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UP Election 2022: अखिलेश की रैलियों में उमड़ रहा जनसैलाब क्या जीत का बनेगा आधार? - BJP upset due to akhilesh railly

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) की तैयारियों में जुटे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की रैलियों में जनसैलाब उमड़ रहा है. आइए जानते हैं क्या सपा की रैलियों में उमड़ रही भीड़ चुनाव जीतने में कितनी मददगार साबित होगी?

राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र.
राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र.
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Published : Dec 9, 2021, 5:18 PM IST

लखनऊः यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस समय ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं. अखिलेश यादव की रथयात्रा और चुनावी जनसभाओं में जनसैलाब उमड़ रहा है. जिससे कहीं न कहीं विपक्षी दल भी परेशान हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अब सीधा हमला अखिलेश यादव पर कर रहे हैं. आइए जानते हैं क्या सपा की रैलियों में उमड़ रही भीड़ अखिलेश यादव को दोबारा कुर्सी दिलाने में कारगर साबित होगी.

राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र.

अखिलेश यादव की रैलियों में उमड़ रहे हुजूम समाजवादी पार्टी को और अधिक उत्साहित कर दिया है. पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि वह एक प्लानिंग के तहत रैलियां कर रहे हैं. जिन जिलों के रैलियों में भीड़ उमड़ी है, वहां अभियान चलाकर लोगों को सपा से जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही सपा सरकार के दौरान हुए कामकाज की जानकारी दी जाएगी. सपा नेताओं का कहना है कि लोगों को बताया जाएगा कि सपा सरकार और भाजपा सरकार के कामकाज में कितना अंतर है.

पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि बेरोजगारी, किसानों की समस्या, महिला सुरक्षा सहित कई अन्य मुद्दों पर भाजपा सरकार की सच्चाई लोगों को बताकर सपा के साथ बनाये रखने काम किया जाएगा. जिससे रैलियों में जो भीड़ आई है वह वोट के रूप में तब्दील हो और इसका फायदा चुनाव में पार्टी को मिल सके. पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि 15 दिसम्बर से योजनाबद्ध तरीके से लोगों को जोड़ने का काम शुरू होगा.


राजनीतिक विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र का कहना है कि अखिलेश यादव ही नहीं सभी राजनीतिक दलों की रैलियों और सम्मेलनों में जो लोग आते हैं, वह किराए पर लाए जाते हैं. लोगों को अलग-अलग प्रलोभन देकर रैलियों में लाया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर अखिलेश यादव विपक्ष में रहकर इतनी अधिक भीड़ जुटा लेते हैं, तो यह सफलता कही जाएगी. योगेश मित्र का कहना है कि अखिलेश यादव इस भीड़ को वोट में कन्वर्ट करने में सफल होते दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह भी सही है कि समूची भीड़ वोट में कन्वर्ट नहीं होती है. भीड़ यहां जरूर बता देती है कौन सरकार बना रहा है और कौन नहीं बना रहा है.

इसे भी पढ़ें-UP Election 2022: ब्राह्मण कार्यकर्ताओं की 'फौज' के सहारे बसपा को कमबैक की उम्मीद

राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र कहते हैं कि अखिलेश यादव की रैली से सत्ता पक्ष यानी भारतीय जनता पार्टी परेशान है. जिस दिन अखिलेश यादव ने गाजीपुर से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर रथ यात्रा की शुरुआत की थी. उसी दिन रात में करीब 4:00 बजे बाराबंकी जिले में अखिलेश ने एक बड़ी जनसभा की थी, जिसमें 10 हजार से ज्यादा लोग थे. राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि अखिलेश यादव भीड़ को वोट को कन्वर्ट करने में सफल होंगे, यह साबित करने में वह सफल रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लाल टोपी पर बोलना पड़ रहा है. इससे यह बात स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी परेशान है. अखिलेश यादव के रैलियों में जो भीड़ उमड़ रही है, उससे यह बात कही जा सकती है कि सपा 2022 की चुनावी लड़ाई में बढ़त बना रही है.

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लखनऊः यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस समय ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं. अखिलेश यादव की रथयात्रा और चुनावी जनसभाओं में जनसैलाब उमड़ रहा है. जिससे कहीं न कहीं विपक्षी दल भी परेशान हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अब सीधा हमला अखिलेश यादव पर कर रहे हैं. आइए जानते हैं क्या सपा की रैलियों में उमड़ रही भीड़ अखिलेश यादव को दोबारा कुर्सी दिलाने में कारगर साबित होगी.

राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र.

अखिलेश यादव की रैलियों में उमड़ रहे हुजूम समाजवादी पार्टी को और अधिक उत्साहित कर दिया है. पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि वह एक प्लानिंग के तहत रैलियां कर रहे हैं. जिन जिलों के रैलियों में भीड़ उमड़ी है, वहां अभियान चलाकर लोगों को सपा से जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही सपा सरकार के दौरान हुए कामकाज की जानकारी दी जाएगी. सपा नेताओं का कहना है कि लोगों को बताया जाएगा कि सपा सरकार और भाजपा सरकार के कामकाज में कितना अंतर है.

पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि बेरोजगारी, किसानों की समस्या, महिला सुरक्षा सहित कई अन्य मुद्दों पर भाजपा सरकार की सच्चाई लोगों को बताकर सपा के साथ बनाये रखने काम किया जाएगा. जिससे रैलियों में जो भीड़ आई है वह वोट के रूप में तब्दील हो और इसका फायदा चुनाव में पार्टी को मिल सके. पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि 15 दिसम्बर से योजनाबद्ध तरीके से लोगों को जोड़ने का काम शुरू होगा.


राजनीतिक विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र का कहना है कि अखिलेश यादव ही नहीं सभी राजनीतिक दलों की रैलियों और सम्मेलनों में जो लोग आते हैं, वह किराए पर लाए जाते हैं. लोगों को अलग-अलग प्रलोभन देकर रैलियों में लाया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर अखिलेश यादव विपक्ष में रहकर इतनी अधिक भीड़ जुटा लेते हैं, तो यह सफलता कही जाएगी. योगेश मित्र का कहना है कि अखिलेश यादव इस भीड़ को वोट में कन्वर्ट करने में सफल होते दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह भी सही है कि समूची भीड़ वोट में कन्वर्ट नहीं होती है. भीड़ यहां जरूर बता देती है कौन सरकार बना रहा है और कौन नहीं बना रहा है.

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राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र कहते हैं कि अखिलेश यादव की रैली से सत्ता पक्ष यानी भारतीय जनता पार्टी परेशान है. जिस दिन अखिलेश यादव ने गाजीपुर से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर रथ यात्रा की शुरुआत की थी. उसी दिन रात में करीब 4:00 बजे बाराबंकी जिले में अखिलेश ने एक बड़ी जनसभा की थी, जिसमें 10 हजार से ज्यादा लोग थे. राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि अखिलेश यादव भीड़ को वोट को कन्वर्ट करने में सफल होंगे, यह साबित करने में वह सफल रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लाल टोपी पर बोलना पड़ रहा है. इससे यह बात स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी परेशान है. अखिलेश यादव के रैलियों में जो भीड़ उमड़ रही है, उससे यह बात कही जा सकती है कि सपा 2022 की चुनावी लड़ाई में बढ़त बना रही है.

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