लखनऊ: बिना किसी स्वार्थ और अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरों की जान बचाने वाले नेक इंसानों को परिवहन विभाग ने सड़क सुरक्षा सप्ताह के शुभारंभ पर सम्मानित किया. गुड सेमेरिटन अवार्ड पाने वालों में आम इंसान से लेकर पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इन सभी लोगों ने सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को सही समय पर अस्पताल पहुंचाया और उनकी जिंदगी बचाई.
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ये है गोल्डन ऑवर
'गोल्डन ऑवर' उसे कहते हैं, जब किसी की दुर्घटना होती है और ज्यादा रक्तस्राव हो जाता है. ऐसे में एक घंटे के अंदर अगर उसे चिकित्सा सुविधा मिल जाती है तो उसकी जान बचने की संभावना 75 फीसदी से ज्यादा हो जाती है. ऐसे ही सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को इन नेक इंसानों ने सही समय पर अस्पताल पहुंचाया और उनकी जान बचा ली. इसके बाद प्रदेश भर में ऐसे नेक इंसानों का चयन कर परिवहन विभाग ने शनिवार को 31वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के शुभारंभ पर मंच पर सम्मानित किया गया.
आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि घटनाएं हो जाती हैं. मेरे सामने भी हुई हैं और हमने लोगों की जान से बचाने का पूरा प्रयास किया और वह बच भी गए. सन् 1998 में मेरे मामा का एक्सीडेंट हुआ. उस समय से ही मैंने ठान लिया कि अब हमें सड़क सुरक्षा पर काम करना है. लोगों की जान बचाने का काम करेंगे.
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यातायात पुलिसकर्मी दीनदयाल सिंह ने बताया कि ड्यूटी के दौरान पांच ऐसी घटनाएं घटी, जिसमें हमने पांचों लोगों की जान बचाई. मैं अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाकर उन्हें अस्पताल पहुंचाया. ऐसे ही पांच लोगों की हमने जान बचा ली. समाज को यही संदेश देना चाहेंगे कि पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करें, क्योंकि यह पुलिस का ही कार्य नहीं है, जनता का भी सहयोग होना चाहिए.
दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान बचाने वाले लोगों को यहां सम्मानित किया गया है. हम अन्य प्रदेश के हिस्सों में भी उन्हें सम्मानित करते रहेंगे, क्योंकि वह एक तरह से दुर्घटना के समय में देवदूत की भूमिका निभाते हैं. ऐसे देवदूत को हम सम्मानित करते रहेंगे.
-अशोक कटारिया, परिवहन मंत्री