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दो बंग्लादेशी भाइयों को चार साल के कैद की सजा, भारत में अवैध रूप से रहने का मामला

एटीएस के विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनील कुमार ने भारत में अवैध रूप से रहने के मामले में बांग्लादेशी नागरिक इकबाल और फारुख को चार-चार साल के कैद की सजा सुनाई है. यह दोनों सगे भाई हैं और बांग्लादेश के जिला चटगांव के रहने वाले हैं.

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दो बंग्लादेशी भाईयों को चार साल की सजा
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Published : Mar 30, 2022, 9:37 PM IST

लखनऊ: एटीएस के विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनील कुमार ने भारत में अवैध रूप से रहने के मामले में बांग्लादेशी नागरिक इकबाल और फारुख को चार-चार साल के कैद की सजा सुनाई है. साथ ही इन दोनों पर अलग-अलग साढ़े छह हजार का जुर्माना भी लगाया है. यह दोनों सगे भाई हैं और बांग्लादेश के जिला चटगांव के रहने वाले हैं.

वर्ष 2020 में एटीएस ने इन दोनों को गिरफ्तार किया था. यह अवैध रूप से भारत में निवास कर रहे थे. बताया गया कि दोनों आरोपी वर्ष 2007-2008 से फर्जी दस्तावेजों के सहारे भारत में रह रहे थे. इनके पास से आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, आय और जाति प्रमाणपत्र तथा ड्राइविंग लाइसेंस आदि दस्तावेज बरामद हुआ था.

इसे भी पढ़ेंः लखनऊ कोर्ट में बम धमाका,बम निरोधक दस्ता मौके पर

आरोपियों को 2013 में बंगाल में गिरफ्तार करके दो साल जेल रखा गया बाद में उन्हें वापस बांग्लादेश भेज दिया गया था. वर्ष 2015 में यह दोनों फिर से सीमा पार कर भारत में आ गए थे. दलालों के जरिए सहारनपुर के पते पर फर्जी दस्तावेज तैयार करा लिए थे. यह दोनों बांग्लादेश, सउदी अरब, अमेरिका, इटली, ब्रिटेन, आस्ट्रिया और म्यामांर के लोगों से संपर्क में थे.

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में इन्होंने अपना गुनाह कबूल कर लिया था. इस मामले की एफआईआर लखनऊ में थाना एटीएस में दर्ज हुई थी. विवेचना के बाद इनके खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने आदि के साथ ही विदेशी और पासपोर्ट अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल हुआ था.
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लखनऊ: एटीएस के विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनील कुमार ने भारत में अवैध रूप से रहने के मामले में बांग्लादेशी नागरिक इकबाल और फारुख को चार-चार साल के कैद की सजा सुनाई है. साथ ही इन दोनों पर अलग-अलग साढ़े छह हजार का जुर्माना भी लगाया है. यह दोनों सगे भाई हैं और बांग्लादेश के जिला चटगांव के रहने वाले हैं.

वर्ष 2020 में एटीएस ने इन दोनों को गिरफ्तार किया था. यह अवैध रूप से भारत में निवास कर रहे थे. बताया गया कि दोनों आरोपी वर्ष 2007-2008 से फर्जी दस्तावेजों के सहारे भारत में रह रहे थे. इनके पास से आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, आय और जाति प्रमाणपत्र तथा ड्राइविंग लाइसेंस आदि दस्तावेज बरामद हुआ था.

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आरोपियों को 2013 में बंगाल में गिरफ्तार करके दो साल जेल रखा गया बाद में उन्हें वापस बांग्लादेश भेज दिया गया था. वर्ष 2015 में यह दोनों फिर से सीमा पार कर भारत में आ गए थे. दलालों के जरिए सहारनपुर के पते पर फर्जी दस्तावेज तैयार करा लिए थे. यह दोनों बांग्लादेश, सउदी अरब, अमेरिका, इटली, ब्रिटेन, आस्ट्रिया और म्यामांर के लोगों से संपर्क में थे.

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में इन्होंने अपना गुनाह कबूल कर लिया था. इस मामले की एफआईआर लखनऊ में थाना एटीएस में दर्ज हुई थी. विवेचना के बाद इनके खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने आदि के साथ ही विदेशी और पासपोर्ट अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल हुआ था.
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