लखनऊ : परिवहन विभाग, पुलिस और यातायात विभाग की अनदेखी का फायदा अनधिकृत वाहन स्वामी जमकर उठा रहे हैं. आरटीओ कार्यालय से चंद कदम की दूरी पर अनधिकृत बसों का बस स्टेशन चल रहा है, लेकिन अधिकारियों को ये बसें नजर नहीं आती हैं. खास बात यह है कि यहीं पर यातायात पुलिस चौकी भी है, उनके सामने से ही अनधिकृत बसें सवारियां ठूंसकर ले जाते हैं. इसके बावजूद इन्हें रोकने की जहमत तक नहीं उठाता. इस वजह से सरकारी राजस्व का भी बड़ा नुकसान हो रहा है.
राजधानी के टांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय से अवध चौराहा की दूरी सिर्फ दो से तीन किलोमीटर है. यहां से हर रोज रात में दर्जनों बसों का संचालन होता है. यह बसें सड़क पर चलने के लिए अधिकृत नहीं हैं. बावजूद इसके इनका संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है. अवध चौराहे पर ही पुलिस चौकी है. यातायात पुलिस के साथ ही पुलिसकर्मी भी यहां पर 24 घंटे ड्यूटी करते हैं, लेकिन उन्हीं की आंखों के सामने यह बस संचालक फुटकर सवारियां बसों में बिठाते हैं. परिवहन विभाग के अधिकारी ये कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि अवध चौराहा से जिन बसों का संचालन हो रहा है, वे डग्गामार नहीं हैं. उन्हें सड़क पर चलने का अधिकार इसलिए है क्योंकि उन्होंने आल इंडिया परमिट ले रखा है. टैक्स भी पे करते हैं. यह जरूर है कि अगर वे सड़क पर बस खड़ी कर फुटकर सवारियां भरते हैं तो गलत है.
लखनऊ के आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप पंकज (Lucknow's RTO (Enforcement) Sandeep Pankaj) का कहना है कि समय-समय पर अनाधिकृत बसों के खिलाफ चेकिंग अभियान चलाया जाता है. बसों पर कार्रवाई की जाती है. उनका चालान होता है, बंद किया जाता है. जहां तक बात अवध चौराहे की है तो वहां पर से जो बसें संचालित होती हैं उनका बस संचालकों के पास परमिट है. फुटकर सवारियां अगर बिठा रहे हैं तो गलत है. परिवहन विभाग की तरफ से तो कार्रवाई की ही जाती है. वहां पर पुलिस चौकी है, वह भी इसके लिए जिम्मेदार हैं. उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए. अनधिकृत बसों के खिलाफ अवध चौराहे पर प्रवर्तन टीम अभियान चलाएगी और बंद करने का काम करेगी.