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40 साल पुराने हत्या के मामले में 2 अभियुक्त दोषी करार, कोर्ट ने दो सप्ताह में आत्म समर्पण करने का दिया आदेश

हाईकोर्ट ने एक 40 साल पुराने हत्या के मामले में दो अभियुक्तों को दोषी करार दिया है.

हाईकोर्ट
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Published : Jan 24, 2022, 9:08 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हत्या के एक मामले में एक महिला समेत 2 अभियुक्तों को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने 40 साल से विचाराधीन अपील पर यह फैसला सुनाया है. यह फैसला न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने भीखा व अन्य अभियुक्तों की ओर से दायर अपील पर सुनाया है.

कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए अवंतिका व राम खेलावन को दो सप्ताह में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ की कोर्ट में आत्म समर्पण करने का आदेश दिया है. यह अपील वर्ष 1982 में दाखिल की गई थी, इसमें लखनऊ की सत्र अदालत के 5 जून 1982 के दोषसिद्धि के आदेश को चुनौती दी गई है. अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.


क्या है पूरा मामला ?
मोहनलालगंज थाना क्षेत्र के इस मामले में रंजिश के चलते 1 सितंबर 1979 को फूलचंद नाम के व्यक्ति की हत्या की गई थी. मृतक को सरोजा देवी नाम की महिला ने गोद लिया था व उसे अपनी पूरी संपत्ति दे दी थी. अभियुक्तगण इसी वजह से मृतक से रंजिश रखते थे.

घटना के दिन अवंतिका ने राम खेलावन व दूसरे अभियुक्तों के साथ मिलकर मृतक पर हमला कर दिया और पीट-पीट के उसकी हत्या कर दी. बाद में मृतक का शव भी अपने ही घर में दबा दिया. जांच के दौरान पुलिस ने अभियुक्तों के घर में दफनाए गए शव को बरामद किया था. कोर्ट ने शव की बरामदगी को विश्वसनीय साक्ष्य माना है. कोर्ट ने कहा कि इस बरामदगी पर ध्यान देने के बाद याची की किसी भी दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता.

इसे पढ़ें- ओमीक्रोन के सब वैरिएंट BA.2 ने बढ़ाई चिंता, फरवरी तक आ सकती है एक और लहर

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हत्या के एक मामले में एक महिला समेत 2 अभियुक्तों को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने 40 साल से विचाराधीन अपील पर यह फैसला सुनाया है. यह फैसला न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने भीखा व अन्य अभियुक्तों की ओर से दायर अपील पर सुनाया है.

कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए अवंतिका व राम खेलावन को दो सप्ताह में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ की कोर्ट में आत्म समर्पण करने का आदेश दिया है. यह अपील वर्ष 1982 में दाखिल की गई थी, इसमें लखनऊ की सत्र अदालत के 5 जून 1982 के दोषसिद्धि के आदेश को चुनौती दी गई है. अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.


क्या है पूरा मामला ?
मोहनलालगंज थाना क्षेत्र के इस मामले में रंजिश के चलते 1 सितंबर 1979 को फूलचंद नाम के व्यक्ति की हत्या की गई थी. मृतक को सरोजा देवी नाम की महिला ने गोद लिया था व उसे अपनी पूरी संपत्ति दे दी थी. अभियुक्तगण इसी वजह से मृतक से रंजिश रखते थे.

घटना के दिन अवंतिका ने राम खेलावन व दूसरे अभियुक्तों के साथ मिलकर मृतक पर हमला कर दिया और पीट-पीट के उसकी हत्या कर दी. बाद में मृतक का शव भी अपने ही घर में दबा दिया. जांच के दौरान पुलिस ने अभियुक्तों के घर में दफनाए गए शव को बरामद किया था. कोर्ट ने शव की बरामदगी को विश्वसनीय साक्ष्य माना है. कोर्ट ने कहा कि इस बरामदगी पर ध्यान देने के बाद याची की किसी भी दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता.

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