लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कौशल विकास मिशन के तहत युवाओं रोजगारपरक प्रशिक्षण दिया जाता है. इस प्रशिक्षण का कार्य विभाग के द्वारा कार्य आवंटन के बाद प्रशिक्षण सहयोगी या ट्रेनिंग पार्टनर (टीपी) करते हैं. प्रदेश में 910 ट्रेनिंग पार्टनर लाखों युवाओं को प्रशिक्षण देने का काम करते हैं. विभाग की ओर से इन्हें अलग-अलग सेक्टर्स के अनुसार तय धनराशि के अनुसार प्रति प्रशिक्षु भुगतान किया जाता है. नियमित प्रशिक्षणदाताओं के अतिरिक्त कुछ फ्लेक्सी ट्रेनिंग पार्टनर भी होते हैं, जो बड़े स्तर पर कई जिलों में काम कर सकते हैं. वर्तमान वित्तीय वर्ष में फ्लेक्सी ट्रेनिंग पार्टनर के साथ हुआ अनुबंध पहले तो मिशन ने तोड़ दिया और जब विरोध हुआ तो जुलाई में नियम फिर बदला गया. हालांकि नए बदलाव के साथ प्रशिक्षणदाताओं को अब तक भुगतान नहीं हो पाया है. विभाग की इस लेटलतीफी से प्रशिक्षणदाता परेशान हैं.
उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन की वेबसाइट के अनुसार प्रदेश में 910 ट्रेनिंग पार्टनर 8669 प्रशिक्षण केंद्रों पर 39 सेक्टर्स में 383618 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. अब तक 1052255 अभ्यर्थी पंजीकृत किए जा चुके हैं और 647992 अभ्यर्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. वित्तीय वर्ष 2023-34 में फ्लेक्सी ट्रेनिंग पार्टनर के साथ मिशन के अनुबंध में कहा गया था कि उन्हें प्रशिक्षण लागत की तीस प्रतिशत धनराशि अग्रिम धनराशि के रूप में दी जाएगी. हालांकि इसे अचानक बदल दिया गया. जब प्रशिक्षणदाताओं में इससे प्रशिक्षण प्रभावित होने की बात कही और तत्कालीन मिशन निदेशक आंद्रा वामसी और तत्कालीन प्रमुख सचिव सुमंगला एमके सुंदरम से मिलकर लिखित शिकायत की, तो उपरोक्त नीति में दोबारा बदलाव की कवायद आरंभ हुई. 24 जुलाई को हुई बैठक में इस पर निर्णय भी हो गया. नए निर्णय के अनुसार फ्लेक्सी पार्टनर्स को 25 प्रतिशत एडवांस धनराशि देने का निर्णय किया गया.
इस निर्णय के बाद जब प्रशिक्षणदाताओं ने मिशन कार्यालय से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि मिशन के पोर्टल में एडवांस अप्लाई करने के लिए प्रावधान करने होंगे. इसमें 10-15 दिन का समय लगेगा. हालांकि यह कहते-कहते तीन माह बीतने वाले हैं और भुगतान नहीं हो पा रहा है. एक प्रशिक्षणदाता ने बताया कि उन्होंने जिन जिलों में टार्गेट लिया है, पैसों के अभाव में उनमें से कुछ में काम शुरू नहीं हो सका है. अब जिला प्रशासन रोज कार्रवाई की चेतावनी दे रहा है. वह कहते हैं कि गलती और विलंब तो मिशन की ओर से हो रहा है, लेकिन इसका खामियाजा फ्लेक्सी प्रशिक्षण दाताओं को भुगतना पड़ रहा है. अभी यह भी पता नहीं है कि भुगतान में और कितना समय लगेगा. मिशन से बार-बार एनआईसी की ओर से सॉफ्टवेयर अपडेट करने में विलंब को कारण बताया जा रहा है.
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