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बलरामपुर अस्पताल के मुख्य गेट पर ताला, अब तक दो मरीजों की मौत - लखनऊ ताजा खबर

बलरामपुर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने हफ्ते भर में दो मरीजों की जान ले ली. मरीजों के वाहन अस्पताल इमरजेंसी में पहुंचते-पहुंचते आधे से एक घंटा लग रहा है. ऐसे में गंभीर मरीजों की जान जा रही मगर अफसरों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. अस्पताल ने इमरजेंसी के सामने मुख्य द्वार बंद करा रखा है.

बलरामपुर अस्पताल के गेट बंद
बलरामपुर अस्पताल के गेट बंद
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Published : Sep 7, 2021, 9:32 AM IST

लखनऊ: बलरामपुर अस्पताल प्रशासन की मनमानी मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है. अफसरों ने मरीजों के वाहनों को रोकने के लिए अस्पताल के सारे गेट बंद कर दिए. इमरजेंसी तक में ताला लटक रहा है. सिर्फ आने-जाने का छोटा से रास्ता खोल रखा है. गंभीर अवस्था में एम्बुलेंस से आने वाले मरीजों को 25 से 30 मिनट बाद अस्पताल में प्रवेश मिल पा रहा है. अफसरों की अनदेखी ने सोमवार को एक मरीज की जान ले ली. अब तक दो मरीजों की इलाज के अभाव में सांसें थम चुकी हैं.

बलरामपुर अस्पताल में 756 बेड हैं. 40 बेड इमरजेंसी में हैं. अभी तक मरीजों को सीधे इमरजेंसी तक एम्बुलेंस लेकर जा रहे थे. ओपीडी मरीज भी वाहन भीतर लाकर खड़ा कर देते थे. अस्पताल का मुख्य गेट 24 घंटे खुला रहता था. अफसरों ने मुख्य गेट पर ताला जड़वा दिया. इरमजेंसी के निकट गेट पर भी ताला लगवा दिया है. यहां से सिर्फ मरीजों के पैदल आने का रास्ता खोला गया है. सुपर स्पेशियालिटी ब्लॉक के पास का गेट खुलवाया गया है. यहां एम्बुलेंस, डॉक्टर व कर्मचारियों के आने-जाने के लिए खोला जाता है. पर, दोपहर में अक्सर यहां जाम रहता है. निजी गाड़ी से पहुंचने वालों के लिए गेट खोलने में कर्मचारी आनाकानी करते हैं. कचहरी व डफरिन अस्पताल की तरफ का गेट भी बंद करा दिया गया है.

ऐसे में एम्बुलेंस से आने वाले मरीजों की जान खतरे में पड़ गई है. सीतापुर अटरिया निवासी राम विलास (54) को सांस की दिक्कत थी. उनका इलाज निजी अस्पताल में चल रहा था. अचानक सोमवार को मरीज की तबीयत बिगड़ी. बेटा राम पिता राम विलास को लेकर बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचा. निजी वाहन से वह अस्पताल के मुख्य गेट पर दोपहर करीब 12 बजे पहुंचा. गेट पर ताला लटक रहा था. काफी देर गेट खुलवाने की कोशिश की लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

इसे भी पढ़ें-बच्चों की हेराफेरी का आरोप लगाते हुए परिजनों ने काटा हंगामा

परिजन गाड़ी लेकर थोड़ा आगे बढ़े तो जाम में फंस गए. काफी देर तक वहां पर फंसे रहने बाद तीमारदारों ने गाड़ी वापस घुमा ली. इसी बीच मरीज की सांसें कार में उखड़ गई. तीमारदार मरीज को ट्रॉमा ले गए. वहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इससे पहले पहली सितम्बर को ठाकुरगंज कैंपवल रोड निवासी नगमा (16) को उल्टी-दस्त की शिकातय हुई थी. परिवारीजन गंभीर अवस्था में उसे ई-रिक्शा से लेकर पहुंचे थे. मुख्य गेट पर ताला लटक रहा था. गार्डों ने कचहरी मार्ग से घुमकर आने को कहा. परिजन ई-रिक्शे से जैसे आगे बढ़े तो वह जाम में फंस गया. रिक्शा जाम में फंस गया. मरीज की मौत हो गई.

लखनऊ: बलरामपुर अस्पताल प्रशासन की मनमानी मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है. अफसरों ने मरीजों के वाहनों को रोकने के लिए अस्पताल के सारे गेट बंद कर दिए. इमरजेंसी तक में ताला लटक रहा है. सिर्फ आने-जाने का छोटा से रास्ता खोल रखा है. गंभीर अवस्था में एम्बुलेंस से आने वाले मरीजों को 25 से 30 मिनट बाद अस्पताल में प्रवेश मिल पा रहा है. अफसरों की अनदेखी ने सोमवार को एक मरीज की जान ले ली. अब तक दो मरीजों की इलाज के अभाव में सांसें थम चुकी हैं.

बलरामपुर अस्पताल में 756 बेड हैं. 40 बेड इमरजेंसी में हैं. अभी तक मरीजों को सीधे इमरजेंसी तक एम्बुलेंस लेकर जा रहे थे. ओपीडी मरीज भी वाहन भीतर लाकर खड़ा कर देते थे. अस्पताल का मुख्य गेट 24 घंटे खुला रहता था. अफसरों ने मुख्य गेट पर ताला जड़वा दिया. इरमजेंसी के निकट गेट पर भी ताला लगवा दिया है. यहां से सिर्फ मरीजों के पैदल आने का रास्ता खोला गया है. सुपर स्पेशियालिटी ब्लॉक के पास का गेट खुलवाया गया है. यहां एम्बुलेंस, डॉक्टर व कर्मचारियों के आने-जाने के लिए खोला जाता है. पर, दोपहर में अक्सर यहां जाम रहता है. निजी गाड़ी से पहुंचने वालों के लिए गेट खोलने में कर्मचारी आनाकानी करते हैं. कचहरी व डफरिन अस्पताल की तरफ का गेट भी बंद करा दिया गया है.

ऐसे में एम्बुलेंस से आने वाले मरीजों की जान खतरे में पड़ गई है. सीतापुर अटरिया निवासी राम विलास (54) को सांस की दिक्कत थी. उनका इलाज निजी अस्पताल में चल रहा था. अचानक सोमवार को मरीज की तबीयत बिगड़ी. बेटा राम पिता राम विलास को लेकर बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचा. निजी वाहन से वह अस्पताल के मुख्य गेट पर दोपहर करीब 12 बजे पहुंचा. गेट पर ताला लटक रहा था. काफी देर गेट खुलवाने की कोशिश की लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

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परिजन गाड़ी लेकर थोड़ा आगे बढ़े तो जाम में फंस गए. काफी देर तक वहां पर फंसे रहने बाद तीमारदारों ने गाड़ी वापस घुमा ली. इसी बीच मरीज की सांसें कार में उखड़ गई. तीमारदार मरीज को ट्रॉमा ले गए. वहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इससे पहले पहली सितम्बर को ठाकुरगंज कैंपवल रोड निवासी नगमा (16) को उल्टी-दस्त की शिकातय हुई थी. परिवारीजन गंभीर अवस्था में उसे ई-रिक्शा से लेकर पहुंचे थे. मुख्य गेट पर ताला लटक रहा था. गार्डों ने कचहरी मार्ग से घुमकर आने को कहा. परिजन ई-रिक्शे से जैसे आगे बढ़े तो वह जाम में फंस गया. रिक्शा जाम में फंस गया. मरीज की मौत हो गई.

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