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देश का पहला राज्य यूपी जहां से हुआ वाहनों में वीआईपी कल्चर का आगाज, अब बना गले की फांस - लखनऊ आरटीओ ऑफिस

उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग की एक चूक से जी सीरीज (राजकीय वाहनों के लिए आरक्षित) आवंटित होने से प्रदेश में नकली वीआईपी वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं. इससे आम आदमी के साथ प्रशासनिक अधिकारियों को भी धोखे का सामना करना पड़ रहा है. बहरहाल मामला संज्ञान में आने के बाद परिवहन विभाग कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.

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Published : Aug 12, 2023, 6:12 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां पर वाहनों के वीआईपी कल्चर की शुरुआत हुई. यह शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी जब देश के पहले राज्य के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार ने वाहनों के लिए जी सीरीज आवंटित कर दी थी. इस सीरीज को गवर्नमेंट सीरीज के रूप में परिवहन विभाग ने लॉक कर दिया था. अब भी यूपी में "जी" सीरीज का जलवा बरकरार है. परिवहन विभाग के अधिकारी ही मानते हैं कि देश में उत्तर प्रदेश के अलावा ऐसा कोई राज्य नहीं है जहां पर कोई भी सीरीज वाहनों के लिए लॉक की गई हो. अब नीलामी के दौरान इन्हीं सरकारी वाहनों की सीरीज का फायदा प्राइवेट वाहन स्वामी उठा ले गए. इसके बाद अब एक पांच अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है जो ऐसे वाहनों की नीलामी में "जी" सीरीज के नंबरों की पोर्टेबिलिटी पर रोक लगाने की संस्तुति करेगी. इसके अलावा कई और सुझाव कमेटी की तरफ से तैयार किए जा रहे हैं

वाहनों में वीआईपी कल्चर.
वाहनों में वीआईपी कल्चर.
दरअसल, वर्ष 2019 में परिवहन विभाग ने एक नई व्यवस्था शुरू की थी, वह थी नंबर पोर्टेबिलिटी की. किसी भी वाहन का पुराना नंबर वाहन स्वामी अगर अपनी नई गाड़ी पर लेना चाहे तो निर्धारित शुल्क चुकाकर यह नंबर ले सकता है. उसके नए वाहन का नंबर पुराने वाहन पर और पुराने वाहन का नंबर नए वाहन पर ट्रांसफर हो जाता है. इसी का फायदा सरकारी वाहनों की नीलामी के खरीदारों ने उठाना शुरू कर दिया. इन खरीदारों ने लंबे समय तक सरकारी नंबर का भौकाल दिखाने के लिए नए वाहनों पर पोर्टेबिलिटी के तहत नीलामी में खरीदे गए सरकारी नंबर नए वाहन पर ट्रांसफर कराना शुरू कर दिया.
वाहनों में वीआईपी कल्चर.
वाहनों में वीआईपी कल्चर.
वाहनों में वीआईपी कल्चर.
वाहनों में वीआईपी कल्चर.

जब यह बात विभाग के संज्ञान में आई तो इसमें संशोधन के लिए एक समिति का गठन किया गया है. यह पांच सदस्सीय समिति वाहन पोर्टेबिलिटी के लिए जारी नोटिफिकेशन में संशोधन, वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया में सुझाव और "जी" नंबर के सभी सीरीज को लॉक करने के लिए अपना सुझाव प्रस्तुत करेगी. इसके बाद चूंकि मामला गवर्नमेंट सीरीज का है लिहाजा, इसे शासन से ही संशोधित किया जा सकता है. कैबिनेट से भी इसका अप्रूवल लेना होगा. इसके बाद जी सीरीज का नंबर किसी कीमत पर पोर्टेबल नहीं कराया जा सकेगा.







यह भी पढ़ें : वेबसीरीज देखकर बनाया खौफनाक प्लान, 50 बार रेकी कर पहुंचे थे लूटने, विरोध करने पर मारी थी बुजुर्ग दंपत्ति गोली

लखनऊ : उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां पर वाहनों के वीआईपी कल्चर की शुरुआत हुई. यह शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी जब देश के पहले राज्य के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार ने वाहनों के लिए जी सीरीज आवंटित कर दी थी. इस सीरीज को गवर्नमेंट सीरीज के रूप में परिवहन विभाग ने लॉक कर दिया था. अब भी यूपी में "जी" सीरीज का जलवा बरकरार है. परिवहन विभाग के अधिकारी ही मानते हैं कि देश में उत्तर प्रदेश के अलावा ऐसा कोई राज्य नहीं है जहां पर कोई भी सीरीज वाहनों के लिए लॉक की गई हो. अब नीलामी के दौरान इन्हीं सरकारी वाहनों की सीरीज का फायदा प्राइवेट वाहन स्वामी उठा ले गए. इसके बाद अब एक पांच अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है जो ऐसे वाहनों की नीलामी में "जी" सीरीज के नंबरों की पोर्टेबिलिटी पर रोक लगाने की संस्तुति करेगी. इसके अलावा कई और सुझाव कमेटी की तरफ से तैयार किए जा रहे हैं

वाहनों में वीआईपी कल्चर.
वाहनों में वीआईपी कल्चर.
दरअसल, वर्ष 2019 में परिवहन विभाग ने एक नई व्यवस्था शुरू की थी, वह थी नंबर पोर्टेबिलिटी की. किसी भी वाहन का पुराना नंबर वाहन स्वामी अगर अपनी नई गाड़ी पर लेना चाहे तो निर्धारित शुल्क चुकाकर यह नंबर ले सकता है. उसके नए वाहन का नंबर पुराने वाहन पर और पुराने वाहन का नंबर नए वाहन पर ट्रांसफर हो जाता है. इसी का फायदा सरकारी वाहनों की नीलामी के खरीदारों ने उठाना शुरू कर दिया. इन खरीदारों ने लंबे समय तक सरकारी नंबर का भौकाल दिखाने के लिए नए वाहनों पर पोर्टेबिलिटी के तहत नीलामी में खरीदे गए सरकारी नंबर नए वाहन पर ट्रांसफर कराना शुरू कर दिया.
वाहनों में वीआईपी कल्चर.
वाहनों में वीआईपी कल्चर.
वाहनों में वीआईपी कल्चर.
वाहनों में वीआईपी कल्चर.

जब यह बात विभाग के संज्ञान में आई तो इसमें संशोधन के लिए एक समिति का गठन किया गया है. यह पांच सदस्सीय समिति वाहन पोर्टेबिलिटी के लिए जारी नोटिफिकेशन में संशोधन, वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया में सुझाव और "जी" नंबर के सभी सीरीज को लॉक करने के लिए अपना सुझाव प्रस्तुत करेगी. इसके बाद चूंकि मामला गवर्नमेंट सीरीज का है लिहाजा, इसे शासन से ही संशोधित किया जा सकता है. कैबिनेट से भी इसका अप्रूवल लेना होगा. इसके बाद जी सीरीज का नंबर किसी कीमत पर पोर्टेबल नहीं कराया जा सकेगा.







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