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UP Budget 2023 : शिक्षा-स्वास्थ्य को मिला सबसे ज्यादा बजट, छोटे विभागों के लिए अर्थशास्त्रियों ने कही यह बात

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से हर वर्ग के लोगों को काफी उम्मीदें हैं. बुधवार को वर्ष 2023 के लिए पेश होने वाले बजट में प्रावधानों को लेकर अर्थशास्त्रियों ने भी कुछ प्रावधानों को लेकर आकलन किया है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि योगी सरकार के पिछले बजट को देखते हुए इस बार कुछ अलग अंदाज देखने को मिल सकता है.

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Published : Feb 21, 2023, 7:38 PM IST

यूपी के बजट पर विशेषज्ञों ने कही यह बात.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कल विधानसभा में अपना बजट पेश करेगी. इस बजट से प्रदेशवासियों को काफी उम्मीदें हैं. अभी तक विधानसभा में जो बजट पेश किया गया है उनमें शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकार का ध्यान केंद्रित रहा है. ऐसे में इन विभागों को फिर से बड़ी धनराशि मिलने की उम्मीद है. वहीं जिन विभागों को अब तक कम बजट आवंटित होता था, उन्हें भी इस बार सरकार के बजट से काफी आशाएं हैं. योगी सरकार की तरफ से पेश होने वाले बजट को लेकर अर्थशास्त्री एपी तिवारी का कहना है कि उम्मीद है सरकार का यह बजट सभी विभागों और जनता की आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर आएगा. सभी विभागों का बजट आवंटन में पूरा ख्याल रखा जाएगा.


वरिष्ठ अर्थशास्त्री एपी तिवारी का कहना है कि अगर देखा जाए तो उत्तर प्रदेश के बजट के एलोकेशन को तो सबसे ज्यादा तरजीह इंफ्रास्ट्रक्चर को दी जा रही है. जब हम इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं तो इंफ्रास्ट्रक्चर सामाजिक भी है. सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो इसमें शिक्षा और विशेष रूप में कोविड-19 के बाद जो परिदृश्य है. उसमें स्वास्थ्य सेवाएं हैं तो स्वास्थ्य और शिक्षा को बजट मिलता रहा है. जहां तक सामाजिक अवस्थापना की बात है सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात है और इसके साथ भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार फोकस कर रही है. उसकी बड़ी वजह यह है कि अगर भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर रोड, ब्रिजेज, एक्सप्रेस वे, एयरपोर्ट्स इनकी स्थिति बेहतर होगी तो इससे निजी निवेश भी आकर्षित होगा. जब निजी निवेश बढ़ेगा तो सार्वजनिक निवेश की गति और तेजी से बढ़ेगी.

अगर यह माना जाए कि विगत वर्षों में बजट एलॉटमेंट रहा है. जो प्रमुख क्षेत्र ले लें उनमें सबसे ज्यादा शिक्षा को बजट मिला है. कुल बजट का लगभग साढ़े 13 फीसद जाता रहा है, जबकि स्वास्थ्य को इससे कम बजट मिलता है. साढ़े 13 फीसद जो शिक्षा को दिया गया है बावजूद इसके यह अखिल भारतीय स्तर पर जो सभी राज्यों का औसत ले लिया जाए तो उसके मुकाबले कम रहा है. वाटर सप्लाई पर जो खर्च रहा है वह साढ़े छह फीसद के करीब रहा है. मैं मानता हूं कि इस बजट में जो प्राथमिकता सरकार की होगी वह खेती का क्षेत्र है जो प्राथमिकता का क्षेत्र बना रहेगा. खेती, किसानी के विधिकरण की बात हो रही है जैसे मोटे अनाज की खेती है प्राकृतिक खेती है तो प्राकृतिक खेती करने वाले मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को कोई विशेष प्रोत्साहन सरकार दे सकती है.


उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में मैं समझता हूं कि सरकार फिर अधिक खर्च करेगी. इसके साथ ही स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं की बेहतरी के लिए बजट में फोकस रहेगा. युवाओं के लिए किस तरह रोजी रोटी का इंतजाम हो कौशल विकास के जरिए उन्हें स्वरोजगार की क्षमता को बढ़ाने के लिए खर्चे को भी प्राथमिकता दी जाएगी. इसके साथ ही साथ अगर देखा जाए जो लोग संकल्प पत्र बीजेपी का रहा है उसमें जो वादे किए गए थे उनको भी पूरा करने की कोशिश होगी. महिलाओं के विकास को, महिलाओं के सशक्तिकरण को भी बजट में खासी तरजीह दी जा सकती है.

यह भी पढ़ें : UP Budget 2023 : सीएम के ऐलान के बाद भी नहीं मिली बढ़ी हुई विधायक निधि, राजनीतिक दलों ने कही यह बात

यूपी के बजट पर विशेषज्ञों ने कही यह बात.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कल विधानसभा में अपना बजट पेश करेगी. इस बजट से प्रदेशवासियों को काफी उम्मीदें हैं. अभी तक विधानसभा में जो बजट पेश किया गया है उनमें शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकार का ध्यान केंद्रित रहा है. ऐसे में इन विभागों को फिर से बड़ी धनराशि मिलने की उम्मीद है. वहीं जिन विभागों को अब तक कम बजट आवंटित होता था, उन्हें भी इस बार सरकार के बजट से काफी आशाएं हैं. योगी सरकार की तरफ से पेश होने वाले बजट को लेकर अर्थशास्त्री एपी तिवारी का कहना है कि उम्मीद है सरकार का यह बजट सभी विभागों और जनता की आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर आएगा. सभी विभागों का बजट आवंटन में पूरा ख्याल रखा जाएगा.


वरिष्ठ अर्थशास्त्री एपी तिवारी का कहना है कि अगर देखा जाए तो उत्तर प्रदेश के बजट के एलोकेशन को तो सबसे ज्यादा तरजीह इंफ्रास्ट्रक्चर को दी जा रही है. जब हम इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं तो इंफ्रास्ट्रक्चर सामाजिक भी है. सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो इसमें शिक्षा और विशेष रूप में कोविड-19 के बाद जो परिदृश्य है. उसमें स्वास्थ्य सेवाएं हैं तो स्वास्थ्य और शिक्षा को बजट मिलता रहा है. जहां तक सामाजिक अवस्थापना की बात है सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात है और इसके साथ भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार फोकस कर रही है. उसकी बड़ी वजह यह है कि अगर भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर रोड, ब्रिजेज, एक्सप्रेस वे, एयरपोर्ट्स इनकी स्थिति बेहतर होगी तो इससे निजी निवेश भी आकर्षित होगा. जब निजी निवेश बढ़ेगा तो सार्वजनिक निवेश की गति और तेजी से बढ़ेगी.

अगर यह माना जाए कि विगत वर्षों में बजट एलॉटमेंट रहा है. जो प्रमुख क्षेत्र ले लें उनमें सबसे ज्यादा शिक्षा को बजट मिला है. कुल बजट का लगभग साढ़े 13 फीसद जाता रहा है, जबकि स्वास्थ्य को इससे कम बजट मिलता है. साढ़े 13 फीसद जो शिक्षा को दिया गया है बावजूद इसके यह अखिल भारतीय स्तर पर जो सभी राज्यों का औसत ले लिया जाए तो उसके मुकाबले कम रहा है. वाटर सप्लाई पर जो खर्च रहा है वह साढ़े छह फीसद के करीब रहा है. मैं मानता हूं कि इस बजट में जो प्राथमिकता सरकार की होगी वह खेती का क्षेत्र है जो प्राथमिकता का क्षेत्र बना रहेगा. खेती, किसानी के विधिकरण की बात हो रही है जैसे मोटे अनाज की खेती है प्राकृतिक खेती है तो प्राकृतिक खेती करने वाले मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को कोई विशेष प्रोत्साहन सरकार दे सकती है.


उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में मैं समझता हूं कि सरकार फिर अधिक खर्च करेगी. इसके साथ ही स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं की बेहतरी के लिए बजट में फोकस रहेगा. युवाओं के लिए किस तरह रोजी रोटी का इंतजाम हो कौशल विकास के जरिए उन्हें स्वरोजगार की क्षमता को बढ़ाने के लिए खर्चे को भी प्राथमिकता दी जाएगी. इसके साथ ही साथ अगर देखा जाए जो लोग संकल्प पत्र बीजेपी का रहा है उसमें जो वादे किए गए थे उनको भी पूरा करने की कोशिश होगी. महिलाओं के विकास को, महिलाओं के सशक्तिकरण को भी बजट में खासी तरजीह दी जा सकती है.

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