लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को सदन में यूपी का बजट 2023-24 पेश किया. इसमें चिकित्सा जगत में प्रदेश सरकार ने काफी फोकस किया. इतना ही नहीं, बल्कि एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज योजना के तहत प्रदेश के 45 जनपद में मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं. इसके अलावा 14 जिलों में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं. 14 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना एवं संचालन के लिए 2,491 करोड़ 39 लाख रुपये की व्यवस्था की गई है. असाध्य रोगों (जो बीमारी कभी सही न हो) की चिकित्सा के लिए 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है.
प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. 'एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज' की योजना के तहत प्रदेश के 45 जनपद मेडिकल कॉलेज से आच्छादित किए जा चुके हैं. 14 जनपदों में मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन हैं. असेवित 16 जनपदों में मेडिकल कॉलेजों की स्थापना पीपीपी मॉडल पर की जा रही है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश इन्स्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट की स्थापना के लिए 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है. स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों में नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना के लिए 26 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. प्रदेश में स्थित सरकारी एवं निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों व चिकित्सा विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस की कुल 8528 सीटें उपलब्ध हो गई हैं. प्रदेश में स्थित सरकारी एवं निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों व चिकित्सा विश्वविद्यालयों में वर्ष 2022-2023 में पीजी की कुल 2,847 सीटें हो गई हैं.
वर्ष 2022 में लगभग 300 संस्थानों में नर्सिंग व पैरामेडिकल पाठ्यक्रम प्रारम्भ हुए हैं. प्रदेश में राजकीय पैरामेडिकल कॉलेजों की संख्या 17 से बढ़ाकर 19 की गई. जबकि, निजी क्षेत्र के नर्सिंग स्कूलों की संख्या 287 से बढ़ाकर 351 की गई. टर्शियरी चिकित्सा सुविधा को सुदृढ़ किए जाने के क्रम में एसजीपीजीआई लखनऊ के 558 बेड के इमरजेंसी मेडिसिन एवं रीनल ट्रान्सप्लान्ट केंद्र की स्थापना की गई. एसजीपीजीआई में लीवर ट्रान्सप्लान्ट सेंटर व एडवांस डायबिटिक सेंटर की स्थापना की गई है. राजकीय मेडिकल कॉलेज, मेरठ, प्रयागराज एवं केजीएमयू लखनऊ में डायबिटिक रेटिनोपैथी की स्थापना की गई है. राम मनोहर लोहिया संस्थान, लखनऊ में एडवान्स्ड न्यूरोसाइंस केंद्र का कार्य प्रगति पर है. 14 मंडलीय कार्यालयों और प्रयोगशालाओं में भवन निर्माण, मशीनों और उपकरणों के लिए 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है.
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