लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने एक बार फिर से प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया. योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस ने कहा- उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस कर्मी पिछले एक हफ्ते से हड़ताल पर हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगें मानने के बजाय, दमन का रास्ता अपना रही है. यह सरकार की तानाशाही मानसिकता को दिखाता है. 23 जुलाई से प्रदेश के सभी जिलों में 102 और 108 एंबुलेंस के सभी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. प्रारंभ में तीन दिनों तक यह हड़ताल मात्र सांकेतिक था, लेकिन जब सरकार और शासन प्रशासन के द्वारा इसको गंभीरता से नहीं लिया गया, तब विवशतावश कर्मचारियों ने जिलों में चक्का जाम किया.
'प्रदेशभर में ठेके पर चलाया जा रहा है स्वास्थ्य विभाग'
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुधांशु बाजपेयी ने प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, सिर्फ एंबुलेंस सेवा ही नहीं उत्तर प्रदेश में पूरे स्वास्थ्य विभाग को ठेके पर चलाया जा रहा है. हर विभाग में कंपनियां कर्मचारियों का शोषण कर रही हैं. उनकी सुनने वाला कोई नहीं. इस बैकडोर से निजीकरण के चलते जनता को भी स्वास्थ्य सुविधाएं महंगी मिल रहीं हैं. ऊपर से उत्तम सुविधाएं भी नहीं मिल पातीं. ठेका व्यवस्था के कर्मियों और जनता दोनों का शोषण होता है.
कांग्रेस प्रवक्ता सुधांशु बाजपेयी ने कहा कि वर्तमान संकट के लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार है. सरकार हस्तक्षेप कर कर्मियों को न्याय दिलाने के बजाय कंपनी के साथ खड़ी हो गई. ऐसे में एंबुलेंस कर्मियों के लिए न्याय की उम्मीद बेमानी हो जाती है, जबकि पिछले कई महीनों से वेतन और तमाम अन्य सुविधाएं न मिलने की शिकायत कर्मी कंपनी के साथ ही सरकार से भी कर रहे थे. इनकी फरियाद न कंपनी ने सुनीं, और न ही सरकार ने. मजबूरन उन्हें यह रास्ता अपनाना पड़ा.
कांग्रेस स्पोकपर्सन सुधांशु (Congress spokesperson sudhanshu) ने कहा कि कल तक जो कोरोना वॉरियर्स थे, आज हक मांगने पर उन्हीं पर मुकदमा और आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून- एस्मा (Essential Services Maintenance Act) लगाया जा रहा है. योगी सरकार में हक की बात करना गुनाह हो गया है. योगी सरकार के अहंकार के चलते ही उप्र की जीवनधारा 108 और 102 सेवा थम गई है. सरकार संवाद के बजाय दमन पर उतारू है. दमन का रास्ता तानाशाही की ओर ले जाता है. एंबुलेंस कर्मियों की बात सुनने के बजाय योगी सरकार उनको डरा धमका रही है.
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उन्होंने कहा- योगी सरकार का यह रवैया असंवेदनशील है. एंबुलेंस कर्मियों के प्रति बर्ताव से स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति सरकार की संवेदनहीनता का पता चलता है. लोकतंत्र और व्यवस्था की बेहतरी का रास्ता कर्मचारियों से संवाद कर समस्याओं के हल से निकलेगा, दमन से नहीं.