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Amendment in Transfers of Doctors : तबादलों में संशोधन की आड़ में पदभार ग्रहण नहीं कर रहे डॉक्टर, खामियाजा भुगत रहे मरीज - प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग

स्वास्थ्य विभाग में किए गए डाॅक्टरों के तबादलों में संशोधन (Amendment in Transfers of Doctors) की लेटलतीफी मरीजों पर भारी पड़ रही है. आलम यह है कि कई जिला अस्पतालों में डाॅक्टरों की कमी बनी हुई और वहां पहुंचने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराना पड़ रहा है.

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Published : Jan 30, 2023, 11:07 AM IST

लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग में बीते जून में भारी संख्या में नीति विरुद्ध होने वाले तबादलों में संशोधन का दौर जारी है. 25 जनवरी को भी 51 डॉक्टरों की सूची जारी हुई है, लेकिन संशोधन जल्द न होने से विभागीय और अस्पताल कार्य प्रभावित हो रहे हैं. बिजनौर से स्थानान्तरित डॉ. कुमुद रानी को छह माह बाद भी ड्यूटी नहीं मिली है, क्योंकि बहराइच में पद ही नहीं है. बिजनौर जिले में कार्यरत डॉ. कुमुद रानी का स्थानान्तरण बहराइच में जिला महिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पद पर हुआ था. जबकि बहराइच में जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज बन चुका हैं. इसकी वजह से पद न होने की वजह से कुमुद रानी को तैनाती नहीं मिली है. इसी प्रकार तमाम डॉक्टर हैं, संशोधन की प्रत्याशा में घर बैठे हैं.

प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग (पीएमएस) संघ के पदाधिकारी, दिव्यांग व अतिगंभीर बीमारी से ग्रस्त और दांपत्य नीति के अंतर्गत आने वाले डॉक्टर आज भी इंतजार कर रहे हैं. पीएमएस के सचिव डॉ. अमित सिंह ने बताया कि संघ ने नीति विरुद्ध होने वाले लगभग 450 डॉक्टरों के नाम की सूची शासन को दी थी. उनमें से पहली सूची में करीब सवा सौ और बुधवार को जारी दूसरी सूची में 91 डॉक्टरों को शामिल किया गया है. शासकीय अधिकारियों को संशोधन की परिधि में आने वाले तबादलों को जल्दी से संशोधित किया जाना चाहिए, ताकि विभाग व मरीजों को उनकी सेवाएं मिल सके.

डॉक्टरों की मांग लंबित : नीति विरुद्ध तबादलों में पीएमएस संघ के पदाधिकारियों की संख्या 20, दिव्यांग व बीमारी ग्रस्त डॉक्टरों की संख्या 48, दांपत्य नीति में 70 डॉक्टर, दो साल के अंदर रिटायर होने वाले 35 डॉक्टर हैं. इनके अलावा डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) सीट की मान्यता बचाने में जरूरी करीब डेढ़ दर्जन डॉक्टरों की डिमांड शासन में लंबित है.

लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग में बीते जून में भारी संख्या में नीति विरुद्ध होने वाले तबादलों में संशोधन का दौर जारी है. 25 जनवरी को भी 51 डॉक्टरों की सूची जारी हुई है, लेकिन संशोधन जल्द न होने से विभागीय और अस्पताल कार्य प्रभावित हो रहे हैं. बिजनौर से स्थानान्तरित डॉ. कुमुद रानी को छह माह बाद भी ड्यूटी नहीं मिली है, क्योंकि बहराइच में पद ही नहीं है. बिजनौर जिले में कार्यरत डॉ. कुमुद रानी का स्थानान्तरण बहराइच में जिला महिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पद पर हुआ था. जबकि बहराइच में जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज बन चुका हैं. इसकी वजह से पद न होने की वजह से कुमुद रानी को तैनाती नहीं मिली है. इसी प्रकार तमाम डॉक्टर हैं, संशोधन की प्रत्याशा में घर बैठे हैं.

प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग (पीएमएस) संघ के पदाधिकारी, दिव्यांग व अतिगंभीर बीमारी से ग्रस्त और दांपत्य नीति के अंतर्गत आने वाले डॉक्टर आज भी इंतजार कर रहे हैं. पीएमएस के सचिव डॉ. अमित सिंह ने बताया कि संघ ने नीति विरुद्ध होने वाले लगभग 450 डॉक्टरों के नाम की सूची शासन को दी थी. उनमें से पहली सूची में करीब सवा सौ और बुधवार को जारी दूसरी सूची में 91 डॉक्टरों को शामिल किया गया है. शासकीय अधिकारियों को संशोधन की परिधि में आने वाले तबादलों को जल्दी से संशोधित किया जाना चाहिए, ताकि विभाग व मरीजों को उनकी सेवाएं मिल सके.

डॉक्टरों की मांग लंबित : नीति विरुद्ध तबादलों में पीएमएस संघ के पदाधिकारियों की संख्या 20, दिव्यांग व बीमारी ग्रस्त डॉक्टरों की संख्या 48, दांपत्य नीति में 70 डॉक्टर, दो साल के अंदर रिटायर होने वाले 35 डॉक्टर हैं. इनके अलावा डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) सीट की मान्यता बचाने में जरूरी करीब डेढ़ दर्जन डॉक्टरों की डिमांड शासन में लंबित है.

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