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भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल लगभग एक साल का हुआ पूरा, संगठन का पुनर्गठन अभी तक अधूरा

लोकसभा चुनाव के आगाज में सिर्फ छह महीने का समय बचा है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के कार्यकाल का एक साल होने वाला है. इसके बावजूद अभी तक भाजपा संगठन का पुनर्गठन नहीं हो सका है. ऐसे में लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर नेताओं के बीच ऊहापोह की स्थिति है.

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Published : Aug 11, 2023, 11:07 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी को अपने पद पर आए हुए लगभग एक साल पूरा हो चुका है. उनकी ज्वाइनिंग 25 अगस्त 2022 को हुई थी. प्रदेश अध्यक्ष की ज्वाइनिंग को भले ही लगभग एक साल पूरा हो चुका हो इसके बावजूद अभी तक प्रदेश संगठन का शत प्रतिशत पुनर्गठन नहीं हो सका. संगठन में अभी प्रदेश पदाधिकारी और क्षेत्रीय स्तर पर परिवर्तन हुआ है, मगर जिलों में जिला अध्यक्ष, विभागों और मोर्चे के पदाधिकारी में कोई बदलाव नहीं किया गया है. लोकसभा चुनाव के आगाज में सिर्फ छह महीने का समय बचा हुआ है. जबकि कार्यकाल पूरा होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी में बदलाव न होने से नेताओं के बीच ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. लगातार यह कहा जा रहा है कि बहुत जल्द ही परिवर्तन होगा और संगठन में तब्दीली हो जाएगी, मगर अगस्त की 10 तारीख बीत जाने के बावजूद अब तक संगठन में बदलाव का कोई संकेत सामने नहीं आ रहा है. ऐसे में लोकसभा चुनाव की तैयारी में पार्टी कब जीतेगी यह भी एक बड़ा सवाल है.

भाजपा संगठन के पुनर्गठन पर गहराता संशय.
भाजपा संगठन के पुनर्गठन पर गहराता संशय.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का के कार्यकाल का एक साल इसी माह पूरा हो जाएगा. अपने इस साढ़े ग्यारह महीने के कार्यकाल में वे संगठन का पुनर्गठन अब तक नहीं कर सके हैं. सभी मोर्चे और विभागों में पदाधिकारी बदलाव का इंतजार कर रहे हैं. जिला अध्यक्षों की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद सूची की घोषणा नहीं की गई है. लोकसभा चुनाव में अब केवल 6 महीने का समय बचा हुआ है.

भाजपा संगठन के पुनर्गठन पर गहराता संशय.
भाजपा संगठन के पुनर्गठन पर गहराता संशय.




भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश का मीडिया विभाग हो या सोशल मीडिया या आईटी विभाग. इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण विभाग जो की पार्टी के कार्यक्रमों और अभियानों का प्रबंधन करते हैं. उनसे जुड़े पदाधिकारी भी इन दिनों काम से ज्यादा अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो रहे. उनको नहीं पता है कि आने वाले समय में उनका दायित्व रहेगा या बदल जाएगा. ऐसे में पार्टी का लोकसभा अभियान प्रभावित होने की पूरी आशंका व्यक्त की जा रही है. मांग की जा रही है कि निकट भविष्य में हर हाल में यह बदलाव जरूरी हो गए हैं.

यह भी पढ़ें : UP Assembly : सीएम योगी ने शिवपाल यादव का नाम लेकर अखिलेश यादव पर कसे तंज, चच्चू कहकर किया संबोधित

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी को अपने पद पर आए हुए लगभग एक साल पूरा हो चुका है. उनकी ज्वाइनिंग 25 अगस्त 2022 को हुई थी. प्रदेश अध्यक्ष की ज्वाइनिंग को भले ही लगभग एक साल पूरा हो चुका हो इसके बावजूद अभी तक प्रदेश संगठन का शत प्रतिशत पुनर्गठन नहीं हो सका. संगठन में अभी प्रदेश पदाधिकारी और क्षेत्रीय स्तर पर परिवर्तन हुआ है, मगर जिलों में जिला अध्यक्ष, विभागों और मोर्चे के पदाधिकारी में कोई बदलाव नहीं किया गया है. लोकसभा चुनाव के आगाज में सिर्फ छह महीने का समय बचा हुआ है. जबकि कार्यकाल पूरा होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी में बदलाव न होने से नेताओं के बीच ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. लगातार यह कहा जा रहा है कि बहुत जल्द ही परिवर्तन होगा और संगठन में तब्दीली हो जाएगी, मगर अगस्त की 10 तारीख बीत जाने के बावजूद अब तक संगठन में बदलाव का कोई संकेत सामने नहीं आ रहा है. ऐसे में लोकसभा चुनाव की तैयारी में पार्टी कब जीतेगी यह भी एक बड़ा सवाल है.

भाजपा संगठन के पुनर्गठन पर गहराता संशय.
भाजपा संगठन के पुनर्गठन पर गहराता संशय.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का के कार्यकाल का एक साल इसी माह पूरा हो जाएगा. अपने इस साढ़े ग्यारह महीने के कार्यकाल में वे संगठन का पुनर्गठन अब तक नहीं कर सके हैं. सभी मोर्चे और विभागों में पदाधिकारी बदलाव का इंतजार कर रहे हैं. जिला अध्यक्षों की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद सूची की घोषणा नहीं की गई है. लोकसभा चुनाव में अब केवल 6 महीने का समय बचा हुआ है.

भाजपा संगठन के पुनर्गठन पर गहराता संशय.
भाजपा संगठन के पुनर्गठन पर गहराता संशय.




भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश का मीडिया विभाग हो या सोशल मीडिया या आईटी विभाग. इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण विभाग जो की पार्टी के कार्यक्रमों और अभियानों का प्रबंधन करते हैं. उनसे जुड़े पदाधिकारी भी इन दिनों काम से ज्यादा अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो रहे. उनको नहीं पता है कि आने वाले समय में उनका दायित्व रहेगा या बदल जाएगा. ऐसे में पार्टी का लोकसभा अभियान प्रभावित होने की पूरी आशंका व्यक्त की जा रही है. मांग की जा रही है कि निकट भविष्य में हर हाल में यह बदलाव जरूरी हो गए हैं.

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