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यूपी में जल्द बनेगा ट्रांसमिशन सिस्टम कनेक्टिविटी कानून, नियामक आयोग में हुई सुनवाई

ट्रांसमिशन सिस्टम कनेक्टिविटी कानून यूपी में जल्द बनेगा. उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम कनेक्टिविटी कानून -2023 में प्रस्तावित संशोधन (Transmission system connectivity law) के लिए बुधवार को सुनवाई हुई.

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Etv Bharat regulatory commission ट्रांसमिशन सिस्टम कनेक्टिविटी कानून Transmission system connectivity law
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 4, 2024, 9:09 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम कनेक्टिविटी कानून -2023 में प्रस्तावित संशोधन (Transmission system connectivity law) के लिए बुधवार को सुनवाई हुई. उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि जल्द ही एक पारदर्शी और अच्छा कानून प्रदेश में लागू होगा. ट्रांसमिशन कनेक्टिविटी रेगुलेशन 2010 में बना था. वर्तमान परिस्थितियों व ऊर्जा सेक्टर में बदलाव को देखते हुए लगभग 13 साल बाद कनेक्टिविटी रेगुलेशन में संशोधन के लिए प्रस्तावित व्यवस्था पर सुनवाई हुई.

सुनवाई में अपना पक्ष रखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निश्चित ही इस रेगुलेशन से आने वाले समय में पावर ट्रांसमिशन को मजबूती मिलेगी और वर्तमान में बैटरी स्टोरेज सिस्टम रिन्यूएबल डाटा पार्क सोलर जनरेटर को कनेक्टिविटी ट्रांसमिशन सिस्टम से बनाए रखने में काफी मदद मिलेगी. जवाब देही भी तय होगी. पहली बार ऐसा हुआ है कि विद्युत नियामक आयोग के प्रस्तावित रेगुलेशन में सभी वित्तीय विधिक व तकनीक पैरामीटर और भारत सरकार की गाइडलाइन को शामिल करते हुए कनेक्टिविटी का कानून बनाया जा रहा है.

इससे आने वाले समय में पावर ट्रांसमिशन को काफी मजबूती मिलेगी. पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन स्वस्थ नेटवर्क प्रणाली के साथ आगे बढेगा. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि डेडीकेटेड लाइन बनने के बाद जब उसकी कनेक्टिविटी ट्रांसमिशन सिस्टम से हो जाएगी और उसका मालिकाना हक पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन के पास आ जाएगा तो उस लाइन के रखरखाव पर आने वाले खर्च का भार उपभोक्ताओं पर न पड़े. इस दिशा में विद्युत नियामक आयोग को सोचना पड़ेगा.

प्रस्तावित रेगुलेशन में इस आने वाले खर्च को मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के समय देखने की बात की गई है, जो वार्षिक राजस्व आवश्यकता का भाग बन जाएगा. ऐसे में ऐसी व्यवस्था प्रावधानित होनी चाहिए कि उसका भार आम जनता पर न पड़े. कहा कि विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बनाए जा रहे प्रस्तावित कानून में प्रति मेगावाट पांच लाख कनेक्टिविटी बैंक गारंटी भी रखी गई है. आने वाले समय में इससे ट्रांसमिशन कनेक्टिविटी सिस्टम की व्यवस्था पारदर्शी हो जाएगी.

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार, सदस्य संजय कुमार सिंह और बीके श्रीवास्तव की उपस्थिति में सुनवाई संपन्न हुई. पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन के निदेशक पियूष गर्ग सहित ट्रांसमिशन कारपोरेशन एसएलडीसी के अनेकों अधिकारी और उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष व कुछ प्राइवेट जेनरेटरों ने हिस्सा लिया.

ये भी पढ़ें- लोहिया अस्पताल में डॉक्टर के उत्पीड़न का मामला, जांच के लिए बनी समिति

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम कनेक्टिविटी कानून -2023 में प्रस्तावित संशोधन (Transmission system connectivity law) के लिए बुधवार को सुनवाई हुई. उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि जल्द ही एक पारदर्शी और अच्छा कानून प्रदेश में लागू होगा. ट्रांसमिशन कनेक्टिविटी रेगुलेशन 2010 में बना था. वर्तमान परिस्थितियों व ऊर्जा सेक्टर में बदलाव को देखते हुए लगभग 13 साल बाद कनेक्टिविटी रेगुलेशन में संशोधन के लिए प्रस्तावित व्यवस्था पर सुनवाई हुई.

सुनवाई में अपना पक्ष रखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निश्चित ही इस रेगुलेशन से आने वाले समय में पावर ट्रांसमिशन को मजबूती मिलेगी और वर्तमान में बैटरी स्टोरेज सिस्टम रिन्यूएबल डाटा पार्क सोलर जनरेटर को कनेक्टिविटी ट्रांसमिशन सिस्टम से बनाए रखने में काफी मदद मिलेगी. जवाब देही भी तय होगी. पहली बार ऐसा हुआ है कि विद्युत नियामक आयोग के प्रस्तावित रेगुलेशन में सभी वित्तीय विधिक व तकनीक पैरामीटर और भारत सरकार की गाइडलाइन को शामिल करते हुए कनेक्टिविटी का कानून बनाया जा रहा है.

इससे आने वाले समय में पावर ट्रांसमिशन को काफी मजबूती मिलेगी. पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन स्वस्थ नेटवर्क प्रणाली के साथ आगे बढेगा. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि डेडीकेटेड लाइन बनने के बाद जब उसकी कनेक्टिविटी ट्रांसमिशन सिस्टम से हो जाएगी और उसका मालिकाना हक पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन के पास आ जाएगा तो उस लाइन के रखरखाव पर आने वाले खर्च का भार उपभोक्ताओं पर न पड़े. इस दिशा में विद्युत नियामक आयोग को सोचना पड़ेगा.

प्रस्तावित रेगुलेशन में इस आने वाले खर्च को मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के समय देखने की बात की गई है, जो वार्षिक राजस्व आवश्यकता का भाग बन जाएगा. ऐसे में ऐसी व्यवस्था प्रावधानित होनी चाहिए कि उसका भार आम जनता पर न पड़े. कहा कि विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बनाए जा रहे प्रस्तावित कानून में प्रति मेगावाट पांच लाख कनेक्टिविटी बैंक गारंटी भी रखी गई है. आने वाले समय में इससे ट्रांसमिशन कनेक्टिविटी सिस्टम की व्यवस्था पारदर्शी हो जाएगी.

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार, सदस्य संजय कुमार सिंह और बीके श्रीवास्तव की उपस्थिति में सुनवाई संपन्न हुई. पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन के निदेशक पियूष गर्ग सहित ट्रांसमिशन कारपोरेशन एसएलडीसी के अनेकों अधिकारी और उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष व कुछ प्राइवेट जेनरेटरों ने हिस्सा लिया.

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