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लखनऊ: दूसरों की जान बचाने वाले नेक इंसानों का हुआ सम्मान

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Published : Jan 11, 2020, 7:41 PM IST

राजधानी लखनऊ में गुड सेमेरिटन सम्मान देकर परिवहन विभाग ने लोगों को गौरवान्वित किया. इन सभी लोगों ने सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को सही समय पर अस्पताल पहुंचाया था.

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गुड सेमेरिटन अवार्ड से किया गया सम्मानित.

लखनऊ: बिना किसी स्वार्थ और अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरों की जान बचाने वाले नेक इंसानों को परिवहन विभाग ने सड़क सुरक्षा सप्ताह के शुभारंभ पर सम्मानित किया. गुड सेमेरिटन अवार्ड पाने वालों में आम इंसान से लेकर पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इन सभी लोगों ने सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को सही समय पर अस्पताल पहुंचाया और उनकी जिंदगी बचाई.

गुड सेमेरिटन अवार्ड से किया गया सम्मानित.
गुड सेमेरिटन यानी नेक इंसान, जिन्हें परिवहन विभाग ने सम्मान देकर मंच पर गौरवान्वित किया. यह सम्मान पाकर सभी नेक इंसानों ने परिवहन विभाग को धन्यवाद भी दिया. प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 18 आम नागरिक, 36 पुलिसकर्मियों, परिवहन विभाग के 16 कर्मचारियों को सम्मानित किया गया. इन सभी ने सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को गोल्डन आवर में हॉस्पिटल पहुंचाया था, जिससे उनकी जान बच गई.

ये भी पढ़ें- 14 घंटे में 8 सड़क हादसे, 16 की मौत, 65 घायल

ये है गोल्डन ऑवर
'गोल्डन ऑवर' उसे कहते हैं, जब किसी की दुर्घटना होती है और ज्यादा रक्तस्राव हो जाता है. ऐसे में एक घंटे के अंदर अगर उसे चिकित्सा सुविधा मिल जाती है तो उसकी जान बचने की संभावना 75 फीसदी से ज्यादा हो जाती है. ऐसे ही सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को इन नेक इंसानों ने सही समय पर अस्पताल पहुंचाया और उनकी जान बचा ली. इसके बाद प्रदेश भर में ऐसे नेक इंसानों का चयन कर परिवहन विभाग ने शनिवार को 31वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के शुभारंभ पर मंच पर सम्मानित किया गया.

आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि घटनाएं हो जाती हैं. मेरे सामने भी हुई हैं और हमने लोगों की जान से बचाने का पूरा प्रयास किया और वह बच भी गए. सन् 1998 में मेरे मामा का एक्सीडेंट हुआ. उस समय से ही मैंने ठान लिया कि अब हमें सड़क सुरक्षा पर काम करना है. लोगों की जान बचाने का काम करेंगे.

ये भी पढ़ें- महोबा: तेज रफ्तार कार पेड़ से टकराई, तीन की मौत

यातायात पुलिसकर्मी दीनदयाल सिंह ने बताया कि ड्यूटी के दौरान पांच ऐसी घटनाएं घटी, जिसमें हमने पांचों लोगों की जान बचाई. मैं अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाकर उन्हें अस्पताल पहुंचाया. ऐसे ही पांच लोगों की हमने जान बचा ली. समाज को यही संदेश देना चाहेंगे कि पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करें, क्योंकि यह पुलिस का ही कार्य नहीं है, जनता का भी सहयोग होना चाहिए.

दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान बचाने वाले लोगों को यहां सम्मानित किया गया है. हम अन्य प्रदेश के हिस्सों में भी उन्हें सम्मानित करते रहेंगे, क्योंकि वह एक तरह से दुर्घटना के समय में देवदूत की भूमिका निभाते हैं. ऐसे देवदूत को हम सम्मानित करते रहेंगे.
-अशोक कटारिया, परिवहन मंत्री

लखनऊ: बिना किसी स्वार्थ और अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरों की जान बचाने वाले नेक इंसानों को परिवहन विभाग ने सड़क सुरक्षा सप्ताह के शुभारंभ पर सम्मानित किया. गुड सेमेरिटन अवार्ड पाने वालों में आम इंसान से लेकर पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इन सभी लोगों ने सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को सही समय पर अस्पताल पहुंचाया और उनकी जिंदगी बचाई.

गुड सेमेरिटन अवार्ड से किया गया सम्मानित.
गुड सेमेरिटन यानी नेक इंसान, जिन्हें परिवहन विभाग ने सम्मान देकर मंच पर गौरवान्वित किया. यह सम्मान पाकर सभी नेक इंसानों ने परिवहन विभाग को धन्यवाद भी दिया. प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 18 आम नागरिक, 36 पुलिसकर्मियों, परिवहन विभाग के 16 कर्मचारियों को सम्मानित किया गया. इन सभी ने सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को गोल्डन आवर में हॉस्पिटल पहुंचाया था, जिससे उनकी जान बच गई.

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ये है गोल्डन ऑवर
'गोल्डन ऑवर' उसे कहते हैं, जब किसी की दुर्घटना होती है और ज्यादा रक्तस्राव हो जाता है. ऐसे में एक घंटे के अंदर अगर उसे चिकित्सा सुविधा मिल जाती है तो उसकी जान बचने की संभावना 75 फीसदी से ज्यादा हो जाती है. ऐसे ही सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को इन नेक इंसानों ने सही समय पर अस्पताल पहुंचाया और उनकी जान बचा ली. इसके बाद प्रदेश भर में ऐसे नेक इंसानों का चयन कर परिवहन विभाग ने शनिवार को 31वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के शुभारंभ पर मंच पर सम्मानित किया गया.

आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि घटनाएं हो जाती हैं. मेरे सामने भी हुई हैं और हमने लोगों की जान से बचाने का पूरा प्रयास किया और वह बच भी गए. सन् 1998 में मेरे मामा का एक्सीडेंट हुआ. उस समय से ही मैंने ठान लिया कि अब हमें सड़क सुरक्षा पर काम करना है. लोगों की जान बचाने का काम करेंगे.

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यातायात पुलिसकर्मी दीनदयाल सिंह ने बताया कि ड्यूटी के दौरान पांच ऐसी घटनाएं घटी, जिसमें हमने पांचों लोगों की जान बचाई. मैं अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाकर उन्हें अस्पताल पहुंचाया. ऐसे ही पांच लोगों की हमने जान बचा ली. समाज को यही संदेश देना चाहेंगे कि पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करें, क्योंकि यह पुलिस का ही कार्य नहीं है, जनता का भी सहयोग होना चाहिए.

दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान बचाने वाले लोगों को यहां सम्मानित किया गया है. हम अन्य प्रदेश के हिस्सों में भी उन्हें सम्मानित करते रहेंगे, क्योंकि वह एक तरह से दुर्घटना के समय में देवदूत की भूमिका निभाते हैं. ऐसे देवदूत को हम सम्मानित करते रहेंगे.
-अशोक कटारिया, परिवहन मंत्री

Intro:दूसरों की जान बचाने वाले नेक इंसानों का हुआ सम्मान, गुड सेमेरिटन सम्मान से नवाजे गए नेक इंसान

लखनऊ। बिना किसी स्वार्थ और अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरों की जान बचाने वाले नेक इंसानों को परिवहन विभाग ने सड़क सुरक्षा सप्ताह के शुभारंभ पर सम्मानित किया। गुड सेमेरिटन अवार्ड पाने वालों में आम इंसान से लेकर पुलिसकर्मी भी शामिल थे। इन सभी लोगों ने सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को सही समय पर अस्पताल पहुंचाकर उन्हें जीवनदान दिया तो परिवहन विभाग ने उनका सम्मान किया।


Body:गुड सेमेरिटन यानी नेक इंसान, जिन्हें परिवहन विभाग ने सम्मान देकर मंच पर गौरवान्वित किया। यह सम्मान पाकर सभी नेक इंसानों ने परिवहन विभाग को धन्यवाद भी दिया। प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 18 आम नागरिक, 36 पुलिसकर्मियों, जिनमें (सिविल और ट्रैफिक पुलिसकर्मी) और परिवहन विभाग के 16 कर्मचारी शामिल थे, को लोगों की जान बचाने के एवज में परिवहन विभाग ने नेक इंसान का सम्मान दिया गया। इन सभी ने सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को गोल्डन आवर में हॉस्पिटल पहुंचाया था जिससे उनकी जान बच गई। बता दें कि गोल्डन आवर उसे कहते हैं जब किसी की दुर्घटना होती है और ज्यादा रक्तस्राव हो जाता है तो 1 घंटे के अंदर अगर उसे चिकित्सा सुविधा मिल जाती है तो उसकी जान बचने की संभावना 75% से ज्यादा हो जाती है। ऐसे ही सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को इन नेक इंसानों ने सही समय पर अस्पताल पहुंचाया और उनकी जान बचा ली जिसके बाद प्रदेश भर में ऐसे नेक इंसानों का चयन कर परिवहन विभाग ने आज 31वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के शुभारंभ पर मंच पर सम्मानित किया।


Conclusion:बाइट: आशीष श्रीवास्तव: नेक इंसान

घटनाएं तो हो जाती हैं मेरे सामने भी हुई हैं और हमने लोगों की जान बचाने का पूरा प्रयास किया और वह बच भी गए।सन् 1998 में मेरे मामा जी का एक्सीडेंट हुआ उस समय से ही मैंने ठान लिया कि अब हमें सड़क सुरक्षा पर काम करना है। लोगों की जान बचाने का काम करेंगे। हम सभी लोगों से बोलेंगे कि आप कभी भी किसी भी व्यक्ति का एक्सीडेंट अगर देखें तो ऐसे आंख मूंदकर निकलें मत। आपका एक छोटा सा प्रयास एक परिवार को, समाज को, देश को और प्रदेश को एक नई जिंदगी दे सकता है। आप थोड़ा सा समय निकाल कर उस परिवार की खुशी लौटा सकते हैं तो लौटाइए अवश्य।


बाइट: दीनदयाल सिंह: यातायात पुलिस कर्मी: नेक इंसान

मेरी ड्यूटी के दौरान पांच ऐसी घटनाएं घटीं जिसमें हमने पांचों लोगों की जान बचाई। मैं अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाकर उन्हें अस्पताल ले गया। ऐसे पांच लोगों की हमने जान बचा ली। समाज को यही संदेश देना चाहेंगे कि पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उसका सहयोग करें। क्योंकि यह पुलिस का ही कार्य नहीं है जनता का भी सहयोग होना चाहिए। बहुत अच्छा लगा परिवहन विभाग ने मुझे सम्मान दिया। पहली बार ऐसा सम्मान मुझे मिला। मैं गौरवान्वित हूं।


बाइट: अशोक कटारिया: परिवहन मंत्री 

जो लोग दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान बचाने का काम करते हैं ऐसे लोगों को आज यहां सम्मानित किया गया है। हम अन्य प्रदेश के हिस्सों में भी अन्य स्थानों पर भी उन्हें सम्मानित करते रहेंगे। क्योंकि वह एक तरह से दुर्घटना के समय में देवदूत की भूमिका निभाते हैं। ऐसे देवदूत ओं को हम सम्मानित करते रहेंगे।

अखिल पांडेय, लखनऊ, 93368 64096





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