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लोकसभा चुनाव : चौथे चरण में इन सीटों पर रहेगी खास नजर, कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

चौथे चरण में यूपी की 13 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. इन सीटों पर कई राजनीतिक दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इसमें झांसी, कन्नौज, उन्नाव और कानपुर जैसी सीटें भी शामिल हैं. देखिए यह खास रिपोर्ट

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Published : Apr 26, 2019, 11:02 PM IST

चौथे चरण में इन सीटों पर रहेगी खास नजर.

लखनऊ : लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे चरण का मतदान हो चुका है. चौथे चरण में यूपी की 13 लोकसभा सीटों को लेकर सियासी गलियारे में चुनावी समीकरण पर चर्चा शुरू हो गई है. पिछले चुनाव में बीजेपी को इन 13 सीटों में से 12 सीटों पर जीत मिली थी.

बीजेपी के सामने पिछली जीत को दोहराने की चुनौती

चौथे चरण में इन सीटों पर रहेगी खास नजर.
  • साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा- बसपा अलग-अलग चुनाव लड़े थे. कांग्रेस की स्थिति यूपी में साफ नहीं थी. इस बार भाजपा के सामने गठबंधन और कांग्रेस अलग-अलग लड़ रहे हैं.
  • चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि अगर कांग्रेस ने अच्छी लड़ाई लड़ी तो भाजपा को लाभ मिल सकता है.

इन सीटों पर रहेगी खास नजर :

इटावा लोकसभा सीट

  • चौथे चरण में कई दिग्गज चुनाव मैदान में हैं, जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. सत्ताधारी दल भाजपा के आगरा से निवर्तमान सांसद प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया इस बार सपा के गढ़ इटावा से चुनाव लड़ रहे हैं. इटावा इनका गृह जनपद है. हालांकि, पिछली बार लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर अशोक दोहरे ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. इस बार अशोक दोहरे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. समाजवादी पार्टी ने जातीय समीकरण साधने के लिए यहां से कमलेश कठेरिया को चुनाव मैदान में उतारा है.
  • इटावा लोकसभा सीट की खास बात यह है कि दो निवर्तमान सांसद चुनाव मैदान में हैं. निवर्तमान सांसद अशोक दोहरे के कांग्रेस से चुनाव लड़ने की वजह से इटावा में त्रिकोणीय लड़ाई हो गई है.

कन्नौज लोकसभा सीट

  • समाजवादी पार्टी की निवर्तमान सांसद डिंपल यादव की सीट पर घमासान साफ दिख रहा है. कन्नौज लोकसभा सीट पर पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुब्रत पाठक और डिंपल यादव में कड़ी टक्कर हुई थी. डिंपल यादव हारते-हारते बची थीं, लेकिन इस बार भी डिंपल यादव को भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक कड़ी टक्कर दे रहे हैं. कांग्रेस ने इस सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा है, इसलिए भाजपा और गठबंधन में आमने सामने की लड़ाई हो रही है. ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराना सुब्रत पाठक के लिए इतना आसान नहीं है.

कानपुर लोकसभा सीट

  • कानपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं में शुमार डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी चुनाव लड़े थे. डॉक्टर जोशी को जीत मिली थी, लेकिन इस बार वह चुनाव मैदान में नहीं हैं. भाजपा ने इस बार योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी को टिकट दिया है. पचौरी इससे पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन इस बार समीकरण दूसरा लिख रहा है. पहले जब भी चुनाव लड़े तो भारतीय जनता पार्टी के ही नेताओं ने उन्हें हराने में महती भूमिका अदा की थी मगर इस पर परिस्थितियां पहले से अलग है.
  • कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व मंत्री और पार्टी के कद्दावर नेता श्रीप्रकाश जायसवाल पर एक बार फिर भरोसा जताया है. श्रीप्रकाश जायसवाल की कानपुर में अच्छी पकड़ मानी जा रही है. सपा-बसपा गठबंधन ने राम कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस में आमने-सामने की लड़ाई दिख रही है.

उन्नाव लोकसभा सीट

  • चौथे चरण की सबसे चर्चित सीटों में से उन्नाव सीट भी है. दरअसल, यहां से बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले भाजपा प्रत्याशी और निवर्तमान सांसद साक्षी महाराज चुनाव लड़ रहे हैं. साक्षी महाराज अपने बयानों को लेकर तो जाने जाते ही हैं. साथ ही चौथे चरण के सबसे अधिक आपराधिक रिकॉर्ड वाले प्रत्याशी के रूप में भी हैं. भाजपा ने 2014 के बाद एक बार फिर साक्षी महाराज पर भरोसा जताया है.
  • साक्षी महाराज लोधी बिरादरी से आते हैं. उन्नाव सीट पर लोधी समाज का करीब तीन लाख से अधिक वोट बताया जा रहा है. साक्षी महाराज को बीच में यह लगने लगा था कि भाजपा उनका टिकट काट सकती है तो उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी को पत्र लिखकर यह चेतावनी दी थी कि अगर उनका टिकट कटा तो भाजपा का उन्नाव में नुकसान होना तय है. भाजपा ने उन पर विश्वास जताया या उनकी धमकियों से डर गयी पर टिकट एक बार फिर उन्हें ही दिया. उन्नाव सीट से 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर संसद पहुंचने वाली अनु टंडन एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया है. वह भाजपा के निवर्तमान सांसद को कड़ी टक्कर भी दे रही हैं.

झांसी लोकसभा सीट
झांसी संसदीय सीट से पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी की कद्दावर नेता उमा भारती चुनाव लड़ीं थी. मोदी कैबिनेट में उन्हें शामिल किया गया. गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर एक अलग से मोदी सरकार ने मंत्रालय का गठन किया, जिसका दायित्व उमा भारती को सौंपा गया. गंगा मिनिस्ट्री उनके पास होने के बावजूद वह गंगा को साफ न कर सकी. हां यह जरूर रहा कि बीच-बीच में वह सार्वजनिक मंचों से यह कहती रहीं कि अगर गंगा साफ नहीं हुई तो नदी में छलांग लगा लेंगी. शायद यही वजह रही कि पार्टी ने उनका टिकट काट दिया. भाजपा ने अब उद्योगपति आयुर्वेद की वैद्यनाथ कंपनी के मालिक अनुराग शर्मा को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा है.

इन सीटों पर 29 अप्रैल को होगा मतदान
शाहजहांपुर (सुरक्षित), खीरी, हरदोई, मिश्रिख (सुरक्षित), उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा(सुरक्षित),कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, जालौन (सुरक्षित), झांसी और हमीरपुर संसदीय सीटों पर 29 अप्रैल को चुनाव होना है.

लखनऊ : लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे चरण का मतदान हो चुका है. चौथे चरण में यूपी की 13 लोकसभा सीटों को लेकर सियासी गलियारे में चुनावी समीकरण पर चर्चा शुरू हो गई है. पिछले चुनाव में बीजेपी को इन 13 सीटों में से 12 सीटों पर जीत मिली थी.

बीजेपी के सामने पिछली जीत को दोहराने की चुनौती

चौथे चरण में इन सीटों पर रहेगी खास नजर.
  • साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा- बसपा अलग-अलग चुनाव लड़े थे. कांग्रेस की स्थिति यूपी में साफ नहीं थी. इस बार भाजपा के सामने गठबंधन और कांग्रेस अलग-अलग लड़ रहे हैं.
  • चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि अगर कांग्रेस ने अच्छी लड़ाई लड़ी तो भाजपा को लाभ मिल सकता है.

इन सीटों पर रहेगी खास नजर :

इटावा लोकसभा सीट

  • चौथे चरण में कई दिग्गज चुनाव मैदान में हैं, जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. सत्ताधारी दल भाजपा के आगरा से निवर्तमान सांसद प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया इस बार सपा के गढ़ इटावा से चुनाव लड़ रहे हैं. इटावा इनका गृह जनपद है. हालांकि, पिछली बार लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर अशोक दोहरे ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. इस बार अशोक दोहरे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. समाजवादी पार्टी ने जातीय समीकरण साधने के लिए यहां से कमलेश कठेरिया को चुनाव मैदान में उतारा है.
  • इटावा लोकसभा सीट की खास बात यह है कि दो निवर्तमान सांसद चुनाव मैदान में हैं. निवर्तमान सांसद अशोक दोहरे के कांग्रेस से चुनाव लड़ने की वजह से इटावा में त्रिकोणीय लड़ाई हो गई है.

कन्नौज लोकसभा सीट

  • समाजवादी पार्टी की निवर्तमान सांसद डिंपल यादव की सीट पर घमासान साफ दिख रहा है. कन्नौज लोकसभा सीट पर पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुब्रत पाठक और डिंपल यादव में कड़ी टक्कर हुई थी. डिंपल यादव हारते-हारते बची थीं, लेकिन इस बार भी डिंपल यादव को भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक कड़ी टक्कर दे रहे हैं. कांग्रेस ने इस सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा है, इसलिए भाजपा और गठबंधन में आमने सामने की लड़ाई हो रही है. ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराना सुब्रत पाठक के लिए इतना आसान नहीं है.

कानपुर लोकसभा सीट

  • कानपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं में शुमार डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी चुनाव लड़े थे. डॉक्टर जोशी को जीत मिली थी, लेकिन इस बार वह चुनाव मैदान में नहीं हैं. भाजपा ने इस बार योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी को टिकट दिया है. पचौरी इससे पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन इस बार समीकरण दूसरा लिख रहा है. पहले जब भी चुनाव लड़े तो भारतीय जनता पार्टी के ही नेताओं ने उन्हें हराने में महती भूमिका अदा की थी मगर इस पर परिस्थितियां पहले से अलग है.
  • कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व मंत्री और पार्टी के कद्दावर नेता श्रीप्रकाश जायसवाल पर एक बार फिर भरोसा जताया है. श्रीप्रकाश जायसवाल की कानपुर में अच्छी पकड़ मानी जा रही है. सपा-बसपा गठबंधन ने राम कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस में आमने-सामने की लड़ाई दिख रही है.

उन्नाव लोकसभा सीट

  • चौथे चरण की सबसे चर्चित सीटों में से उन्नाव सीट भी है. दरअसल, यहां से बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले भाजपा प्रत्याशी और निवर्तमान सांसद साक्षी महाराज चुनाव लड़ रहे हैं. साक्षी महाराज अपने बयानों को लेकर तो जाने जाते ही हैं. साथ ही चौथे चरण के सबसे अधिक आपराधिक रिकॉर्ड वाले प्रत्याशी के रूप में भी हैं. भाजपा ने 2014 के बाद एक बार फिर साक्षी महाराज पर भरोसा जताया है.
  • साक्षी महाराज लोधी बिरादरी से आते हैं. उन्नाव सीट पर लोधी समाज का करीब तीन लाख से अधिक वोट बताया जा रहा है. साक्षी महाराज को बीच में यह लगने लगा था कि भाजपा उनका टिकट काट सकती है तो उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी को पत्र लिखकर यह चेतावनी दी थी कि अगर उनका टिकट कटा तो भाजपा का उन्नाव में नुकसान होना तय है. भाजपा ने उन पर विश्वास जताया या उनकी धमकियों से डर गयी पर टिकट एक बार फिर उन्हें ही दिया. उन्नाव सीट से 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर संसद पहुंचने वाली अनु टंडन एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया है. वह भाजपा के निवर्तमान सांसद को कड़ी टक्कर भी दे रही हैं.

झांसी लोकसभा सीट
झांसी संसदीय सीट से पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी की कद्दावर नेता उमा भारती चुनाव लड़ीं थी. मोदी कैबिनेट में उन्हें शामिल किया गया. गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर एक अलग से मोदी सरकार ने मंत्रालय का गठन किया, जिसका दायित्व उमा भारती को सौंपा गया. गंगा मिनिस्ट्री उनके पास होने के बावजूद वह गंगा को साफ न कर सकी. हां यह जरूर रहा कि बीच-बीच में वह सार्वजनिक मंचों से यह कहती रहीं कि अगर गंगा साफ नहीं हुई तो नदी में छलांग लगा लेंगी. शायद यही वजह रही कि पार्टी ने उनका टिकट काट दिया. भाजपा ने अब उद्योगपति आयुर्वेद की वैद्यनाथ कंपनी के मालिक अनुराग शर्मा को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा है.

इन सीटों पर 29 अप्रैल को होगा मतदान
शाहजहांपुर (सुरक्षित), खीरी, हरदोई, मिश्रिख (सुरक्षित), उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा(सुरक्षित),कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, जालौन (सुरक्षित), झांसी और हमीरपुर संसदीय सीटों पर 29 अप्रैल को चुनाव होना है.

Intro:लखनऊ। तीसरे चरण का मतदान हो चुका है। चौथे चरण में यूपी की 13 लोकसभा सीटों को लेकर सियासी गलियारे में चुनावी समीकरण पर चर्चा शुरू हो गयी है। पिछले चुनाव में बीजेपी को इन 13 सीटों में से 12 सीटों पर जीत मिली थी। कन्नौज लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव जीतीं थी। 2014 में सपा, बसपा अलग चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस की स्थिति यूपी में साफ नहीं थी। इस बार भाजपा के सामने गठबंधन और काँग्रेस अलग-अलग लड़ रहे हैं। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि अगर कांग्रेस ने अच्छी लड़ाई लड़ी तो भाजपा को लाभ मिल सकता है।


Body:चौथे चरण में कई दिग्गज चुनाव मैदान में हैं जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सत्ताधारी दल भाजपा के आगरा से निवर्तमान सांसद प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया इस बार सपा के गढ़ इटावा से चुनाव लड़ रहे हैं। इटावा इनका गृह जनपद है। हालांकि पिछली बार लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इटावा लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। पिछली बार इस सीट से बीजेपी के टिकट पर अशोक दोहरे चुनाव जीते थे। इस बार अशोक दोहरे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। समाजवादी पार्टी ने जातीय समीकरण साधने के लिए यहां से कमलेश कठेरिया को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट की खास बात यह है कि दो निवर्तमान सांसद चुनाव मैदान में हैं। निवर्तमान सांसद अशोक दोहरे के कांग्रेस से चुनाव लड़ने की वजह से इटावा में त्रिकोणीय लड़ाई हो गई है। समाजवादी पार्टी की निवर्तमान सांसद डिंपल यादव की सीट पर घमासान साफ दिख रहा है। कन्नौज लोकसभा सीट पर पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुब्रत पाठक और डिंपल यादव में कड़ी टक्कर हुई थी। डिंपल यादव हारते हारते बची थीं। लेकिन इस बार भी भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक डिंपल यादव को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा है। इसलिए भजपा और गठबंधन में आमने सामने की लड़ाई हो रही है। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराना सुब्रत पाठक के लिए इतना आसान नहीं है। कानपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं में शुमार डॉ मुरली मनोहर जोशी चुनाव लड़े थे डॉक्टर जोशी को जीत मिली थी। लेकिन इस बार वह चुनाव मैदान में नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी को टिकट दिया है। पचौरी इससे पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन इस बार समीकरण दूसरा लिख रहा है। पहले जब भी आ चुनाव लड़े तो भारतीय जनता पार्टी के ही नेताओं ने उन्हें हराने में महती भूमिका अदा की लेकिन मौजूदा समय में भाजपा नेतृत्व कठोर निर्णय लेने के लिए जाना जाता है। ऐसे में पार्टी के नेता भितरघात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे। कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व मंत्री व पार्टी के कद्दावर नेता श्रीप्रकाश जायसवाल पर एक बार फिर भरोसा जताया है। श्रीप्रकाश जायसवाल की कानपुर में अच्छी पकड़ मानी जा रही है सपा बसपा गठबंधन ने राम कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस में आमने सामने की लड़ाई दिख रही है। चौथे चरण की सबसे चर्चित सीटों में से उन्नाव सीट भी है। दरअसल यहां से बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने नेता भाजपा के प्रत्याशी और निवर्तमान सांसद साक्षी महाराज चुनाव लड़ रहे हैं। साक्षी महाराज अपने बयानों को लेकर तो जाने जाते ही हैं साथ ही चौथे चरण के सबसे अधिक आपराधिक रिकॉर्ड वाले प्रत्याशी के रूप में भी हैं। भाजपा ने 2014 के बाद एक बार फिर साक्षी महाराज पर भरोसा जताया है। साक्षी महाराज लोधी बिरादरी से आते हैं। उन्नाव सीट पर लोधी समाज का करीब तीन लाख से अधिक वोट बताया जा रहा है। साक्षी महाराज को बीच में यह लगने लगा था कि भाजपा उनका टिकट काट सकती है। तो उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी को पत्र लिखकर यह चेतावनी दी थी कि अगर उनका टिकट कटा तो भाजपा का उन्नाव में बेड़ा गर्क तय है। भाजपा उन पर विश्वास जताया या उनकी धमकियों से डर गयी। पर टिकट एक बार फिर दिया। उन्नाव सीट से 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर संसद पहुंचने वाली अनु टंडन एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया है। वह भाजपा के निवर्तमान सांसद को कड़ी टक्कर भी दे रही हैं। झांसी संसदीय सीट से पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी की कद्दावर नेता उमा भारती चुनाव लड़ीं थी। मोदी कैबिनेट में उन्हें शामिल किया गया। गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर एक अलग से मोदी सरकार ने मंत्रालय का गठन किया। उसका दायित्व उमा भारती को सौंपा गया। गंगा मिनिस्ट्री उनके पास होने के बावजूद वह गंगा को साफ न कर सकी। हां यह जरूर रहा कि बीच-बीच में वह सार्वजनिक मंचों से यह कहती रहीं कि अगर गंगा साफ नहीं हुई तो नदी में छलांग लगा जाएंगी। शायद यही वजह रही कि पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। भाजपा ने अब उद्योगपति आयुर्वेद की वैद्यनाथ कंपनी के मालिक अनुराग शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। इन सीटों पर 29 अप्रैल को होगा मतदान शाहजहांपुर (सुरक्षित), खीरी,हरदोई, मिश्रिख (सुरक्षित), उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा(सुरक्षित),कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, जालौन (सुरक्षित), झांसी और हमीरपुर संसदीय सीटों पर चुनाव होना है। बाईट-यूपी कांग्रेस प्रवक्ता बृजेन्द्र सिंह बाईट-यूपी बीजेपी के प्रवक्ता हीरो बाजपेयी


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