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उत्तर प्रदेश में आईपीएस पर नहीं चला जोर, कुछ घंटे में वापस हो गया मुख्य सचिव का आदेश

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा दिया गया आदेश वापस हुआ है. जिससे पुलिस कप्तानों को राहत मिली है. कलेक्टर कानून व्यवस्था वाली बैठक की अध्यक्षता नहीं करेंगे. अधिकारियों को लखनऊ से फोन गया कि कप्तानी का जलवा पहले की तरह बरकरार रहेगा. मुख्य सचिव का आदेश पलट गया मतलब टॉप लेवल से स्वीकृति नहीं थी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 1, 2023, 7:38 PM IST

लखनऊ : प्रदेश में आईएएस और आईपीएस के बीच चल रही तनातनी अब और अधिक जोर पकड़ सकती थी. मुख्य सचिव के एक आदेश के मुताबिक कानून व्यवस्था को लेकर ऐसे जिले जहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू नहीं है वहां जिलाधिकारी पुलिस की कानून व्यवस्था के संबंध में बैठक करेगा. ऐसे में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को डीएम की अध्यक्षता वाली बैठक में बैठना होगा. जिससे एक बार फिर आईएएस और आईपीएस के बीच में अहम का टकराव होने की आशंका थी. वहीं सुभाष चन्द्र शर्मा को प्रमुख सचिव पिछड़ा वर्ग कल्याण और नरेंद्र भूषण को प्रमुख सचिव विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी दी गई है.

आईएएस हेमंत राव.
आईएएस हेमंत राव.

फिलहाल यूपी की ब्यूरोक्रेसी में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र का यह आदेश इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ था. इस आदेश को करने के केवल कुछ घंटे बाद ही शासन ने से वापस भी ले लिया है. प्रदेश के अनेक बड़े जिलों में कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस और प्रशासन के बीच का टकराव आए दिन की बात हो रही है. आईएएस और आईपीएस संवर्ग के बीच अधिकारों को लेकर रास्ताकशी बनी रहती है. माना जा रहा है कि IAS इन दोनों आईपीएस के मुकाबले कमजोर पड़ रहे हैं. ऐसे मुख्य सचिव का या आदेश ब्यूरोक्रेसी में नई हलचल पैदा कर सकता है. इस संबंध में हुई एक बैठक के बाद मुख्य सचिव ने सभी जिलों में यह आदेश जारी कर दिया है.

मुख्य सचिव ने बनाई थी यह व्यवस्था

कानून व्यवस्था एवं विकास कार्यों की बैठक पृथक-पृथक आहूत की जाए. यह बैठके प्रत्येक माह CM-डैशबोर्ड पर मासिक रैंकिंग के प्रकाशन के एक सप्ताह के भीतर की जाएं. विकास कार्यों की समीक्षा के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक की जाएगी. जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारी प्रतिभाग करेंगे. जिन जनपदों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू है, उन जनपदों में कानून-व्यवस्था की समीक्षा के लिए पुलिस आयुक्त की अध्यक्षता में बैठक की जाएगी. जिसमें अपर पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, पुलिस उप आयुक्त, सहायक पुलिस आयुक्त, वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी, डीजीसी एवं सभी थानाध्यक्ष प्रतिभाग करेंगे.

यह भी पढ़ें : लखनऊ: योगी सरकार ने आठ आईएएस, 10 पीसीएस अफसरों के किये तबादले

यूपी ब्यूरोक्रेसी में बदलाव: मंत्रियों की नाराजगी के बाद सरकार करेगी जल्द बड़े फेरबदल

लखनऊ : प्रदेश में आईएएस और आईपीएस के बीच चल रही तनातनी अब और अधिक जोर पकड़ सकती थी. मुख्य सचिव के एक आदेश के मुताबिक कानून व्यवस्था को लेकर ऐसे जिले जहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू नहीं है वहां जिलाधिकारी पुलिस की कानून व्यवस्था के संबंध में बैठक करेगा. ऐसे में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को डीएम की अध्यक्षता वाली बैठक में बैठना होगा. जिससे एक बार फिर आईएएस और आईपीएस के बीच में अहम का टकराव होने की आशंका थी. वहीं सुभाष चन्द्र शर्मा को प्रमुख सचिव पिछड़ा वर्ग कल्याण और नरेंद्र भूषण को प्रमुख सचिव विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी दी गई है.

आईएएस हेमंत राव.
आईएएस हेमंत राव.

फिलहाल यूपी की ब्यूरोक्रेसी में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र का यह आदेश इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ था. इस आदेश को करने के केवल कुछ घंटे बाद ही शासन ने से वापस भी ले लिया है. प्रदेश के अनेक बड़े जिलों में कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस और प्रशासन के बीच का टकराव आए दिन की बात हो रही है. आईएएस और आईपीएस संवर्ग के बीच अधिकारों को लेकर रास्ताकशी बनी रहती है. माना जा रहा है कि IAS इन दोनों आईपीएस के मुकाबले कमजोर पड़ रहे हैं. ऐसे मुख्य सचिव का या आदेश ब्यूरोक्रेसी में नई हलचल पैदा कर सकता है. इस संबंध में हुई एक बैठक के बाद मुख्य सचिव ने सभी जिलों में यह आदेश जारी कर दिया है.

मुख्य सचिव ने बनाई थी यह व्यवस्था

कानून व्यवस्था एवं विकास कार्यों की बैठक पृथक-पृथक आहूत की जाए. यह बैठके प्रत्येक माह CM-डैशबोर्ड पर मासिक रैंकिंग के प्रकाशन के एक सप्ताह के भीतर की जाएं. विकास कार्यों की समीक्षा के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक की जाएगी. जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारी प्रतिभाग करेंगे. जिन जनपदों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू है, उन जनपदों में कानून-व्यवस्था की समीक्षा के लिए पुलिस आयुक्त की अध्यक्षता में बैठक की जाएगी. जिसमें अपर पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, पुलिस उप आयुक्त, सहायक पुलिस आयुक्त, वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी, डीजीसी एवं सभी थानाध्यक्ष प्रतिभाग करेंगे.

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