लखनऊ: जीवन में कभी भी कितनी भी ऊंचाई पर क्यों ना पहुंच जाएं लेकिन अपने लक्ष्य को कभी नहीं भूलना चाहिए.और उस लक्ष्य पर पहुंचने के बाद अपने मूल काम को कभी नहीं छोड़ना चाहिए. मौजूदा समय में मैं त्रिपुरा का मुख्यमंत्री हूं लेकिन मेरा जो पेशा है, मैं उससे दूर नहीं हूं. मुझे मरीजों का इलाज करना अच्छा लगता है. समय-समय पर मैं ऑपरेशन भी मरीजों का करता हूं. यह मेरा मूल काम है. जिससे मैं कभी दूर नहीं रह सकता हूं. यह बातें त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. मानिक शाहा ने मंगलवार को केजीएमयू दंत संकाय के कार्यक्रम में कही.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. मानिक शाहा ने केजीएमयू दंत संकाय के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग से एमडीएस की पढ़ाई की है. त्रिपुरा सीएम ने कहा कि 'जिम्मेदारी बढ़ने के बावजूद मरीजों को समय दे रहा हूं. क्योंकि मैं बिना मरीजों के रह नहीं सकता है. मरीजों की सेवा के लिए मैं हर वक्त तैयार हूं. डॉक्टरी पेशे के कर्तव्यों का पालन करने में अच्छा लगता है. मासिक संतोष मिलता है. सभी डॉक्टर अपने मूल काम से जुड़े रहें. छात्र चाहे कितना भी बड़ा हो जाए. पर, वे गुरु से हमेशा कम ही रहेंगे. केजीएमयू में पढ़ाई के दौरान डॉ. आर प्रधान ने अच्छी शिक्षा दी. जो मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है.'
डॉ. मानिक ने केजीएमयू में बिताए पलों को याद करते हुए मानिक शाहा ने कहा कि ओटी के दौरान साथी डॉक्टर से किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई थी. ओटी के भीतर मारपीट हो गई. शिकयत के बाद हम सभी को सात दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि केजीएमयू बड़ा संस्थान है. यहां बहुत कुछ सीखने को मिला है, जो जीवन में अभी भी काम आ रहा है. उन्होंने मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग की डॉ. दिव्या मेहरोत्रा के निधन पर गहरा दुख जाहिर किया. स्व. डॉ. दिव्या के घर जाकर शोकाकुल परिवार से भेंट की और श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. शादाब मोहम्मद, डॉ. आर प्रधान, डॉ. विभा शामिल हुई.