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अस्पतालों में अगर हुई आग की घटना तो होगा यह हाल

अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं. इसी को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों में इसकी सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं.

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Published : Dec 22, 2020, 7:38 PM IST

अस्पताल में आग.
अस्पताल में आग.

लखनऊ: देश के कई राज्यों में अग्निकांड को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों में इसकी सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत में जब राजधानी के अस्पतालों का जायजा लिया तो दावे खोखले नजर आए. वहीं, सरकारी अस्पतालों में आग से सुरक्षा के उपकरण लगे मिले, लेकिन अधिकतर नर्सिंग होम्स में मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा है. इस बारे में जब प्राइवेट हॉस्पिटल के संचालकों से बात करने की कोशिश की गई तो वह कैमरे के सामने बचते नजर आए. वहीं, सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि उनके यहां प्रशिक्षण के साथ-साथ मानकों का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है.

अस्पताल में आग.
शहर में अस्पताल

प्राइवेट हॉस्पिटल 850 से ज्यादा
इंस्टीट्यूट- 3
जिला अस्पताल- 4
महिला अस्पताल- 2
पीएचसी- 28
सीएचसी- 11
बीएमसी- 8

इन इलाकों में हैं अस्पताल

राजधानी के राजाजीपुरम, आलमबाग, इंदिरा नगर, गोमती नगर, अलीगंज, पुरनिया, चौक, ठाकुरगंज, हुसैनगंज, मोहनलालगंज, सरोजनी नगर, खाला बाजार, लालबाग समेत कई इलाकों में सरकारी और प्राइवेट अस्पताल हैं. इन अस्पतालों में शहर ही नहीं राज्यों से भी मरीज अपना इलाज कराने आते हैं.


कंपनी बिछा रही पाइपलाइन

चिकित्सालय में अग्नि को रोकने के लिए पाइपलाइन डालकर निर्माण कार्य चल रहा है. एजेंसी के थ्रू यह काम कराया जा रहा है. किसी तरीके की कोई दुर्घटना न हो इसके लिए अस्पताल परिसर में 17 से 18 जगह आग से बचाव के सुरक्षा के उपकरण लगाए गए हैं. अस्पताल के कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण के साथ-साथ मॉकड्रिल कराई जाती है. अस्पताल के द्वारा ही सिलेंडर भी भरवाए जाते हैं. चिकित्सालय को मिलने वाले फंड से सिलेंडर की रिफिलिंग कराई जाती है. जब तक एजेंसी के द्वारा निर्माण कार्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक चिकित्सालय में पुरानी व्यवस्था से ही काम चलाया जा रहा है. आग की दुर्घटना के दौरान सिलेंडर का प्रयोग किस तरीके से किया जाए, इसकी ट्रेनिंग दी जाती है जिसका सुपर विजन मैं खुद करता हूं.

पिछले ही महीने कराई गई थी जांच

अग्निशमन विभाग के सीएफओ विजय सिंह बताते हैं कि जहां तक हॉस्पिटल का सवाल है तो उत्तर प्रदेश फायर सर्विस के साथ-साथ लखनऊ फायर सर्विस समय-समय पर लखनऊ में स्थापित हॉस्पिटलों की बिल्डिंग और सुरक्षा उपकरण की जांच करता रहता है. ढांचा से लेकर अग्निशमन तक की जांच की जाती है कि वह मानकों के अनुरूप हैं. लखनऊ में मौजूद हॉस्पिटल की पिछले महीने जांच कराई गई थी. जिलों के मानक पूरे कर लिए गए हैं. उनको यह भी निर्देश दिया गया है कि चाहे वह ढांचागत हो या अग्निशमन सुरक्षा इसको बराबर मेंटेन करके रखें. विभाग की तरफ से यह भी निर्देशित किया गया है कि मानकों के अनुरूप जो भी व्यवस्थाएं नहीं हैं, उनको पूरा किया जाए.

लखनऊ: देश के कई राज्यों में अग्निकांड को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों में इसकी सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत में जब राजधानी के अस्पतालों का जायजा लिया तो दावे खोखले नजर आए. वहीं, सरकारी अस्पतालों में आग से सुरक्षा के उपकरण लगे मिले, लेकिन अधिकतर नर्सिंग होम्स में मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा है. इस बारे में जब प्राइवेट हॉस्पिटल के संचालकों से बात करने की कोशिश की गई तो वह कैमरे के सामने बचते नजर आए. वहीं, सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि उनके यहां प्रशिक्षण के साथ-साथ मानकों का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है.

अस्पताल में आग.
शहर में अस्पताल

प्राइवेट हॉस्पिटल 850 से ज्यादा
इंस्टीट्यूट- 3
जिला अस्पताल- 4
महिला अस्पताल- 2
पीएचसी- 28
सीएचसी- 11
बीएमसी- 8

इन इलाकों में हैं अस्पताल

राजधानी के राजाजीपुरम, आलमबाग, इंदिरा नगर, गोमती नगर, अलीगंज, पुरनिया, चौक, ठाकुरगंज, हुसैनगंज, मोहनलालगंज, सरोजनी नगर, खाला बाजार, लालबाग समेत कई इलाकों में सरकारी और प्राइवेट अस्पताल हैं. इन अस्पतालों में शहर ही नहीं राज्यों से भी मरीज अपना इलाज कराने आते हैं.


कंपनी बिछा रही पाइपलाइन

चिकित्सालय में अग्नि को रोकने के लिए पाइपलाइन डालकर निर्माण कार्य चल रहा है. एजेंसी के थ्रू यह काम कराया जा रहा है. किसी तरीके की कोई दुर्घटना न हो इसके लिए अस्पताल परिसर में 17 से 18 जगह आग से बचाव के सुरक्षा के उपकरण लगाए गए हैं. अस्पताल के कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण के साथ-साथ मॉकड्रिल कराई जाती है. अस्पताल के द्वारा ही सिलेंडर भी भरवाए जाते हैं. चिकित्सालय को मिलने वाले फंड से सिलेंडर की रिफिलिंग कराई जाती है. जब तक एजेंसी के द्वारा निर्माण कार्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक चिकित्सालय में पुरानी व्यवस्था से ही काम चलाया जा रहा है. आग की दुर्घटना के दौरान सिलेंडर का प्रयोग किस तरीके से किया जाए, इसकी ट्रेनिंग दी जाती है जिसका सुपर विजन मैं खुद करता हूं.

पिछले ही महीने कराई गई थी जांच

अग्निशमन विभाग के सीएफओ विजय सिंह बताते हैं कि जहां तक हॉस्पिटल का सवाल है तो उत्तर प्रदेश फायर सर्विस के साथ-साथ लखनऊ फायर सर्विस समय-समय पर लखनऊ में स्थापित हॉस्पिटलों की बिल्डिंग और सुरक्षा उपकरण की जांच करता रहता है. ढांचा से लेकर अग्निशमन तक की जांच की जाती है कि वह मानकों के अनुरूप हैं. लखनऊ में मौजूद हॉस्पिटल की पिछले महीने जांच कराई गई थी. जिलों के मानक पूरे कर लिए गए हैं. उनको यह भी निर्देश दिया गया है कि चाहे वह ढांचागत हो या अग्निशमन सुरक्षा इसको बराबर मेंटेन करके रखें. विभाग की तरफ से यह भी निर्देशित किया गया है कि मानकों के अनुरूप जो भी व्यवस्थाएं नहीं हैं, उनको पूरा किया जाए.

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