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जमीनें निजी कंपनी के नाम पर कर दीं ट्रांसफर, दर-दर भटक रहे किसान

राजधानी लखनऊ के कल्ली पश्चिम ग्राम पंचायत में बड़े पैमाने पर किसानों की जमीन एक निजी कंपनी के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई है. वहीं पीड़ित किसान अपनी शिकायत को लेकर दर बदर भटकने को मजबूर हैं.

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Published : Jul 4, 2019, 6:12 PM IST

Updated : Jul 4, 2019, 6:17 PM IST

डिजाइन इमेज.

लखनऊ: भले ही प्रदेश की योगी सरकार एंटी भू-माफिया के नाम पर जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई की बात करती हो, लेकिन प्रदेश में जमीनों को लेकर होने वाले खेल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बड़ी संख्या में किसानों की जमीन एक निजी कंपनी के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई है. जमीन ट्रांसफर हो जाने के बाद किसान हाथों में दस्तावेज लिए दर बदर की ठोकरें खा रहे हैं. जमीन ट्रांसफर हो जाने के बाद पीड़ित लेखपाल से लेकर डीएम मुख्यमंत्री तक शिकायत कर चुके हैं.

जानिए, पूरा मामला

  • मामला राजधानी लखनऊ के कल्ली पश्चिम ग्राम पंचायत का है, जहां पर एक निजी कंपनी हाउसिंग सिटी का निर्माण कर रही है.
  • बड़ी संख्या में किसानों की जमीन कंपनी के नाम कर दी गई है, जबकि किसानों ने न ही कोई लिखा पढ़ी की है और न ही बैनामा.
  • जमीन अधिग्रहण का काम भी एलडीए जिला प्रशासन की ओर से नहीं किया जा रहा है.
  • ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर जमीन अपने आप निजी कंपनी के नाम ट्रांसफर हुई तो कैसे हुई?
  • गांव वालों का आरोप है कि कंपनी और जिला प्रशासन के कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते उनकी जमीन कंपनी के नाम कर दी गई है.

औने-पौने दाम पर जमीन खरीदना चाहती है कंपनी
जिस तरीके से किसानों की जमीनों की खतौनी पर कंपनी का नाम चढ़ाया गया है, उससे पूरे प्रकरण में कुछ खेल होने की बू आ रही है. हालांकि जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि एक मानवीय भूल हो सकती है, लेकिन मानवीय भूल होती तो तमाम अन्य खतौनी पर भी लागू होती. ज्यादातर मामले सिर्फ निजी कंपनियों से जुड़े हुए क्यों होते हैं? ऐसे में पीड़ितों का आरोप है कि कंपनी क्योंकि सस्ती दरों पर गांव वालों की जमीन खरीदना चाहती है, उसके इशारे पर ही जिला प्रशासन के जिम्मेदार कर्मचारी मिलीभगत करके उनकी जमीन कंपनी के नाम कर दे रहे हैं. जिससे कंपनी उनसे औने-पौने दाम पर जमीन खरीद सके.

औने-पौने दाम पर जमीन खरीदना चाहती है कंपनी.

अपनी जमीन पर ही नहीं बना पा रहे घर
गांव में मजबूर किसान के परिवार हैं जिनके पास भूमि का छोटा सा टुकड़ा है. जिला प्रशासन के इस दखल के चलते गांव वाले अपनी जमीन पर रहने के लिए घर भी नहीं बना पा रहे हैं. ऐसे में एलडीए के कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई है. जब यह किसान अपनी जमीन पर कोई काम कराना चाहते हैं तो एलडीए के कर्मचारी आकर उन्हें रोक देते हैं, जबकि एलडीए के आला अधिकारियों का कहना है कि हम इस जमीन के अधिग्रहण में इन्वॉल्व नहीं है.

प्रशासन और अधिकारी का है मिलीभगत?
जिस तरीके से किसानों की जमीन कंपनी के नाम कर दी जा रही है. इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला प्रशासन के कुछ अधिकारी और कर्मचारी मिलीभगत करके किसानों की जमीन मनमाने तरीके से अपने नाम करना चाहते हैं. शायद यही कारण होगा कि कंपनी ने एलडीए को जमीन अधिग्रहण करने के लिए नहीं चुना. किसानों का आरोप है कि गांव के पास में ही शहीद पथ के लिए जमीन अधिकृत की गई. सरकार ने मोटी रकम किसानों को उपलब्ध कराएं. वहीं कंपनी किसानों को मुआवजा नहीं देना चाहती है. लिहाजा कंपनी इस तरीका का खेल करके किसानों की जमीन कम दरों पर हथियाना चाहती है.

क्या बोले जिम्मेदार
इस बारे में जब एसडीएम सरोजनी नगर से बातचीत की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि बड़े पैमाने पर कल्ली पश्चिम ग्राम पंचायत में किसानों की जमीन कंपनी के नाम ट्रांसफर होने की शिकायतें मिली हैं. एसडीएम ने इस पूरे प्रकरण की जांच कराने की बात भी कही है. अब देखना यह है कि जांच अपने नतीजे पर पहुंच पाती है कि नहीं. हालांकि एसडीएम ने कैंप लगाकर किसानों की जमीन ट्रांसफर होने से जुड़ी समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया है. इस पूरे प्रकरण पर एलडीए ने अपना पलड़ा झाड़ लिया है. एलडीए सचिव का कहना है एलडीए कंपनी के लिए भूमि अधिग्रहण का काम नहीं कर रहा है.


लखनऊ: भले ही प्रदेश की योगी सरकार एंटी भू-माफिया के नाम पर जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई की बात करती हो, लेकिन प्रदेश में जमीनों को लेकर होने वाले खेल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बड़ी संख्या में किसानों की जमीन एक निजी कंपनी के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई है. जमीन ट्रांसफर हो जाने के बाद किसान हाथों में दस्तावेज लिए दर बदर की ठोकरें खा रहे हैं. जमीन ट्रांसफर हो जाने के बाद पीड़ित लेखपाल से लेकर डीएम मुख्यमंत्री तक शिकायत कर चुके हैं.

जानिए, पूरा मामला

  • मामला राजधानी लखनऊ के कल्ली पश्चिम ग्राम पंचायत का है, जहां पर एक निजी कंपनी हाउसिंग सिटी का निर्माण कर रही है.
  • बड़ी संख्या में किसानों की जमीन कंपनी के नाम कर दी गई है, जबकि किसानों ने न ही कोई लिखा पढ़ी की है और न ही बैनामा.
  • जमीन अधिग्रहण का काम भी एलडीए जिला प्रशासन की ओर से नहीं किया जा रहा है.
  • ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर जमीन अपने आप निजी कंपनी के नाम ट्रांसफर हुई तो कैसे हुई?
  • गांव वालों का आरोप है कि कंपनी और जिला प्रशासन के कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते उनकी जमीन कंपनी के नाम कर दी गई है.

औने-पौने दाम पर जमीन खरीदना चाहती है कंपनी
जिस तरीके से किसानों की जमीनों की खतौनी पर कंपनी का नाम चढ़ाया गया है, उससे पूरे प्रकरण में कुछ खेल होने की बू आ रही है. हालांकि जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि एक मानवीय भूल हो सकती है, लेकिन मानवीय भूल होती तो तमाम अन्य खतौनी पर भी लागू होती. ज्यादातर मामले सिर्फ निजी कंपनियों से जुड़े हुए क्यों होते हैं? ऐसे में पीड़ितों का आरोप है कि कंपनी क्योंकि सस्ती दरों पर गांव वालों की जमीन खरीदना चाहती है, उसके इशारे पर ही जिला प्रशासन के जिम्मेदार कर्मचारी मिलीभगत करके उनकी जमीन कंपनी के नाम कर दे रहे हैं. जिससे कंपनी उनसे औने-पौने दाम पर जमीन खरीद सके.

औने-पौने दाम पर जमीन खरीदना चाहती है कंपनी.

अपनी जमीन पर ही नहीं बना पा रहे घर
गांव में मजबूर किसान के परिवार हैं जिनके पास भूमि का छोटा सा टुकड़ा है. जिला प्रशासन के इस दखल के चलते गांव वाले अपनी जमीन पर रहने के लिए घर भी नहीं बना पा रहे हैं. ऐसे में एलडीए के कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई है. जब यह किसान अपनी जमीन पर कोई काम कराना चाहते हैं तो एलडीए के कर्मचारी आकर उन्हें रोक देते हैं, जबकि एलडीए के आला अधिकारियों का कहना है कि हम इस जमीन के अधिग्रहण में इन्वॉल्व नहीं है.

प्रशासन और अधिकारी का है मिलीभगत?
जिस तरीके से किसानों की जमीन कंपनी के नाम कर दी जा रही है. इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला प्रशासन के कुछ अधिकारी और कर्मचारी मिलीभगत करके किसानों की जमीन मनमाने तरीके से अपने नाम करना चाहते हैं. शायद यही कारण होगा कि कंपनी ने एलडीए को जमीन अधिग्रहण करने के लिए नहीं चुना. किसानों का आरोप है कि गांव के पास में ही शहीद पथ के लिए जमीन अधिकृत की गई. सरकार ने मोटी रकम किसानों को उपलब्ध कराएं. वहीं कंपनी किसानों को मुआवजा नहीं देना चाहती है. लिहाजा कंपनी इस तरीका का खेल करके किसानों की जमीन कम दरों पर हथियाना चाहती है.

क्या बोले जिम्मेदार
इस बारे में जब एसडीएम सरोजनी नगर से बातचीत की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि बड़े पैमाने पर कल्ली पश्चिम ग्राम पंचायत में किसानों की जमीन कंपनी के नाम ट्रांसफर होने की शिकायतें मिली हैं. एसडीएम ने इस पूरे प्रकरण की जांच कराने की बात भी कही है. अब देखना यह है कि जांच अपने नतीजे पर पहुंच पाती है कि नहीं. हालांकि एसडीएम ने कैंप लगाकर किसानों की जमीन ट्रांसफर होने से जुड़ी समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया है. इस पूरे प्रकरण पर एलडीए ने अपना पलड़ा झाड़ लिया है. एलडीए सचिव का कहना है एलडीए कंपनी के लिए भूमि अधिग्रहण का काम नहीं कर रहा है.


Intro:नोट- सर, पैकेज स्टोरी के लिए खबर भेजी गई है


नोट- पहली बाइट एडीएम सरोजिनी नगर- चंदन पटेल

दूसरी बाइट सचिव एलडीए- एमपी सिंह

बाइट में किसानों के नाम

पहले किसान - भोलानाथ

दूसरा किसान- जगजीवन

तीसरा किसान- मास्टर

चौथा किसान- घनशयाम


एंकर

लखनऊ। भले ही प्रदेश की योगी सरकार एंटी भू माफिया के नाम पर जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों पर कार्यवाही की बात करती हो लेकिन प्रदेश में जमीनों को लेकर होने वाले खेल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बड़ी संख्या में किसानों की जमीन एक निजी कंपनी के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई है। जमीन ट्रांसफर हो जाने के बाद किसान हाथों में दस्तावेज लिए दर बदर की ठोकरें खा रहे हैं। जमीन ट्रांसफर हो जाने के बाद पीड़ित लेखपाल से लेकर डीएम मुख्यमंत्री तक शिकायत कर चुके हैं लेकिन इन किसानों को राहत नहीं मिल रही है।

मामला राजधानी लखनऊ के कल्ली पश्चिम ग्राम पंचायत का है जहां पर एक निजी कंपनी हाउसिंग सिटी का निर्माण कर रही है। बड़ी संख्या में किसानों की जमीन कंपनी के नाम कर दी गई है जबकि किसानों ने न ही कोई लिखा पढ़ी की है और न ही बैनामा जमीन अधिग्रहण का काम भी एलडीए जिला प्रशासन की ओर से नहीं किया जा रहा है। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर जमीन अपने आप निजी कंपनी के नाम ट्रांसफर हुई तो कैसे हुई? गांव वालों का आरोप है कि कंपनी वा जिला प्रशासन के कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते उनकी जमीन कंपनी के नाम कर दी गई है जिससे कंपनी औने पौने दाम पर उनकी जमीन खरीद सके।





Body:वियो


जिस तरीके से किसानों की जमीनों की खतौनी पर कंपनी का नाम चढ़ाया गया है उससे पूरे प्रकरण में में कुछ खेल होने की बू आ रही है। हालांकि जिम्मेदार कर्मचारियों व अधिकारियों का कहना है कि या एक मानवीय भूल हो सकती है लेकिन मानवीय भूल होती तो या तमाम अन्य खतौनी पर भी लागू होती ज्यादातर मामले सिर्फ निजी कंपनियों से जुड़े हुए क्यों होते हैं?

ऐसे में पीड़ितों का आरोप है कि कंपनी क्योंकि सस्ती दरों पर गांव वालों की जमीन खरीदना चाहती है उसके इशारे पर ही जिला प्रशासन के जिम्मेदार कर्मचारी मिलीभगत करके उनकी जमीन कंपनी के नाम कर दे रहे हैं जिससे कंपनी उनसे औने पौने दाम पर जमीन खरीद सके।

गांव में मजबूर किसान के परिवार हैं जिनके पास भूमि का छोटा सा टुकड़ा है जिला प्रशासन के इस खरल के चलते यह गांव वाले अपनी जमीन पर रहने के लिए घर भी नहीं बना पा रहे हैं ऐसे में एलडीए के कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई है जब यह किसान अपनी जमीन पर कोई काम कराना चाहते हैं तो एलडीए के कर्मचारी आकर उन्हें रोक देते हैं जबकि एलडीए के आला अधिकारियों का कहना है कि हम इस जमीन के अधिग्रहण में इन्वॉल्व नहीं है।


जिस तरीके से किसानों की जमीन कंपनी के नाम कर दी जा रही है इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि हो सकता है कि जिला प्रशासन के कुछ अधिकारी व कर्मचारी मिलीभगत करके किसानों की जमीन मनमाने तरीके से अपने नाम करना चाहते हैं शायद यही कारण होगा कि कंपनी ने एलडीए को जमीन अधिग्रहण करने के लिए नहीं चुना किसानों का आरोप है कि गांव के पास में ही शहीद पथ के लिए जमीन अधिकृत की गई सरकार ने मोटी रकम किसानों को उपलब्ध कराएं वहीं कंपनी किसानों को मुआवजा नहीं देना चाहती है लिहाजा कंपनी इस तरीका का खेल करके किसानों की जमीन कम दरों पर हथियाना चाहती है।


इस बारे में जब एसडीएम सरोजनी नगर से बातचीत की गई तो उन्होंने स्वीकारा कि बड़े पैमाने पर कल्ली पश्चिम ग्राम पंचायत में किसानों की जमीन कंपनी के नाम ट्रांसफर होने की शिकायतें मिली है। एसडीएम ने इस पूरे प्रकरण की जांच कराने की बात भी कही है। अब देखना यह है कि जांच अपने नतीजे पर पहुंच पाती है कि नहीं हालांकि फिलहाल एसडीएम ने कैंप लगाकर किसानों की जमीन ट्रांसफर होने से जुड़ी समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया है। इस पूरे प्रकरण पर एलडीए ने अपना पडला झाड़ा है एलडीए सचिव का कहना है एलडीए कंपनी के लिए भूमि अधिग्रहण का काम नहीं कर रहा है

इस प्रकरण को लेकर जब लखनऊ डीएम कौशल राज शर्मा से बात की गई तो उन्होंने घटना की जांच कराने की बात कही है कि आखिर यह हुआ कैसे।


Conclusion:संवाददाता
प्रशांत मिश्रा
90 2639 25 26
Last Updated : Jul 4, 2019, 6:17 PM IST
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