लखनऊ: यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम को डग्गामार बसें हर माह करोड़ों रुपये की चपत लगा रही हैं. रोडवेज समय-समय पर इन बसों के खिलाफ अभियान भी चलाता है, लेकिन कुछ ही दिन बाद यह बसें वापस चलने लगती हैं. शनिवार को सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह ने लखनऊ में चल रही डग्गामार बसों के खिलाफ अभियान चलाया. आमतौर पर यह अभियान परिवहन निगम के अधिकारियों की ओर से चलाया जाता है.
परिवहन निगम अनुबंध पर भी बसों का संचालन करता है. ऐसे में कई बस मालिक अनुबंध की आड़ में अवैध तरीके से डग्गामार बसों का संचालन करते हैं. जिससे परिवहन निगम को राजस्व का नुकसान होता है. शनिवार को रेलवे स्टेशन के सामने अवैध रूप से संचालित की जा रही बसों पर सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ ने कार्रवाई की. दो बसों को पकड़कर जबरन चारबाग बस स्टेशन में खड़ा किया गया. संघ ने पदाधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है. पकड़ी गई बसें लखनऊ परिक्षेत्र के हैदरगढ़ डिपो से अनुबंध पर संचालित होती हैं. बस मालिक अनुबंध के साथ ही अवैध तरीके से बसों का संचालन करता पकड़ा गया. जसवंत सिंह ने बताया कि बस के मालिक को नोटिस देकर अनुबंध समाप्त करने की तैयारी अधिकारियों की ओर से की जाएगी.
इस तरह से रोडवेज होता है राजस्व का नुकसान
परिवहन निगम की बसों की तुलना में डग्गामार बसों का किराया कम होता है. साथ ही समय भी कम लेती है. लिहाजा यात्री रोडवेज बसों की बजाए इन बसों की ओर रूख करते हैं. इस कारण रोडवेज को रोजाना लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान होता है. वहीं रोडवेज की ओर से यात्रियों को डग्गामार बसों में यात्रा न करने की सलाह दी जाती है. अधिकारियों ने बताया कि रोडवेज की बसों में दुर्घटना होने की संभावना कम होती है. अगर दुर्घटना होती भी है, तो यात्री को बीमा का लाभ मिलता है और उसे मुआवजा भी दिया जाता है. वहीं डग्गामार बसों में दुर्घटना होने की संभावना अधिक रहती है.