लखनऊ: परास्नातक और पीएचडी की तरह स्नातक में भी संबंधित विषय में लखनऊ विश्वविद्यालय ने अब प्रैक्टिकल में ट्रेनिंग कराने पर जोर दिया है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय और उससे संबंधित कॉलेजों के विद्यार्थियों को अब परास्नातक और पीएचडी की तरह स्नातक में भी कुछ समय के लिए संबंधित विषय में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग करनी पड़ेगी. छात्र अगर किसी भाषा के विषय की पढ़ाई कर रहे हैं तो उनको किसी पब्लिकेशन हाउस में ट्रेनिंग करनी होगी. इसी तरह से जो भी विषय स्नातक में पढ़ रहे होंगे, उनका प्रशिक्षण तय समय के लिए जरूरी हो जाएगा. वहीं प्रशिक्षण होने के बाद ही डिग्री मिल सकेगी.
नई शिक्षा नीति के तहत किया जा रहा बदलाव
लखनऊ विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है. इसके तहत स्नातक में की गई पढ़ाई को लेकर 1 से 3 महीने की ट्रेनिंग करवाई जाएगी, जो कि विद्यार्थियों को अलग-अलग संस्थान में करनी होगी. इसके जरिए उन लोगों को जरूरी जानकारियां मिल सकेंगी, ताकि बाद में उनके लिए रोजगार पाना आसान हो सके.
विषय संबंधित क्षेत्रों में करनी होगी ट्रेनिंग
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने बताया कि अभी तक प्रोफेशनल कोर्स में इंटर्नशिप होती है. इसमें किसी संस्थान में विद्यार्थी एक से 3 महीने की ट्रेनिंग लेता है. इसके जरिए वह क्षेत्र की मूलभूत जानकारियों को प्राप्त कर पाता है. इसी तरह से स्नातक, परास्नातक और पीएचडी में भी ट्रेनिंग करवाई जाएगी. इतिहास और एएसआई भाषा से जुड़े विद्यार्थियों को किसी प्रकाशन केंद्र और अन्य विषयों को इसी हिसाब से अलग-अलग जगह ट्रेनिंग करनी पड़ेगी.