ETV Bharat / state

क्या करे मरीज...कहीं कोरोना की दवाइयों की कमी, तो कहीं हो रही कालाबाजारी

कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए भले आप हर संभव प्रयास कर रहे हों, लेकिन आए दिन कोई न कोई समस्या सामने आ ही जाती है. केंद्र सरकार ने माना है कि देश में कोरोना वायरस से लड़ने वाली दवाओं की कालाबाजारी हो रही है. उत्तर प्रदेश के भी कई जिलों में या तो दवाएं मिल नहीं रहीं या उनकी कालाबाजारी हो रही है.

design photo
डिजाइन फोटो.
author img

By

Published : Jul 22, 2020, 7:21 AM IST

लखनऊ: देश-दुनिया में कोरोना का कहर जारी है. उत्तर प्रदेश भी बुरी तरह कोरोना की चपेट में है. ऐसे में लोगों को दवाओं और मेडिकल सुविधाओं का ही सहारा है. कई दवाएं इलाज में प्रयोग की जा रही हैं. इन दवाओं के प्रयोग से कोरोना के असर को कम किया जाता है. रेमडेसिवीर, फैबि फ्लू, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और भी कई दवाइएं जो इलाज के दौरान लाभकारी सिद्ध हो रही हैं. कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए भले आप हर संभव प्रयास कर रहे हों, लेकिन आए दिन कोई न कोई समस्या सामने आ ही जाती है. केंद्र सरकार ने माना है कि देश में कोरोना वायरस से लड़ने वाली दवा रेमडेसिवीर की कालाबाजारी हो रही है. उत्तर प्रदेश के महानगरों में भी कोरोना की दवाओं की कालाबाजारी के मामले भी सामने आने लगे हैं.

कोरोना की दवाओं की अनउपलब्धता और कालाबाजारी.

कानपुर की बात की जाए, तो कानपुर में केवल चुनिंदा मेडिकल स्टोर्स पर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और फेबि फ्लू उपलब्ध हैं. बड़े मेडिकल स्टोर्स के मालिक ही कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जा रही दवाएं मंगा रहे हैं. दवा दुकानदारों का कहना है कि बाजार में इन दवाओं की ज्यादा मांग नहीं है, क्योंकि मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में ही चल रहा है. सरकारी तंत्र ये दवाएं खुद मंगा कर स्टॉक में रखते हैं. इस वजह से ये दवाएं सभी मेडिकल स्टोर्स पर उपलब्ध नहीं हैं.

कानपुर में दवाओं की कमी
इस मामले में कानपुर महानगर के ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि कोरोना वायरस से लड़ने में लाभकारी दवाइयां कानपुर के बड़े मेडिकल स्टोर्स पर उपलब्ध हैं. डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन पर ये दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. दवा लेने वाले हर व्यक्ति का रिकॉर्ड मेडिकल स्टोर वाला रखता है. ड्रग कंट्रोलर टीम समय-समय पर निरीक्षण भी करती है. फिलहाल, कालाबाजारी की बात से ड्रग इंस्पेक्टर संदेश मौर्य ने इंकार किया है.

ईटीवी भारत की टीम ने भी पड़ताल की, जिसमें ये साफ हुआ कि कानपुर की दवा बाजारें अभी कालाबाजारी से बची हुई हैं और मेडिकल स्टोर्स पर दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं.

आगरा में कालाबाजारी से परेशान लोग
वहीं आगरा में गंभीर कोरोना मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो रहा है. गंभीर कोरोना संक्रमितों के इलाज में उपयोग होने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है. 5400 रुपये वाले इंजेक्शन की कालाबाजारी करके उसे 40 हजार रुपये में बेचा जा रहा है. रेमडेसिवीर इंजेक्शन की शॉर्टेज और कालाबाजारी के चलते एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने सरकार को पत्र लिखकर इंजेक्शन उपलब्ध कराने के साथ ही शॉर्ट टर्म टेंडर पर खरीद करने की अनुमति मांगी है, जिससे ज्यादा से ज्यादा गंभीर संक्रमितों की जान बचाई जा सके.

गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर है ये इंजेक्शन
दरअसल, रेमडेसिवीर इंजेक्शन का उपयोग कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों के इलाज में किया जा रहा है. लगातार कोरोना संक्रमण बढ़ने से संक्रमितों की संख्या भी बढ़ रही है. मगर, इंजेक्शन बनाने वाली फार्मा कंपनियां इसकी आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं. इससे मार्केट में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की शॉर्टेज चल रही है. आगरा में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी होने पर दवा कारोबारियों ने इंजेक्शन निर्माता फार्मा कम्पनियों से बात की, तो उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए हैं.

आगरा में नहीं मिल रहे रेमडेसिवीर इंजेक्शन
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला का कहना है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन से गंभीर कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जाता है. आगरा में यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है. इसकी कीमत अधिक है. इसलिए इस इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है. इसलिए मैं सरकार को पत्र लिख गया है कि शॉर्ट टर्म टेंडर में रेमडेसिवीर इंजेक्शन खरीदने की अनुमति दी जाए. मार्केट में इसकी कीमत 40 से 50 हजार रुपये है. इतनी महंगी दवा खरीदी नहीं जा सकती. अगर शॉर्ट टर्म में इसे खरीदने की अनुमति मिल जाए, तो जेनेरिक रेमडेसिवीर इंजेक्शन की खरीद करके अधिक कोरोना संक्रमितों की जान बचा सकेंगे.

कानपुर और आगरा कोरोना से मौत का आंकड़ा
बता दें, प्रदेश में सर्वाधिक कोरोना संक्रमितों की मौत कानपुर नगर में हुई है. ये आंकड़ा 128 है. वहीं 94 संक्रमितों की मौत होने से ताजनगरी दूसरे नंबर पर है. आगरा में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,486 हो गई है. शहर और देहात में अभी एक्टिव केस 163 हैं. जिले में ठीक हुए मरीजों के डिस्चार्ज होने का आंकड़ा 1,229 हो गया है.

लखनऊ: देश-दुनिया में कोरोना का कहर जारी है. उत्तर प्रदेश भी बुरी तरह कोरोना की चपेट में है. ऐसे में लोगों को दवाओं और मेडिकल सुविधाओं का ही सहारा है. कई दवाएं इलाज में प्रयोग की जा रही हैं. इन दवाओं के प्रयोग से कोरोना के असर को कम किया जाता है. रेमडेसिवीर, फैबि फ्लू, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और भी कई दवाइएं जो इलाज के दौरान लाभकारी सिद्ध हो रही हैं. कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए भले आप हर संभव प्रयास कर रहे हों, लेकिन आए दिन कोई न कोई समस्या सामने आ ही जाती है. केंद्र सरकार ने माना है कि देश में कोरोना वायरस से लड़ने वाली दवा रेमडेसिवीर की कालाबाजारी हो रही है. उत्तर प्रदेश के महानगरों में भी कोरोना की दवाओं की कालाबाजारी के मामले भी सामने आने लगे हैं.

कोरोना की दवाओं की अनउपलब्धता और कालाबाजारी.

कानपुर की बात की जाए, तो कानपुर में केवल चुनिंदा मेडिकल स्टोर्स पर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और फेबि फ्लू उपलब्ध हैं. बड़े मेडिकल स्टोर्स के मालिक ही कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जा रही दवाएं मंगा रहे हैं. दवा दुकानदारों का कहना है कि बाजार में इन दवाओं की ज्यादा मांग नहीं है, क्योंकि मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में ही चल रहा है. सरकारी तंत्र ये दवाएं खुद मंगा कर स्टॉक में रखते हैं. इस वजह से ये दवाएं सभी मेडिकल स्टोर्स पर उपलब्ध नहीं हैं.

कानपुर में दवाओं की कमी
इस मामले में कानपुर महानगर के ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि कोरोना वायरस से लड़ने में लाभकारी दवाइयां कानपुर के बड़े मेडिकल स्टोर्स पर उपलब्ध हैं. डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन पर ये दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. दवा लेने वाले हर व्यक्ति का रिकॉर्ड मेडिकल स्टोर वाला रखता है. ड्रग कंट्रोलर टीम समय-समय पर निरीक्षण भी करती है. फिलहाल, कालाबाजारी की बात से ड्रग इंस्पेक्टर संदेश मौर्य ने इंकार किया है.

ईटीवी भारत की टीम ने भी पड़ताल की, जिसमें ये साफ हुआ कि कानपुर की दवा बाजारें अभी कालाबाजारी से बची हुई हैं और मेडिकल स्टोर्स पर दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं.

आगरा में कालाबाजारी से परेशान लोग
वहीं आगरा में गंभीर कोरोना मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो रहा है. गंभीर कोरोना संक्रमितों के इलाज में उपयोग होने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है. 5400 रुपये वाले इंजेक्शन की कालाबाजारी करके उसे 40 हजार रुपये में बेचा जा रहा है. रेमडेसिवीर इंजेक्शन की शॉर्टेज और कालाबाजारी के चलते एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने सरकार को पत्र लिखकर इंजेक्शन उपलब्ध कराने के साथ ही शॉर्ट टर्म टेंडर पर खरीद करने की अनुमति मांगी है, जिससे ज्यादा से ज्यादा गंभीर संक्रमितों की जान बचाई जा सके.

गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर है ये इंजेक्शन
दरअसल, रेमडेसिवीर इंजेक्शन का उपयोग कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों के इलाज में किया जा रहा है. लगातार कोरोना संक्रमण बढ़ने से संक्रमितों की संख्या भी बढ़ रही है. मगर, इंजेक्शन बनाने वाली फार्मा कंपनियां इसकी आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं. इससे मार्केट में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की शॉर्टेज चल रही है. आगरा में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी होने पर दवा कारोबारियों ने इंजेक्शन निर्माता फार्मा कम्पनियों से बात की, तो उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए हैं.

आगरा में नहीं मिल रहे रेमडेसिवीर इंजेक्शन
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला का कहना है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन से गंभीर कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जाता है. आगरा में यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है. इसकी कीमत अधिक है. इसलिए इस इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है. इसलिए मैं सरकार को पत्र लिख गया है कि शॉर्ट टर्म टेंडर में रेमडेसिवीर इंजेक्शन खरीदने की अनुमति दी जाए. मार्केट में इसकी कीमत 40 से 50 हजार रुपये है. इतनी महंगी दवा खरीदी नहीं जा सकती. अगर शॉर्ट टर्म में इसे खरीदने की अनुमति मिल जाए, तो जेनेरिक रेमडेसिवीर इंजेक्शन की खरीद करके अधिक कोरोना संक्रमितों की जान बचा सकेंगे.

कानपुर और आगरा कोरोना से मौत का आंकड़ा
बता दें, प्रदेश में सर्वाधिक कोरोना संक्रमितों की मौत कानपुर नगर में हुई है. ये आंकड़ा 128 है. वहीं 94 संक्रमितों की मौत होने से ताजनगरी दूसरे नंबर पर है. आगरा में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,486 हो गई है. शहर और देहात में अभी एक्टिव केस 163 हैं. जिले में ठीक हुए मरीजों के डिस्चार्ज होने का आंकड़ा 1,229 हो गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.