ETV Bharat / state

आम के लिए मशहूर मलिहाबाद बना अब इन पौधों का गढ़, 'मांग ज्यादा, आपूर्ति कम'

लखनऊ के मलिहाबाद का आम की पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान है. वहीं अब आम के अलावा यहां के नर्सरियों में फूलों और औषधीय पौधों के शौकीन भी पहुंचने लगे हैं. हालांकि कुछ पौधों की मांग इतनी ज्यादा है कि ग्राहकों को काफी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

मलिहाबाद में बढ़ी इन पौधों की मांग.
मलिहाबाद में बढ़ी इन पौधों की मांग.
author img

By

Published : Jan 11, 2021, 1:06 PM IST

लखनऊ : राजधानी के मलिहाबाद का दशहरी आम पूरी दुनिया में अपने स्वाद के लिए जाना जाता है. हालांकि अब वह दिन दूर नहीं, जब लोगों के घरों की शोभा बढ़ाने में भी लोग मलिहाबाद को याद करेंगे. मलिहाबाद अब फूलों के शौकीनों का गढ़ बनता जा रहा है. यहां की नर्सरियों में धार्मिक दृष्टिकोण के साथ ही औषधि और किचेन गार्डेनिंग के पौधे आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं. लेकिन कुछ ऐसे पौधे भी हैं जिनकी मांग बहुत ज्यादे है और ग्राहकों को इनके लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

मलिहाबाद बना अब इन पौधों का गढ़.

नहीं मिल रहा शमी का पौधा
मलिहाबाद की नर्सरियों से पौधे ले जाकर लखनऊ में बेचने वाले व्यापारी पंकज शर्मा ने बताया कि इस समय राजधानी में शमी के पौधे की बहुत डिमांड है. शमी का पौधा पूजा में अधिक प्रयोग किया जाता है. इसके लिए हमने एडवांस पैसा दे रखा है. इसके बावजूद शमी की उपलब्धता नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि शमी के पौधे स्टॉक तुरंत खत्म हो जाता है. इस समय औषधि और गार्डेनिंग पौधों की भी डिमांड बढ़ गई हैं.

औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड.
औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड.

मांग की अपेक्षा आपूर्ति कम
मलिहाबाद के जय मां भगवती नर्सरी संचालक रमेश यादव ने बताया कि शमी वृक्ष लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है. भगवान शिव की पूजा के लिए इसकी पत्ती, फूल और लकड़ी अर्पण करने का विशेष महत्व है. यह पेड़ कलकत्ता और पुणे से मंगाया जाता है, लेकिन शमी के पौधे की ज्यादा मांग है. हम इसके अनुरूप स्टॉक नहीं रख पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि लखनऊ के व्यापारियों का एडवांस में पैसा जमा है, फिर भी उन तक हम पौधे नहीं पहुंचा पा रहे हैं.

मांग की अपेक्षा नहीं हो पा रही आपूर्ति.
मांग की अपेक्षा नहीं हो पा रही आपूर्ति.

औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड
बदलते परिवेश में लोगों का रुझान फूलों की तरफ बहुत बढ़ रहा है. विपरीत मौसम में बीमारियों और तरह-तरह के फैले संक्रमण से बचाव के लिए शहरवासी अपने घर के आस-पास औषधीय पौधों को ज्यादा से ज्यादा लगाना चाहते हैं. इस कारण नर्सरियों में औषधीय पौधों की डिमांड बढ़ने से पौधे समय से नहीं मिल पा रहे हैं. अवधेश यादव ने बताया कि नर्सरी में इस समय अश्वगंधा, एलोवेरा, स्टीरिया, पीपल, बरगद, नीम जैसे पौधों की भी मांग बढ़ गई है. हम समय से इनकी पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं.

औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड.
औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड.

घरों की सुंदरता के लिए भी पौधों की डिमांड
हरा भरा वातावरण प्रत्येक मनुष्य को अपनी तरफ आकर्षित करता है. इसी क्रम में लोग अपने मन की शान्ति के लिए अपने किचेन गार्डेनिंग में तरह-तरह के फूल वाले पौधे लगाकर अपने गार्डन को महका रहे हैं. इस कारण किचन गार्डेनिंग वाले पौधों की डिमांड अधिक हो गई है. नर्सरी मालिक भी इन पौधों की पूर्ति समय पर नहीं कर पा रहे हैं. ठंढ़ के मौसम में लगने वाले सीजनल पौधे, जैसे मैरीगोल्ड, डहेलिया डैंठस, कॉलेंडुला, पिटूनिया आदि पौधे पुणे और थाईलैंड से मंगाए जाते हैं. इनकी भी डिमांड इतनी है कि स्टॉक मेन्टेन नहीं रख पा रहे हैं.

लखनऊ : राजधानी के मलिहाबाद का दशहरी आम पूरी दुनिया में अपने स्वाद के लिए जाना जाता है. हालांकि अब वह दिन दूर नहीं, जब लोगों के घरों की शोभा बढ़ाने में भी लोग मलिहाबाद को याद करेंगे. मलिहाबाद अब फूलों के शौकीनों का गढ़ बनता जा रहा है. यहां की नर्सरियों में धार्मिक दृष्टिकोण के साथ ही औषधि और किचेन गार्डेनिंग के पौधे आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं. लेकिन कुछ ऐसे पौधे भी हैं जिनकी मांग बहुत ज्यादे है और ग्राहकों को इनके लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

मलिहाबाद बना अब इन पौधों का गढ़.

नहीं मिल रहा शमी का पौधा
मलिहाबाद की नर्सरियों से पौधे ले जाकर लखनऊ में बेचने वाले व्यापारी पंकज शर्मा ने बताया कि इस समय राजधानी में शमी के पौधे की बहुत डिमांड है. शमी का पौधा पूजा में अधिक प्रयोग किया जाता है. इसके लिए हमने एडवांस पैसा दे रखा है. इसके बावजूद शमी की उपलब्धता नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि शमी के पौधे स्टॉक तुरंत खत्म हो जाता है. इस समय औषधि और गार्डेनिंग पौधों की भी डिमांड बढ़ गई हैं.

औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड.
औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड.

मांग की अपेक्षा आपूर्ति कम
मलिहाबाद के जय मां भगवती नर्सरी संचालक रमेश यादव ने बताया कि शमी वृक्ष लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है. भगवान शिव की पूजा के लिए इसकी पत्ती, फूल और लकड़ी अर्पण करने का विशेष महत्व है. यह पेड़ कलकत्ता और पुणे से मंगाया जाता है, लेकिन शमी के पौधे की ज्यादा मांग है. हम इसके अनुरूप स्टॉक नहीं रख पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि लखनऊ के व्यापारियों का एडवांस में पैसा जमा है, फिर भी उन तक हम पौधे नहीं पहुंचा पा रहे हैं.

मांग की अपेक्षा नहीं हो पा रही आपूर्ति.
मांग की अपेक्षा नहीं हो पा रही आपूर्ति.

औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड
बदलते परिवेश में लोगों का रुझान फूलों की तरफ बहुत बढ़ रहा है. विपरीत मौसम में बीमारियों और तरह-तरह के फैले संक्रमण से बचाव के लिए शहरवासी अपने घर के आस-पास औषधीय पौधों को ज्यादा से ज्यादा लगाना चाहते हैं. इस कारण नर्सरियों में औषधीय पौधों की डिमांड बढ़ने से पौधे समय से नहीं मिल पा रहे हैं. अवधेश यादव ने बताया कि नर्सरी में इस समय अश्वगंधा, एलोवेरा, स्टीरिया, पीपल, बरगद, नीम जैसे पौधों की भी मांग बढ़ गई है. हम समय से इनकी पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं.

औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड.
औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड.

घरों की सुंदरता के लिए भी पौधों की डिमांड
हरा भरा वातावरण प्रत्येक मनुष्य को अपनी तरफ आकर्षित करता है. इसी क्रम में लोग अपने मन की शान्ति के लिए अपने किचेन गार्डेनिंग में तरह-तरह के फूल वाले पौधे लगाकर अपने गार्डन को महका रहे हैं. इस कारण किचन गार्डेनिंग वाले पौधों की डिमांड अधिक हो गई है. नर्सरी मालिक भी इन पौधों की पूर्ति समय पर नहीं कर पा रहे हैं. ठंढ़ के मौसम में लगने वाले सीजनल पौधे, जैसे मैरीगोल्ड, डहेलिया डैंठस, कॉलेंडुला, पिटूनिया आदि पौधे पुणे और थाईलैंड से मंगाए जाते हैं. इनकी भी डिमांड इतनी है कि स्टॉक मेन्टेन नहीं रख पा रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.