लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल मई महीने में आयोजित विधानसभा सदन की कार्यवाही के दौरान विधायकों को बढ़ी हुई विधायक निधि का तोहफा दिया था. इसके बावजूद नया वित्तीय वर्ष शुरू होने को है और विधायकों की बढ़ी हुई विधायक निधि अब तक उनके खाते में नहीं पहुंची है. इससे विधायकों में काफी निराशा भी है. चौंकाने वाली बात यह भी है कि विधायक निधि से 18 फीसदी की कटौती भी हो रही है. इससे सत्ता पक्ष से लेकर विपक्षी विधायक भी काफी नाराज हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में विधायकों की निधि को तीन करोड़ रुपये से बढ़ाकर ₹5 करोड़ किया था. साथ ही 18 फ़ीसदी भी विधायक निधि से ही लिए जाने का प्रावधान किया गया.
ईटीवी भारत ने इस विषय को लेकर अलग अलग राजनीतिक दलों के विधायकों से बात की तो उन्होंने इसे गंभीर विषय बताया और कहा कि यह सदन की गरिमा के खिलाफ है. जब कोई बात विधानमंडल के सदन में कही जाती है उसका पालन करना सभी की जिम्मेदारी होती है, लेकिन जब सत्ता पक्ष की तरफ से किसी बात को कहना और किसी बात का ऐलान करना हो और फिर उस पर कायम ना रहना, इससे तमाम तरह से संदेश ठीक नहीं जाता. सीएम ने खुद को सदन में विधायक निधि तीन करोड़ रुपये से बढ़ाकर ₹5 करोड़ किया था, लेकिन वित्तीय वर्ष 31 मार्च को समाप्त हो रहा है. इसके बावजूद विधायकों को बढ़ी हुई दो करोड़ रुपये की धनराशि उनके खाते में नहीं पहुंच पाई है. अब राज्य सरकार का नया बजट भी 22 फरवरी यानी कल पेश हो रहा है. जिसको लेकर आगामी वित्तीय वर्ष में ही बढ़ी हुई विधायक निधि मिलने की उम्मीद है.
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा उर्फ मोना ने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान विधायक निधि बढ़ाए जाने का मुद्दा हमने उठाया था. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में विधायक निधि 5 करोड़ रुपये करने की घोषणा की थी. विधायक निधि के माध्यम से विधायक अपने क्षेत्र का विकास करते हैं, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि सदन में घोषणा करने के बावजूद हम जैसे विधानसभा सदस्यों को बढ़ी हुई विधायक निधि नहीं मिली चौंकाने वाली बात तो यह है कि विधायक निधि से 18 फीसद जीएसटी की भी कटौती की गई है. सरकार को 18 फीसद जीएसटी की व्यवस्था अतिरिक्त रूप से करनी चाहिए. इससे विधायक निधि में कटौती होती है और यह एक टेक्निकल विषय भी है. हम सबने सर्वदलीय बैठक में भी इस विषय को उठाया है अन्य विधानसभा सदस्यों ने भी इस विषय को सरकार के समक्ष पेश किया है.
बहुजन समाज पार्टी के विधायक दल के नेता उमाशंकर सिंह ने कहा कि जीएसटी 18 फीसद कट रही है. सरकार को अतिरिक्त रूप से जीएसटी के 18 फीसद का पैसा देना चाहिए, लेकिन इसमें अभी कुछ तकनीकी समस्या आ रही है. जीएसटी काउंसिल में यह विषय तय हो चुका है. वहीं 3 करोड़ रुपये से पांच करोड़ रुपये निधि के विषय की जहां तक बात है उस समय बजट आ चुका था. बजट के बाद के सत्र में मुख्यमंत्री ने सदन में ऐलान किया था. इस बार उम्मीद है कि जो बजट आने वाला है सरकार इतनी व्यवस्था कराएगी. इसके अलावा विधायक निधि बढ़ा कर देने का काम सरकार करेगी. स्वाभाविक रूप से विधायक निधि बढ़ने का सदन में मुख्यमंत्री ने ऐलान किया था. बढ़ी हुई निधि न मिलने से विधायकों में नाराजगी है. सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए.
समाजवादी पार्टी के विधायक संग्राम सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में इस बात का ऐलान किया था. सदन की अपनी एक गरिमा होती है. सदन में कही हुई बात को पूरा करना होता है, नहीं करना लोकतंत्र का अपमान होता है. सदन में कहीं भी बात को विश्वास के रूप में लिया जाता है, लेकिन विधायक निधि ₹5 करोड़ किए जाने के बावजूद भी सदस्यों को बढ़ी हुई विधायक निधि नहीं मिली. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार को इस बारे में ध्यान देना चाहिए. इस बजट में इसकी व्यवस्था करनी चाहिए. जिससे क्षेत्र में विधायक लोग अपने विकास कार्य कार्यों को आगे बढ़ा सके. इस पूरे विषय में संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पिछली बार बजट आने के बाद विधायक निधि बढ़ने की बात कही गई थी. बजट में इसका प्रावधान नहीं हुआ था. इस वजह से बढ़ी हुई विधायक निधि मौजूदा वित्तीय वर्ष में विधायकों को नहीं मिल पाई. नए वित्तीय वर्ष में यह व्यवस्था की जा रही है कि सभी सदस्यों को बढ़ी हुई विधायक निधि की सुविधा मिल सके. जिससे वह लोग क्षेत्र में और अधिक विकास कार्य करा सकेंगे.