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म्यूकर माइकोसिस की वजह से जबड़ा गंवाने वाले मरीजों का इलाज अब संभव, जाने कैसे...

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Published : Dec 23, 2021, 3:26 PM IST

कोरोना के इलाज के दौरान म्यूकर माइकोसिस की वजह से जबड़ा गंवाने वाले मरीजों के इलाज में आशा की नई किरण नजर आई है. ऊपर का जबड़ा गवां चुके मरीजों में आसानी से इलाज संभव हुआ है. इसमें नकली जबड़ा और दांत प्रत्यारोपित किये जा सकते हैं.

जबड़ा गंवाने वाले मरीजों का इलाज अब संभव
जबड़ा गंवाने वाले मरीजों का इलाज अब संभव

लखनऊः कोरोना के इलाज के दौरान म्यूकर माइकोसिस (mucor mycosis) की वजह से जबड़ा गंवाने वाले मरीजों के इलाज में आशा की नई किरण नजर आई है. केजीएमयू दंत संकाय में शोध के दौरान दो मरीजों में नकली जबड़ा और दांत प्रत्यारोपित किये जा चुके हैं. हैदराबाद में आयोजित कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांटोलॉजी (Corticobasal Implantology) में केजीएमयू के दो छात्रों को सम्मानित किया गया. बुधवार को केजीएमयू कुलपति ने पूरी टीम को बधाई दी है.

कोरोना वायरस से जीते मरीज कई तरह की परेशानियां झेल रहे हैं. केजीएमयू दंत संकाय के डॉक्टर लक्ष्य कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण से ऊबरे मरीजों को म्यूकर माइकोसिस ने घेर लिया है. ये एक प्रकार का फंगस होता है, जो नाक और मुंह में तेजी से फैलता है. जबड़े की हड्डियों को नष्ट कर देता है. जबड़े के ऊपर की हड्डी को सबसे पहले नुकसान पहुंचाता है. केजीएमयू में आए दो मरीजों का सफल इलाज किया गया.

उन्होंने बताया कि म्यूकर माइकोसिस की वजह से दोनों मरीजों के जबड़े की ऊपर की हड्डी करीब खराब हो चुकी थी. सीटी स्कैन कराया गया. इसमें टेरीगाइड और जाइगोमैटिक हड्डी बची थी. इसमें कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांटोलॉजी तकनीक से नकली जबड़ा और दांत प्रत्यारोपित किया गया.

इसे भी पढ़ें- कोरोना से जंग : अमेरिका ने दी फाइजर की ओरल दवा Paxlovid को मंजूरी

इस प्रक्रिया में करीब एक हफ्ते लगे. मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं. उन्होंने बताया कि इस पेपर को हैदराबाद की कॉन्फेंस में प्रस्तुत किया गया. दंत संकाय में प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग की सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर अदिति वर्मा को वैज्ञानिक सत्र में प्रथम पुरस्कार मिला. इसमें रेजिडेंट डॉक्टर को 35 हजार रुपये और कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांट किट मिली. वहीं ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग में पीएचडी छात्रा डॉक्टर आस्था को 15 हजार रुपये और तीन कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांट देकर सम्मानित किया गया. दोनों छात्राएं प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग के डॉक्टर लक्ष्य कुमार और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के डॉक्टर यूएस पाल के निर्देशित में किया गया था. कुलपति डॉक्टर बिपिन पुरी ने पुरस्कार विजेता छात्राओं और डॉक्टरों को बधाई दी है.

लखनऊः कोरोना के इलाज के दौरान म्यूकर माइकोसिस (mucor mycosis) की वजह से जबड़ा गंवाने वाले मरीजों के इलाज में आशा की नई किरण नजर आई है. केजीएमयू दंत संकाय में शोध के दौरान दो मरीजों में नकली जबड़ा और दांत प्रत्यारोपित किये जा चुके हैं. हैदराबाद में आयोजित कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांटोलॉजी (Corticobasal Implantology) में केजीएमयू के दो छात्रों को सम्मानित किया गया. बुधवार को केजीएमयू कुलपति ने पूरी टीम को बधाई दी है.

कोरोना वायरस से जीते मरीज कई तरह की परेशानियां झेल रहे हैं. केजीएमयू दंत संकाय के डॉक्टर लक्ष्य कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण से ऊबरे मरीजों को म्यूकर माइकोसिस ने घेर लिया है. ये एक प्रकार का फंगस होता है, जो नाक और मुंह में तेजी से फैलता है. जबड़े की हड्डियों को नष्ट कर देता है. जबड़े के ऊपर की हड्डी को सबसे पहले नुकसान पहुंचाता है. केजीएमयू में आए दो मरीजों का सफल इलाज किया गया.

उन्होंने बताया कि म्यूकर माइकोसिस की वजह से दोनों मरीजों के जबड़े की ऊपर की हड्डी करीब खराब हो चुकी थी. सीटी स्कैन कराया गया. इसमें टेरीगाइड और जाइगोमैटिक हड्डी बची थी. इसमें कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांटोलॉजी तकनीक से नकली जबड़ा और दांत प्रत्यारोपित किया गया.

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इस प्रक्रिया में करीब एक हफ्ते लगे. मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं. उन्होंने बताया कि इस पेपर को हैदराबाद की कॉन्फेंस में प्रस्तुत किया गया. दंत संकाय में प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग की सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर अदिति वर्मा को वैज्ञानिक सत्र में प्रथम पुरस्कार मिला. इसमें रेजिडेंट डॉक्टर को 35 हजार रुपये और कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांट किट मिली. वहीं ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग में पीएचडी छात्रा डॉक्टर आस्था को 15 हजार रुपये और तीन कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांट देकर सम्मानित किया गया. दोनों छात्राएं प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग के डॉक्टर लक्ष्य कुमार और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के डॉक्टर यूएस पाल के निर्देशित में किया गया था. कुलपति डॉक्टर बिपिन पुरी ने पुरस्कार विजेता छात्राओं और डॉक्टरों को बधाई दी है.

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