लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होना है. ऐसे में पश्चिम की 58 सीटों पर हो रहा प्रचार थम चुका है. इस बार का चुनाव डिजिटल बन चुका है. हर राजनीतिक दल प्रचार के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है. जनसंपर्क, रैलियों के साथ-साथ सोशल मीडिया में प्रचार के तरीके ने यूपी पुलिस के लिए चुनौती खड़ी कर दी है.
सोशल मीडिया में एक पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए लोग फेक पोस्ट व फेक वीडियो जमकर वायरल कर रहे हैं. इसको लेकर यूपी पुलिस ने सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल का गठन किया है. ये सेल 24 घंटे फेक न्यूज से लेकर भड़काऊ पोस्ट तक पर नजर बनाए हुए है. वहीं, चुनाव को प्रभावित करने के लिए पोस्ट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है.
राज्य में आचार संहिता लागू होने के बाद सोशल मीडिया पर फेक न्यूज के 1000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इनमें 236 मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस एफआईआर तक दर्ज कर चुकी है. डीजीपी मुख्यालय की तरफ से 10 जनवरी 2022 से 8 फरवरी 2022 तक पुलिस को मिली शिकायतों के आंकड़ों की बात करें तो कुल 1078 शिकायतें मिली हैं. इनमें ट्विटर पर 1013, फेसबुक पर 8, वाट्सएप पर 45 और अन्य सोशल नेटवर्क पर 12 शिकायतें मिली हैं. पुलिस अब तक 236 मुकदमे दर्ज कर चुकी है. वहीं, 645 मामलों की जांच की जा रही है. 161 मामलों का पुलिस निस्तारण कर चुकी है और 36 ऐसी सूचनाएं थीं जो उत्तर प्रदेश पुलिस ने गलत पाई हैं.
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उत्तर प्रदेश पुलिस की सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल सूबे के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार की देख-रेख में कार्य कर रही है. प्रशांत कुमार का कहना है कि क्योंकि प्रदेश में चुनाव चल रहा है उसको लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस की सोशल मीडिया मोनिटरिंग सेल सोशल मीडिया पर वायरल व पोस्ट हो रहें सभी वीडियो, पोस्ट, भड़काऊ भाषणों, भड़काऊ पोस्ट पर नजर रखे हुए हैं.
पुलिस के संज्ञान में कई ऐसे वीडियो आते हैं जो सोशल मीडिया में उत्तर प्रदेश से संबंधित बताया जाता है, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है. ऐसे में यूपी पुलिस का ट्विटर एकाउंट @UPPViralCheck उस पोस्ट व वीडियो का तत्काल खंडन करता है और उनका सोर्स पता करके उसको वायरल होने से भी रोका जाता है.
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