लखनऊ: लॉकडाउन के बाद अब जब बाजार धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है, तो जाली नोटों के कारोबारी भी फिर से अपनी जड़ें सूबे में जमा रहे हैं. आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने इसकी छानबीन शुरू की है. जाली नोट तस्कर सदर अली की तीन दिन पूर्व नोएडा से गिरफ्तारी के बाद एटीएस की नजर उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों पर है. एटीएस सदर अली की पत्नी मुमताज की भी तलाश कर रही है. मुमताज पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित है. एटीएस सूत्रों के अनुसार सदर अली का नेटवर्क बरेली, कानपुर नगर और लखनऊ समेत अन्य शहरों में था. वह यूपी के कई तस्करों को पाकिस्तान से आने वाले जाली नोटों की सप्लाई करता था.
सप्लायरों की तलाश जारी
बीते कुछ महीनों में भी नकली नोटों की सप्लाई किए जाने के तथ्य सामने आए हैं. उनके आधार पर इस गिरोह से जुड़े सप्लायरों की तलाश की जा रही है. पूर्व में पकड़े गए कई तस्करों के बारे में भी पड़ताल शुरू की गई है. यूपी में बांदा से जुड़े कई गिरोह पश्चिम बंगाल से जाली नोट लाकर उनकी सप्लाई लखनऊ, एनसीआर और दिल्ली समेत अन्य शहरों में कर रहे हैं. इस गिरोह के कई सदस्य पूर्व में पकड़े भी जा चुके हैं. उनसे पूछताछ में सामने आया था कि जाली नोट पाकिस्तान से बंगलादेश और नेपाल के जरिए यहां सप्लाई किए जा रहे हैं.
जाली नोटों के तस्कारों पर शिकंजा
जाली नोटों की तस्करी में फरार चल रहे मालदा (पश्चिम बंगाल) निवासी 25 हजार रुपये के इनामी सदर अली को 24 मार्च को एटीएस ने नोएडा के महामाया फ्लाई ओवर के पास गिरफ्तार किया था. सदर अली को इससे पूर्व पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वर्ष 2010 में चार लाख रुपये के जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया गया था. तब वह तीन माह बाद जमानत पर छूटकर बाहर आ गया था. इससे पहले एक नवंबर 2020 को तहसीन खान और वसीम खान को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 5.97 लाख रुपये के जाली नोट बरामद किए गए थे.
गिरफ्तार तस्करों के खिलाफ एटीएस के लखनऊ स्थित थाने में एफआइआर दर्ज की गई थी. एटीएस अधिकारियों के अनुसार तहसीन और वसीम से पूछताछ में सामने आया था कि उन्हें जाली नोट पश्चिम बंगाल में सदर अली और उसकी पत्नी मुमताज से मिले थे.