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UP Election 2022: इस बार अटल बिहारी वाजपेई की विरासत संभालना भाजपा के लिए चुनौती, जानिए क्या है समीकरण - up politcs news

अटल बिहारी बाजपेई की विरासत लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी की राह यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में आसान नहीं दिख रही है. आइये जानते हैं लखनऊ का क्या है सियासी समीकरण?

लखनऊ का सियासी समीकरण .
लखनऊ का सियासी समीकरण .
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Published : Dec 10, 2021, 1:09 PM IST

लखनऊ: अटल बिहारी वाजपेई की विरासत लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के लिए यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में अभूतपूर्व चुनौती होगी. यहां 9 विधानसभा सीट में से आधे से अधिक पर प्रत्याशी बदले जाने की तैयारी की जा रही है. कुछ उम्र तो कुछ परफॉर्मेंस के आधार पर बदले जाने की उम्मीद है. ऐसे में भाजपा को लखनऊ में सियासी समीकरण को सुलझाने में मशक्कत करनी पड़ सकती है.

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2017 में लखनऊ की 9 में से आठ सीटों पर जीत हासिल की थी. एक सीट पर जो हार मिली थी वह मोहनलालगंज की थी, जहां भाजपा ने प्रत्याशी नहीं उतरा था. यहां निर्दलीय आरके चौधरी को भाजपा ने समर्थन दिया था. इस सीट पर सपा के अंबरीश पुष्कर ने आरके चौधरी को पराजित किया था. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने बताया कि भाजपा लखनऊ में फिर से शानदार प्रदर्शन करेंगी. यहां की सभी सीटों पर उन्हें जीत हासिल मिलेगी. अटल जी की यह विरासत भाजपा का ही गढ़ रहेगी.

लखनऊ का सियासी समीकरण .
यह है लखनऊ का सियासी समीकरण


लखनऊ पश्चिम: इस सीट पर विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा के सुरेश श्रीवास्तव ने सपा के मोहम्मद रेहान नईम को हराया था. लेकिन इस वर्ष अप्रैल में सुरेश श्रीवास्तव का कोरोना से निधन हो गया था. इस वजह से यहां भाजपा को प्रत्याशी बदलना पड़ेगा. अनेक भाजपा नेता यहां से टिकट की जुगत में लगे हुए हैं. सूत्रों का कहना है कि बाहर से भाजपा में शामिल होने वाले एक बड़े युवा नेता को यहां टिकट दिया जा सकता है.


लखनऊ कैंट: इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुरेश तिवारी की उम्र 75 वर्ष से अधिक हो चुकी है. ऐसे में उनका टिकट काटे जाने की पूरी संभावना है. यहां भी भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता टिकट की दावेदारी में लगे हुए हैं. जबकि एक बड़े सियासी परिवार की पुत्र वधू का नाम भी इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के दावेदार के रूप में सामने आ रही हैं.

लखनऊ मध्य: लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र से विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक भारतीय जनता पार्टी से विधायक हैं. यहां पर अभी से कयास लगाए जा रहे हैं कि बृजेश पाठक चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं. वह उन्नाव की किसी सीट से विधायकी पर दांव आजमाना चाहते हैं. इसलिए इस सीट पर भी टिकट बदले जाने की उम्मीद की जा रही है.

लखनऊ उत्तर: लखनऊ उत्तर सीट से भाजपा के डॉ. नीरज बोरा विधायक हैं. जिन्होंने सपा के तत्कालीन मंत्री प्रो. अभिषेक मिश्र को हराकर सीट जीती थी. डॉ. नीरज बोरा 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे. इस सीट पर फिलहाल टिकट काटे जाने का कोई कारण नहीं नजर आ रहा है लेकिन दावेदार कई हैं.

लखनऊ पूर्व: यहां से नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन दो बार से विधायक हैं. इनका भी टिकट फिलहाल सुरक्षित ही माना जा रहा है. वैसे भाजपा के कुछ पुराने नेता इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. यह भाजपा के लिए लखनऊ की सबसे मजबूत सीट है.


मलिहाबाद: मलिहाबाद से केंद्रीय आवास शहरी विकास राज्य मंत्री कौशल किशोर की पत्नी जया कौशल विधायक हैं. लेकिन इस बार जया की जगह कौशल किशर के पुत्र को भाजपा से टिकट मिलने की संभावना जताई जा रही है. मलिहाबाद सीट वैसे 2017 की जीत से पहले कभी भी भाजपा का गढ़ नहीं रही है.

बख्शी का तालाब: बख्शी का तालाब सीट पर भाजपा के अविनाश त्रिवेदी विधायक हैं. जिनको इलाके में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. खासतौर पर सांसद कौशल किशोर उनको पसंद नहीं कर रहे हैं. ऐसे में बख्शी का तालाब से टिकट के कई बड़े दावेदार सामने आ रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य ने विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के परिवार से मिलकर दी सांत्वना


सरोजनी नगर: इस सीट से भाजपा की राज्य मंत्री स्वाती सिंह विधायक हैं. स्वाती सिंह पिछली बार अपने पति दयाशकंर सिंह के मायावती पर दिए गए विवादित बयान के बाद टिकट पाईं थीं. सरोजनी नगर में शहर का बड़ा हिस्सा शामिल होने से भाजपा को काफी लाभ हुआ है. यहां से टिकट की दावेदारी को लेकर रस्साकशी जारी है.

मोहनलालगंज: मोहनलालगंज सुरक्षित विधानसभा सीट से 2017 में भाजपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा था. यहां से तत्कालीन निर्दलीय आरके चौधरी का भाजपा ने समर्थन किया था. मगर यह सीट सपा के अम्बरीश पुष्कर ने जीती थी. इस बार आरके चौधरी सपा में शामिल हो गए हैं. ऐसे में इस सीट पर भाजपा को नया प्रत्याशी उतारना ही होगा.

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लखनऊ: अटल बिहारी वाजपेई की विरासत लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के लिए यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में अभूतपूर्व चुनौती होगी. यहां 9 विधानसभा सीट में से आधे से अधिक पर प्रत्याशी बदले जाने की तैयारी की जा रही है. कुछ उम्र तो कुछ परफॉर्मेंस के आधार पर बदले जाने की उम्मीद है. ऐसे में भाजपा को लखनऊ में सियासी समीकरण को सुलझाने में मशक्कत करनी पड़ सकती है.

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2017 में लखनऊ की 9 में से आठ सीटों पर जीत हासिल की थी. एक सीट पर जो हार मिली थी वह मोहनलालगंज की थी, जहां भाजपा ने प्रत्याशी नहीं उतरा था. यहां निर्दलीय आरके चौधरी को भाजपा ने समर्थन दिया था. इस सीट पर सपा के अंबरीश पुष्कर ने आरके चौधरी को पराजित किया था. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने बताया कि भाजपा लखनऊ में फिर से शानदार प्रदर्शन करेंगी. यहां की सभी सीटों पर उन्हें जीत हासिल मिलेगी. अटल जी की यह विरासत भाजपा का ही गढ़ रहेगी.

लखनऊ का सियासी समीकरण .
यह है लखनऊ का सियासी समीकरण


लखनऊ पश्चिम: इस सीट पर विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा के सुरेश श्रीवास्तव ने सपा के मोहम्मद रेहान नईम को हराया था. लेकिन इस वर्ष अप्रैल में सुरेश श्रीवास्तव का कोरोना से निधन हो गया था. इस वजह से यहां भाजपा को प्रत्याशी बदलना पड़ेगा. अनेक भाजपा नेता यहां से टिकट की जुगत में लगे हुए हैं. सूत्रों का कहना है कि बाहर से भाजपा में शामिल होने वाले एक बड़े युवा नेता को यहां टिकट दिया जा सकता है.


लखनऊ कैंट: इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुरेश तिवारी की उम्र 75 वर्ष से अधिक हो चुकी है. ऐसे में उनका टिकट काटे जाने की पूरी संभावना है. यहां भी भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता टिकट की दावेदारी में लगे हुए हैं. जबकि एक बड़े सियासी परिवार की पुत्र वधू का नाम भी इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के दावेदार के रूप में सामने आ रही हैं.

लखनऊ मध्य: लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र से विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक भारतीय जनता पार्टी से विधायक हैं. यहां पर अभी से कयास लगाए जा रहे हैं कि बृजेश पाठक चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं. वह उन्नाव की किसी सीट से विधायकी पर दांव आजमाना चाहते हैं. इसलिए इस सीट पर भी टिकट बदले जाने की उम्मीद की जा रही है.

लखनऊ उत्तर: लखनऊ उत्तर सीट से भाजपा के डॉ. नीरज बोरा विधायक हैं. जिन्होंने सपा के तत्कालीन मंत्री प्रो. अभिषेक मिश्र को हराकर सीट जीती थी. डॉ. नीरज बोरा 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे. इस सीट पर फिलहाल टिकट काटे जाने का कोई कारण नहीं नजर आ रहा है लेकिन दावेदार कई हैं.

लखनऊ पूर्व: यहां से नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन दो बार से विधायक हैं. इनका भी टिकट फिलहाल सुरक्षित ही माना जा रहा है. वैसे भाजपा के कुछ पुराने नेता इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. यह भाजपा के लिए लखनऊ की सबसे मजबूत सीट है.


मलिहाबाद: मलिहाबाद से केंद्रीय आवास शहरी विकास राज्य मंत्री कौशल किशोर की पत्नी जया कौशल विधायक हैं. लेकिन इस बार जया की जगह कौशल किशर के पुत्र को भाजपा से टिकट मिलने की संभावना जताई जा रही है. मलिहाबाद सीट वैसे 2017 की जीत से पहले कभी भी भाजपा का गढ़ नहीं रही है.

बख्शी का तालाब: बख्शी का तालाब सीट पर भाजपा के अविनाश त्रिवेदी विधायक हैं. जिनको इलाके में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. खासतौर पर सांसद कौशल किशोर उनको पसंद नहीं कर रहे हैं. ऐसे में बख्शी का तालाब से टिकट के कई बड़े दावेदार सामने आ रहे हैं.

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सरोजनी नगर: इस सीट से भाजपा की राज्य मंत्री स्वाती सिंह विधायक हैं. स्वाती सिंह पिछली बार अपने पति दयाशकंर सिंह के मायावती पर दिए गए विवादित बयान के बाद टिकट पाईं थीं. सरोजनी नगर में शहर का बड़ा हिस्सा शामिल होने से भाजपा को काफी लाभ हुआ है. यहां से टिकट की दावेदारी को लेकर रस्साकशी जारी है.

मोहनलालगंज: मोहनलालगंज सुरक्षित विधानसभा सीट से 2017 में भाजपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा था. यहां से तत्कालीन निर्दलीय आरके चौधरी का भाजपा ने समर्थन किया था. मगर यह सीट सपा के अम्बरीश पुष्कर ने जीती थी. इस बार आरके चौधरी सपा में शामिल हो गए हैं. ऐसे में इस सीट पर भाजपा को नया प्रत्याशी उतारना ही होगा.

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