहे, निर्णय में कतई देरी न हो, हर एक एमओयू की नियमित अंतराल पर समीक्षा की जाए.
इसके अलावा निवेश प्रस्तावों के क्रियान्वयन, सतत मॉनीटरिंग के लिए सभी विभागों में 'इन्वेस्टमेंट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट'' का गठन किया जाए. सचिव स्तर के अधिकारी को इसका मुखिया नामित किया जाना चाहिए. हर एमओयू के लिए नोडल अधिकारी नामित करें. यह यूनिट अपने विभाग से जुड़े हर निवेश प्रस्ताव के क्रियान्वयन और निवेशकों से संवाद-संपर्क के लिए जिम्मेदार होगी. साथ ही विशेष सचिव और इससे ऊपर स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को सेक्टरवार अथवा निवेश प्रस्ताव वार मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी दी जाए. कार्य की प्रगति संबंधित अधिकारी की दक्षता का प्रमाण बनेगी. हर एक प्रस्ताव की टाइमलाइन तय कर दी जाए. एमओयू के क्रियान्वयन के लिए सभी विभागों में आवेदन का प्रारूप एक जैसा हो तो उद्यमियों को सुविधा होगी. विभाग की नीतियों के अनुरूप यथावश्यक बदलाव किया जा सकता है. निवेशकों को देय इंसेंटिव समय पर मिलें.
सीएम योगी ने कहा कि उद्योगों के लिए भूमि प्राथमिक आवश्यकता है. ₹33 लाख 50 हजार करोड़ के निवेश प्रस्तावों के लिए हमें व्यापक भूमि की आवश्यकता होगी. निजी इंडस्ट्रियल पार्क के लिए भी हमें प्रस्ताव मिले हैं. राज्य सरकार फार्मा पार्क, टेक्सटाइल पार्क का विकास करने जा रही है. यद्यपि प्रदेश में पर्याप्त लैंडबैंक उपलब्ध है, फिर भी निवेशकर्ता की रुचि, प्रोजेक्ट की आवश्यकता के अनुसार भूमि उपलब्ध हो, इसके लिए और प्रयास करना होगा. इसमें राजस्व विभाग और सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की बड़ी भूमिका होगी. 'सिक यूनिट' की पहचान करते हुए इनकी उपयोगिता के बारे में आवश्यक नीति तैयार करें. भारत सरकार से हर संभव सहयोग मिलेगा. इन औद्योगिक इकाइयों की भूमि प्राइम लोकेशन पर है, इसका सदुपयोग किया जाना चाहिए. राज्य स्तर पर उद्योग बंधु की बैठक प्रत्येक तीन माह पर जरूर हों. इसी प्रकार जिलों में जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान के साथ जनपदीय उद्योग बंधु की बैठक हर महीने अनिवार्य रूप से हो. स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी की नियमित बैठक हो, इसमें अन्य वित्तीय संस्थानों को भी जोड़ा जाए.
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