लखनऊ: प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी के छोटे भाई की सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति की गई. इस नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया. दरअसल, यह नियुक्ति आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित (ईडब्ल्यूएस) कोटे में की गई. इसको लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. यह नियुक्ति पत्र 21 मई को जारी किया गया.
दो पद थे विभाग में
बेसिक शिक्षा मंत्री के छोटे भाई अरुण द्विवेदी की नियुक्ति सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर की गई है. कुलसचिव की ओर से शुक्रवार को उसका नियुक्ति पत्र जारी किया गया. नियुक्ति मनोविज्ञान विभाग में की गई. यहां असिस्टेंट प्रोफेसर के 2 पद थे. एक पद ओबीसी वर्ग और दूसरा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी के लिए आरक्षित था. इन पदों पर 2 नियुक्तियां की गई. डॉक्टर हरेंद्र शर्मा को ओबीसी पद और डॉक्टर अरुण कुमार द्विवेदी की नीति ईडब्ल्यूएस कोटे में की गई. डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के छोटे भाई हैं.
एक दिन पहले ही बढ़ा कुलपति का कार्यकाल
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति सुरेंद्र दुबे का कार्यकाल 21 मई को पूरा हो गया था. लेकिन सरकार ने 1 दिन पहले यानी 20 मई को उनका कार्यकाल नियमित कुलपति की नियुक्ति तक बढ़ा दिया. अब ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार इस पर अपना बचाव करता नजर आ रहा है. कुलपति डॉक्टर सुरेंद्र दुबे का कहना है कि सिर्फ दो नहीं बल्कि 7 नियुक्तियां हुई है. नियुक्तियां अभ्यर्थियों की योग्यता के आधार पर की गई है. बता दें, ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ सामान्यतः उन अभ्यर्थियों को दिया जाता है जिनकी फैमिली इनकम 8,00,000 वार्षिक से कम हो.
सोशल मीडिया पर आरोपों की बौछार
इस प्रकरण के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लगातार मंत्री और सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर आरोपों की बौछार लग गई है. आरोप यहां तक लग रहे हैं कि मंत्री ने अपनी पावर का इस्तेमाल करके छोटे भाई को नौकरी दिलवाई है. उधर, बेसिक शिक्षा मंत्री ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है. फिलहाल उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है.
इसे भी पढ़ें- अयोध्या में एक ही परिवार के 5 लोग की हत्या से सनसनी