लखनऊ : प्रदेश में तेजाब हमलों की घटनाएं फिर बढ़ने लगी हैं. पहले इस तरह की घटनाएं प्राय: प्रेम प्रसंगों में असफल होने या फिर बदला लेने की नीयत की की जाती थीं, किंतु पिछले कुछ वर्षों में हुई वारदातें बताती हैं कि अब तेजाब या एसिड घरेलू हिंसा में भी हथियार बन रहा है. यह तब है, जबकि तेजाब की खुली बिक्री पर प्रदेश सरकार ने रोक लगाई हुई है. हालांकि रोक के बावजूद खतरनाक तेजाब अपराधियों को आसानी से मिल जाता है और वह इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल भी कर लेते हैं.
वर्ष 2017 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया था कि वह सही एसडीएम स्तर के अधिकारी नियमितरूप से दुकानों का निरीक्षण कर इसकी जांच करें कि कहीं नियम विरुद्ध तरीके से तेजाब की बिक्री तो नहीं हो रही है. यदि कहीं ऐसा होता मिले तो उन्हें माल जब्त कर दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. ऐसे करने वालों पर 50 हजार रुपये कर का जुर्माना किया जा सकता है. यही नहीं शासन ने निर्देश दिया था कि हर माह इस तरह की कार्रवाई का ब्योरा गृह विभाग को देना होगा. अधिकृत दुकानदारों को उपलब्ध माल के लिए स्टॉक रजिस्टर भी बनाने के लिए कहा था, किंतु इस ओर प्रशासन का ध्यान ही नहीं है. मुख्य सचिव ने अपने शासनादेश में हर माह की सात तारीख को कार्रवाई का ब्यौरा देने का निर्देश भी दिया था, किंतु अब यह प्रक्रिया शिथिल हो हई है.
वर्ष 2015 में तेजाब की बिक्री के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश जारी किया था. इस आदेश में कहा गया था कि कोई भी दुकानदार एसिड की बिक्री तभी कर सकता है, जब उसके पास जब उसके पास खरीदार का पूरा ब्यौरा उपलब्ध हो. दुकानदार को बिक्री का ब्यौरा और बेची गई मात्रा का ब्यौरा भी रजिस्टर में लिखना होगा. शीर्ष अदालत ने यह निर्देश भी दिया था कि खरीददार यह भी बताए कि उसे एसिड किस लिए चाहिए और वह अपना फोटो पहचान पत्र भी दुकानदार को उपलब्ध कराए. दुकानदारों को हर 15 दिन में अपने स्टॉक ही जानकारी स्थानीय एसडीएम को भी देनी होगी. नाबालिगों को तेजाब बिक्री को भी शीर्ष अदालत ने प्रतिबंधित किया था. अदालत ने एसिड अटैक को जघन्य अपराध माना था. एसिड अटैक की ज्यादातर घटनाएं महिलाओं पर ही होती हैं, जिससे उनका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है.
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