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उत्तर प्रदेश में बंद हो गया यह 'उद्योग', कभी होते थे करोड़ों के वारे-न्यारे - Analysis of UP Bureau Chief

उत्तर प्रदेश में तबादलों में होने वाले भ्रष्टाचार और अनियमितता को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छह वर्ष पहले सत्ता संभालते ही कड़े कदम उठाए थे. यही कारण है कि अब तबादलों को लेकर भ्रष्टाचार और अनियमितता की चर्चा कम हो गई है. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

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Published : Aug 3, 2023, 7:59 PM IST

उत्तर प्रदेश में बंद हो गया ट्रांसफर-पोस्टिंग 'उद्योग'. देखें खबर

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कभी एक 'उद्योग' की चर्चा हमेशा चर्चा में रहती है, पर उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद पिछले छह साल से यह "उद्योग" ठप सा हो गया है. हम बात कर रहे हैं, तबादला उद्योग की. यदि पिछले छह साल की बात छोड़ दें, तो प्रदेश में चाहें किसी भी दल की सरकार रही हो, तबादलों को लेकर खूब चर्चा होती थी और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते थे. कई बार भ्रष्टाचार के मामले सामने भी आए हैं. आईएएस अधिकारियों के तबादले बहुत जल्दी-जल्दी होते थे. बिरला ही कोई जिलाधिकारी होगा, जो दो-तीन साल किसी जिले में पूरा कर पाता होगा. हालांकि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद इस गोरखधंधे पर न सिर्फ रोक लगी, बल्कि तबादलों में पारदर्शिता भी आई है.

उत्तर प्रदेश में बंद हो गया ट्रांसफर-पोस्टिंग 'उद्योग'.
उत्तर प्रदेश में बंद हो गया ट्रांसफर-पोस्टिंग 'उद्योग'.



गौरतलब है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने तबादलों में होने वाले भ्रष्टाचार और अनियमितता को रोकने के लिए पहले दिन से ही काम किया था, जिसका नतीजा है कि प्रदेश में पिछले छह साल में तबादलों को लेकर विवाद या भ्रष्टाचार का कोई मामला सुनाई नहीं दिया. शिक्षकों के तबादलों को लेकर भी साल भर मारामारी रहती थी. अन्य विभागों में भी साल भर तबादलों की गहमागहमी बनी रहती थी. योगी सरकार ने तबादलों को लेकर एक स्पष्ट नीति बनाई है. सरकार ने अगले साल के लिए भी अभी से तैयारी की है.

उत्तर प्रदेश में बंद हो गया यह 'उद्योग'.
उत्तर प्रदेश में बंद हो गया यह 'उद्योग'.




इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं छह वर्ष पहले जब योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाला था, तब उत्तर प्रदेश में तबादला उद्योग की नीति भी प्रचलित हुआ करती थी. योगी को यह नीति विरासत में मिली थी, किंतु उन्होंने पहला काम यह किया कि इस नीति को खत्म किया. कुछ-कुछ माह पर अधिकारियों के जो तबादले हुआ करते थे. योगी आदित्यनाथ ने उन्हें भी बदल दिया है. योगी का मानना है कि सुशासन की स्थापना के लिए ऐसा करना जरूरी है. क्योंकि जब चार-छह माह में अधिकारी बदल जाएं, तो शासन में स्थायित्व आ ही नहीं सकता.

यह भी पढ़ें : बिजनौर क्षेत्र में बढ़ा गुलदारों का आतंक, निपटने के लिए गठित की गईं टीमें

उत्तर प्रदेश में बंद हो गया ट्रांसफर-पोस्टिंग 'उद्योग'. देखें खबर

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कभी एक 'उद्योग' की चर्चा हमेशा चर्चा में रहती है, पर उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद पिछले छह साल से यह "उद्योग" ठप सा हो गया है. हम बात कर रहे हैं, तबादला उद्योग की. यदि पिछले छह साल की बात छोड़ दें, तो प्रदेश में चाहें किसी भी दल की सरकार रही हो, तबादलों को लेकर खूब चर्चा होती थी और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते थे. कई बार भ्रष्टाचार के मामले सामने भी आए हैं. आईएएस अधिकारियों के तबादले बहुत जल्दी-जल्दी होते थे. बिरला ही कोई जिलाधिकारी होगा, जो दो-तीन साल किसी जिले में पूरा कर पाता होगा. हालांकि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद इस गोरखधंधे पर न सिर्फ रोक लगी, बल्कि तबादलों में पारदर्शिता भी आई है.

उत्तर प्रदेश में बंद हो गया ट्रांसफर-पोस्टिंग 'उद्योग'.
उत्तर प्रदेश में बंद हो गया ट्रांसफर-पोस्टिंग 'उद्योग'.



गौरतलब है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने तबादलों में होने वाले भ्रष्टाचार और अनियमितता को रोकने के लिए पहले दिन से ही काम किया था, जिसका नतीजा है कि प्रदेश में पिछले छह साल में तबादलों को लेकर विवाद या भ्रष्टाचार का कोई मामला सुनाई नहीं दिया. शिक्षकों के तबादलों को लेकर भी साल भर मारामारी रहती थी. अन्य विभागों में भी साल भर तबादलों की गहमागहमी बनी रहती थी. योगी सरकार ने तबादलों को लेकर एक स्पष्ट नीति बनाई है. सरकार ने अगले साल के लिए भी अभी से तैयारी की है.

उत्तर प्रदेश में बंद हो गया यह 'उद्योग'.
उत्तर प्रदेश में बंद हो गया यह 'उद्योग'.




इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं छह वर्ष पहले जब योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाला था, तब उत्तर प्रदेश में तबादला उद्योग की नीति भी प्रचलित हुआ करती थी. योगी को यह नीति विरासत में मिली थी, किंतु उन्होंने पहला काम यह किया कि इस नीति को खत्म किया. कुछ-कुछ माह पर अधिकारियों के जो तबादले हुआ करते थे. योगी आदित्यनाथ ने उन्हें भी बदल दिया है. योगी का मानना है कि सुशासन की स्थापना के लिए ऐसा करना जरूरी है. क्योंकि जब चार-छह माह में अधिकारी बदल जाएं, तो शासन में स्थायित्व आ ही नहीं सकता.

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