लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट होते ही राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने कील-कांटे दुरुस्त करने में लग गईं हैं. बीजेपी से लेकर कांग्रेस, बसपा और सपा अब जनता से जुड़ने के लिए नए-नए तरकीब आजमा रही हैं. कोरोना वायरस की दूसरी लहर में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुली तो विपक्षी योगी सरकार पर हमलावर हो गई. अब तक योगी सरकार पर विपक्ष के सभी हमले और बयानबाजी सिर्फ सोशल मीडिया पर ही दिखती थी, इस बीच जनता से जुड़ाव कहीं गायब था. स्थिति को भांपते हुए प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा सड़कों पर उतर आई.
कोरोना की दूसरी लहर में हुई लोगों की मौत और प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता लखनऊ की सड़कों पर आ गए. सोमवार को समाजवादी पार्टी ने कोरोना से मरीजों की हुई मौत को सरकार का फेलियर बताते हुए लखनऊ में मृत आत्मा की शांति के लिए कैंडल मार्च निकाला. मार्च के दौरान समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन भी देखने को मिला. समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष सुशील अवस्थी के नेतृत्व में कैसरबाग स्तिथ सपा जिला कार्यालय से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने कैंडल मार्च निकाला. हालांकि पुलिस के पुख्ता इंतजाम और बैरिकेटिंग के आगे सपाई बेबस नजर आए.
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समाजवादी पार्टी द्वारा कैंडल मार्च प्रदर्शन के दौरान महानगर अध्यक्ष व मार्च का नेतृत्व कर रहे समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष सुशील दीक्षित ने बताया कि वे सभी लोग कोरोना में अब तक लखनऊ में हुई तमाम मौतों पर मृतकों को श्रद्धांजलि देने एकत्रित हुए थे. हालांकि पुलिस ने बैरिकेटिंग लगाकर रोक लिया जिस वजह से हम सभी को सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करना पड़ा. स्वास्थ्य-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि लखनऊ में हमने वो मंजर देखा जो अब तक नहीं देखा था. न जाने कितनी ही मौतें हो गयी. उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वे सही होती तो कोरोना से लखनऊ में इतनी मौतें न होती. एडीसीपी वेस्ट राजेश श्रीवास्तव के समझाने के बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने धरना खत्म किया.
इस पूरे मामले पर एडीसीपी पश्चिम राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि समाजवादी पार्टी ने प्रस्तावित मार्च की किसी को कोई सूचना नही दी थी. न ही जिला प्रशासन और न ही नगर निगम इत्यादि से कोई अनुमति ली थी. मार्च के दौरान कोरोना गाइडलाइन्स का पालन भी नहीं दिखा. कई लोगों के मास्क उतरे हुए थे जिन्हें समझाया गया. पुलिस बल द्वारा बैरिकेटिंग लगाकर उन्हें आगे बढ़ने से रोका गया और मार्च खत्म कर घर वापस भेज दिया गया.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन
एक तरफ जहां सपा कार्यकर्ता कोरोना काल में हुई मौतों के बाद मृत आत्मा को श्रद्धांजलि देने के लिए राजधानी की सड़कों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस महिला कार्यकर्ता अयोध्या में जमीन खरीद मामले में घोटाले का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री आवास पर सरकार के खिलाफ धरना देते नजर आईं.
बता दें कि बीते हफ्ते कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर कार्यकर्ता पेट्रोल-डीजल के दाम और महंगाई के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन किया. लखनऊ में भी कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतरने को बेताब दिखे. हालांकि राजधानी की सड़कों पर कोई अव्यवस्था फैलती इसके पहले ही पुलिस ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर आंदोलन समाप्त करा दिया.
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संजय सिंह के आरोपों पर राजनीति गर्म
उत्तर प्रदेश में सियासी जमीन तलाश रहे आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह हर रोज प्रदेश की योगी सरकार पर किसी न किसी मामले में घोटाले-घपले का आरोप लगा रहे हैं. दो दिन पहले आम आदमी पार्टी के सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर जमीन खरीद में 16 करोड़ के घपले का आरोप लगाकर राजनीति गर्म कर दी है. मामले पर ट्रस्ट की तरफ से सफाई भी आ गई, लेकिन इसके बहाने अब आप ही नहीं बल्कि सपा और कांग्रेस भी बीजेपी और ट्रस्ट पर हमलावर है.
हालांकि प्रदेश में चुनाव आने में अभी छह महीने से ज्यादा का वक्त है, लेकिन यूपी जैसे महत्वपूर्ण प्रदेश में राजनीतिक पार्टियां अभी से किलेबंदी करने में जुट गई हैं. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व भी अब रूठों को मानाने की नीति पर काम शुरू कर दिया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह उन कार्यकर्ताओं और नेताओं के घर पहुंच रहे हैं जिनकी कोरोना से मौत हो गई है. वहीं पार्टी के बड़े नेता सरकार और पार्टी की हर गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं.