लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र का चौथा दिन सबसे खास रहा. विधानसभा अध्यक्ष ने 22 सितंबर के दिन को महिला विधायकों को समर्पित करने की घोषणा की. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा यूपी विधानसभा ने सबसे पहले देश में यह पहल की है कि सत्र का एक दिन महिलाओं के लिए स्पेशल होना चाहिए. यह फैसला विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में लिया गया था, जिसका समर्थन यूपी के सभी राजनीतिक दलों ने किया. गुरुवार को महिला सशक्तिकरण को समर्पित इस सत्र में योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव भी मौजूद रहे. यूपी विधान परिषद में भी सदन की कार्यवाही महिला एमएलसी के समर्पित रही.
इस विशेष आयोजन से पहले सीएम योगी आदित्नाथ ने महिला सदस्यों को पत्र लिखकर महिला सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी थी. उत्तरप्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के चौथे दिन सदन में मौजूद सभी महिला विधायकों को प्रश्नकाल में सवाल पूछने का मौका दिया गया. इसके अलावा सदन में महिला सशक्तिकरण से जुड़े विषयों पर महिला सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया. चौथे दिन सदन की कार्रवाई खुशनुमा माहौल में शुरू हुआ. इस दौरान कई ऐसे मौके आए, जब विपक्ष और सत्ता पक्ष एक-दूसरे पर कसे गए तंज पर भी नाराज नहीं हुए.
विधानसभा सत्र के चौथे दिन नेता सदन सीएम योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं के लिए एक दिन समर्पित रखने का प्रस्ताव रखा. इस मौके पर सीएम योगी ने महार्षि वेदव्यास के श्लोक को पढ़कर सुनाया. .नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गति:। नास्ति मातृसमं त्राणं. नास्ति मातृसमा प्रिया. इस श्लोक का अर्थ बताते हुए सीएम योगी ने कहा कि मां के समान कोई छाया नहीं, मां के सामान कोई सहारा भी नहीं, मां के सामान कोई रक्षक भी नहीं और मां के सामान कोई प्रिय भी नहीं होता है. अपने संबोधन में योगी आदित्यनाथ ने भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए हासिल की गई उपलब्धियों पर भी चर्चा की.
उन्होंने कहा कि मातृ शक्ति के प्रति सम्मान का भाव हर नागरिक के मन में आ जाए तो समस्याएं दूर हो जाएंगी. भारत के अंदर बिना भेदभाव के पहले निर्वाचन से पुरुष और महिला को अपना मत देने का अधिकार है. इंग्लैंड जैसे कई देशों में यह अधिकार भारत के बाद मिला. भले वहां लोकतंत्र पहले से रहा हो. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मैं पुरुष विधायकों से भी कहूंगा कि वे आज सुनें. कुछ गलत किया है तो आज रात घर जाकर कान पकड़ कर माफी मांगे. इस बयान पर सदन में जमकर ठहाके लगे. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव भी ठहाके लगाते नजर आए.
उत्तरप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने भी इस मौके पर महिला सशक्तिकरण पर बल दिया. अखिलेश यादव ने कहा कि महिलाओं ने भी आजादी से लेकर महत्वपूर्ण जगहों में भूमिका निभाई है. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को कोई भूल नहीं सकता . उन्होंने अपने संबोधन में अवंती बाई लोधी, चांदबीबी और अहिल्याबाई होलकर को भी याद किया. अखिलेश यादव ने कहा कि सदन में महिला सदस्यों की संख्या लगातार बढ़ रही है, यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है. विधानसभा में सभी दलों की महिला जनप्रतिनिधियों की संख्या 47 है. उन्होंने सरकार से महिलाओं के खिलाफ हेट क्राइम पर जीरो टॉलरेंस की मांग की. साथ ही विधायिका में 33 फीसदी आरक्षण देने की वकालत की. अपने संबोधन के दौरान हल्के-फुल्के पलों में उन्होंने विधानसभा में बेहतर चाय की व्यवस्था के लिए सीएम योगी की तारीफ की.
यूपी विधान परिषद में भी सदन की कार्यवाही महिला एमएलसी के समर्पित रही. मगर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर विधान परिषद में जमकर हंगामा हुआ. इस कारण विधान परिषद की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर सपा विधान परिषद में स्थगन प्रस्ताव लाई थी. सरकार की ओर से उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय है. यह राज्य सरकार का विषय ही नहीं. इसलिए सदन में चर्चा संभव नहीं है. इस जवाब से नाराज समाजवादी पार्टी के सदस्य वेल में आ गए. जिसपर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा महिला विरोधी है. महिलाओं को बोलने से रोका गया. इस दौरान सपा विधायकों का हंगामा देखते हुए विधान परिषद को आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया.