ETV Bharat / state

लखनऊ: चौथे चरण की 13 सीटों पर होगा दिलचस्प चुनावी घमासान

यूपी में चौथे चरण की 13 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होना है. कभी सपा का गढ़ माने जाने वाले इन सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी को खासा नुकसान का सामना करना पड़ा था. वहीं सपा यादव परिवार की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज सीट ही बचा पाई थीं और बाकी 12 लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा ने जीत दर्ज की थी.

author img

By

Published : Apr 15, 2019, 6:18 PM IST

Updated : Apr 15, 2019, 11:14 PM IST

etv bharat

लखनऊ : यूपी में चुनावी घमासान चरम पर है. चौथे चरण की 13 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होना है. इस क्षेत्र को कभी सपा का गढ़ माना जाता रहा है. लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में उसका गढ़ ध्वस्त हो गया था. यादव परिवार की बहू व पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज सीट ही बच पाईं. बाकी 12 लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. साथ ही 2017 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने ज्यादातर सीटें जीत लीं. अब सबकी नजर है कि क्या सपा अपने गढ़ में गठबंधन के सहारे वापसी कर पाएगी या फिर उसके लिए यह डगर अभी भी चुनौतीपूर्ण ही साबित होगी. वहीं चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के लिए इस बार पहले जैसा माहौल नहीं है, लेकिन उसके मजबूत संगठन की वजह से गठबंधन के लिए भी राह आसान नहीं दिख रही है.

चौथे चरण में होने वाले 13 सीटों के मतदान पर सबकी नजरें टिकी हैं.
चौथे चरण में 13 सीटों पर होंगे चुनाव
  • चौथे चरण की 13 सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने वाला है.
  • इन सीटों में शाहजहांपुर, खीरी, हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, जालौन, झांसी और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र शामिल हैं.
  • पिछले लोकसभा चुनाव में कन्नौज छोड़कर बाकी सभी सीटों पर भाजपा जीती थी.
  • 2017 के विधानसभा चुनाव में विपक्षियों की हालत बिगड़ी ही रही.
  • इन 13 संसदीय क्षेत्रों में कुल 66 विधानसभा सीटें हैं.
  • भाजपा का 60 सीटों पर कमल खिला था.
  • शाहजहांपुर, कन्नौज और हरदोई में एक-एक सीट पर सपा को जीत मिली.
  • वहीं कानपुर की पांच विधानसभा सीटों में से दो भाजपा, दो सपा और एक कांग्रेस के खाते में गई.
  • बाकी सभी सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की.



इस बार कन्नौज भी हम जीतेंगे. जिस प्रकार से बयार बही है, उससे साफ जाहिर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. पांच सालों तक प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश का जो विकास हुआ है, उसे जनता देख रही है. उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में सपाइयों ने कन्नौज में धांधली करके सीट जीत ली थी, लेकिन इस बार वह कन्नौज की सीट भी हारने जा रहे हैं. गठबंधन के बावजूद भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाएगी.

शलभमणि त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा


इस बार हर फेज में चुनाव चुनौतीपूर्ण होंगे. यह किसी एक दल के लिए नहीं है. भाजपा, गठबंधन और कांग्रेस, सबके लिए चुनौतीपूर्ण होंगे. खासकर इन क्षेत्रों में भाजपा को गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है. 2014 वाली स्थिति नहीं दिख रही है. गठबंधन की गणित में पिछड़ा, दलित और मुस्लिम मतदाताओं का गठजोड़ विपक्ष को परेशान कर रहा है. ऐसे में गठबंधन हर सीट पर भारी पड़ रहा है, लेकिन भाजपा का संगठन बेहद मजबूत है. 2017 के विधानसभा चुनाव होने के बाद से वह लगातार बूथ स्तर पर अपना संगठन मजबूत कर रही है. बावजूद इसके अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता कि कौन जीतेगा या कौन हारेगा?

मनोज भद्रा, वरिष्ठ पत्रकार



शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

पिछले लोकसभा चुनाव में शाहजहांपुर संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी कृष्णा राज ने जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर यहां बसपा प्रत्याशी उमेद सिंह कश्यप रहे. भाजपा और बसपा प्रत्याशियों के बीच जीत का अंतर 235529 था. समाजवादी पार्टी इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही और कांग्रेस चौथे पर रही. इसी के साथ इस संसदीय सीट की छह विधानसभा सीटों की बात करें तो एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. भारतीय जनता पार्टी पांच सीटों पर जीती थी.


खीरी लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

गत लोकसभा चुनाव में ही खीरी संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने 110274 मतों से जीत दर्ज की थी. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने दूसरा स्थान हासिल किया था. तीसरे स्थान पर कांग्रेस रही, जबकि चौथे स्थान पर समाजवादी पार्टी. खीरी लोकसभा क्षेत्र में 64.18 प्रतिशत मत पड़े थे. पिछली विधानसभा चुनाव की बात करें तो खीरी संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी.


हरदोई लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में यह परिणाम रहा

हरदोई संसदीय सीट पर पिछले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के अंशुल वर्मा को जीत मिली थी. अंशुल वर्मा को 360501 वोट मिले थे. जबकि बहुजन समाज पार्टी के शिव प्रसाद वर्मा को दो लाख 79 हजार 158 मत प्राप्त हुए थे. तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी की ऊषा वर्मा रहीं और कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर खड़ी हुई. कांग्रेस की हालत किसी पर बहुत खराब रही. उसके प्रत्याशी को यहां महज 23298 वोट मिले, जो कुल वोट का 2.39 प्रतिशत था. भारतीय जनता पार्टी के लिए हरदोई जीतना चुनौतीपूर्ण होगा. पिछली बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत करने वाले अंशुल वर्मा का पार्टी ने टिकट काट दिया. टिकट कटने से वह नाराज होकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो हरदोई की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत की थी और पांचवी सदर की सीट पर नितिन अग्रवाल जीते थे. नितिन अग्रवाल नरेश अग्रवाल के बेटे हैं. नरेश अग्रवाल भाजपा में शामिल हो चुके हैं.

मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में यह परिणाम रहा

मिश्रिख लोकसभा सीट पर पिछली बार भारतीय जनता पार्टी ने जी दज की थी. भाजपा प्रत्यासी अंजू बाला को यहां 412575 मत मिले थे. पार्टी ने इस बार अंजू बाला का टिकट काट दिया है. मिश्रिख में दोहरे स्थान पर बसपा रही, तीसरे पर समाजवादी पार्टी तो चौथे पर कांग्रेस. 2017 के विधानसभा चुनाव में मिश्रिख संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. भाजपा इस सीट पर अपना जीत का रिकार्ड कायम रख सके, इसके लिए उसे काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.

उन्नाव लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में यह परिणाम रहा

पिछले लोकसभा चुनाव में उन्नाव संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी. भाजपा प्रत्याशी साक्षी महाराज ने समाजवादी पार्टी के अरुण शंकर शुक्ला को हराया था. वहीं बसपा के बृजेश पाठक तीसरे नंबर पर रहे तो चौथे नंबर पर कांग्रेस की अन्नू टंडन रही. 2014 से पहले इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी को 1998 में जीत मिली थी. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्नाव संसदीय सीट क्षेत्र की सभी छह विधानसभा सीटों पर कमल खिला था. इस सीट पर इस बार कुछ खास बदलाव नहीं दिख रहा है.

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में यह परिणाम रहा

फर्रुखाबाद संसदीय सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के मुकेश राजपूत को जीत मिली थी. इससे पहले इस सीट पर बीजेपी को 1998 में सफलता हासिल हुई थी. 2014 में भाजपा पहले स्थान पर, दूसरे पर सपा के रामेश्वर सिंह यादव, तीसरे पर बसपा तो चौथे स्थान पर कांग्रेस रही. फर्रुखाबाद की 5 विधानसभा सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी.


इटावा लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

समाजवादी पार्टी के गढ़ इटावा संसदीय सीट पर 1999 के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की. दूसरे स्थान पर यहां सपा के प्रेमदास कटारिया थे. तीसरे स्थान पर बसपा तो चौथे पर कांग्रेस रही. 2017 के विधानसभा चुनाव में इटावा संसदीय क्षेत्र में चौकाने वाले परिणाम रहे. भारतीय जनता पार्टी ने इटावा की सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की. तीन सीटों पर सपा और दो पर बसपा दूसरे स्थान पर रही.

कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

मुलायम सिंह यादव 1999 का संसदीय चुनाव कन्नौज सीट से लड़े. उन्हें यहां से जीत मिली. एक साल बाद 2000 में यहां उपचुनाव हुआ और उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को लड़ाया, वह भी जीते. इसके बाद 2004 और 2009 का चुनाव भी अखिलेश जीते. 2012 में अखिलेश यूपी के सीएम बने तो उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल यादव को उतार दिया. 2014 में मोदी लहर में भी उन्होंने जीत दर्ज की, हालांकि जीत के लिए सपाइयों के पसीने छूट गए थे. इस बार डिम्पल यादव फिर चुनाव मैदान में हैं. 2017 कि विधानसभा चुनाव में सपा यहां कुछ खास नहीं कर सकी. कन्नौज की 5 सीटों में से चार बीजेपी के पास चली गई और एक समाजवादी पार्टी के पास.

कानपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

कानपुर संसदीय सीट से पिछली बार लोकसभा चुनाव में भाजपा के शीर्ष नेताओं में शुमार डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को हराया था. इस बार श्रीप्रकाश जायसवाल मैदान में हैं, लेकिन डॉ. मुरली मनोहर जोशी के स्थान पर योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी को उतारा गया है. पचौरी 2004 में भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उस वक्त वह श्रीप्रकाश जायसवाल को मात न दे सके थे. 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी बहुत अच्छा नहीं कर सकी थी. कानपुर की पांच सीटों में से दो पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी तो दो सपा के खाते में और एक कांग्रेसी के खाते में गई थी.

अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा सीट पर पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की थी. यहां बसपा के अनिल शुक्ला वारसी दूसरे स्थान पर थे. तीसरे पर समाजवादी पार्टी और चौथे पर कांग्रेस रही. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अकबरपुर संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की.


जालौन लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

भारतीय जनता पार्टी की लहर का असर पिछले लोकसभा चुनाव में जालौन संसदीय सीट पर भी देखने को मिला. जालौन संसदीय सीट तीन जिलों जालौन, झांसी और कानपुर देहात के हिस्से से मिलकर बनी है. भाजपा के भानु प्रताप सिंह वर्मा ने बृजलाल को हराया था. सपा के घनश्याम अनुरागी तीसरे स्थान पर रहे तो चौथे पर कांग्रेस रही. जालौन संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों में सभी पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी.

झांसी लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

बुंदेलखंड के झांसी संसदीय सीट पर भाजपा की कद्दावर नेता उमा भारती ने पिछली बार कांग्रेस के प्रदीप जैन आदित्य को हराया था. बीजेपी को 2014 में यह जीत 1998 के लोकसभा चुनाव के बाद मिली थी. इस बार यहां उमा भारती चुनाव नहीं लड़ रही हैं. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भजपा की साफ-साफ लहर दिखी. झांसी संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की. जबकि तीन सीटों पर सपा और दो पर बसपा दूसरे स्थान पर रही.

हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

हमीरपुर बांदा और महोबा जिले के हिस्सों को मिलाकर बने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर दूसरे स्थान पर सपा, तीसरे पर बसपा और चौथे पर कांग्रेस रही. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की में पांच विधानसभा सीटें हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की. यहां की तीन सीटों पर समाजवादी पार्टी दूसरे स्थान पर रही एक पर कांग्रेस और एक पर बसपा रही.


लखनऊ : यूपी में चुनावी घमासान चरम पर है. चौथे चरण की 13 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होना है. इस क्षेत्र को कभी सपा का गढ़ माना जाता रहा है. लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में उसका गढ़ ध्वस्त हो गया था. यादव परिवार की बहू व पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज सीट ही बच पाईं. बाकी 12 लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. साथ ही 2017 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने ज्यादातर सीटें जीत लीं. अब सबकी नजर है कि क्या सपा अपने गढ़ में गठबंधन के सहारे वापसी कर पाएगी या फिर उसके लिए यह डगर अभी भी चुनौतीपूर्ण ही साबित होगी. वहीं चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के लिए इस बार पहले जैसा माहौल नहीं है, लेकिन उसके मजबूत संगठन की वजह से गठबंधन के लिए भी राह आसान नहीं दिख रही है.

चौथे चरण में होने वाले 13 सीटों के मतदान पर सबकी नजरें टिकी हैं.
चौथे चरण में 13 सीटों पर होंगे चुनाव
  • चौथे चरण की 13 सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने वाला है.
  • इन सीटों में शाहजहांपुर, खीरी, हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, जालौन, झांसी और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र शामिल हैं.
  • पिछले लोकसभा चुनाव में कन्नौज छोड़कर बाकी सभी सीटों पर भाजपा जीती थी.
  • 2017 के विधानसभा चुनाव में विपक्षियों की हालत बिगड़ी ही रही.
  • इन 13 संसदीय क्षेत्रों में कुल 66 विधानसभा सीटें हैं.
  • भाजपा का 60 सीटों पर कमल खिला था.
  • शाहजहांपुर, कन्नौज और हरदोई में एक-एक सीट पर सपा को जीत मिली.
  • वहीं कानपुर की पांच विधानसभा सीटों में से दो भाजपा, दो सपा और एक कांग्रेस के खाते में गई.
  • बाकी सभी सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की.



इस बार कन्नौज भी हम जीतेंगे. जिस प्रकार से बयार बही है, उससे साफ जाहिर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. पांच सालों तक प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश का जो विकास हुआ है, उसे जनता देख रही है. उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में सपाइयों ने कन्नौज में धांधली करके सीट जीत ली थी, लेकिन इस बार वह कन्नौज की सीट भी हारने जा रहे हैं. गठबंधन के बावजूद भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाएगी.

शलभमणि त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा


इस बार हर फेज में चुनाव चुनौतीपूर्ण होंगे. यह किसी एक दल के लिए नहीं है. भाजपा, गठबंधन और कांग्रेस, सबके लिए चुनौतीपूर्ण होंगे. खासकर इन क्षेत्रों में भाजपा को गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है. 2014 वाली स्थिति नहीं दिख रही है. गठबंधन की गणित में पिछड़ा, दलित और मुस्लिम मतदाताओं का गठजोड़ विपक्ष को परेशान कर रहा है. ऐसे में गठबंधन हर सीट पर भारी पड़ रहा है, लेकिन भाजपा का संगठन बेहद मजबूत है. 2017 के विधानसभा चुनाव होने के बाद से वह लगातार बूथ स्तर पर अपना संगठन मजबूत कर रही है. बावजूद इसके अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता कि कौन जीतेगा या कौन हारेगा?

मनोज भद्रा, वरिष्ठ पत्रकार



शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

पिछले लोकसभा चुनाव में शाहजहांपुर संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी कृष्णा राज ने जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर यहां बसपा प्रत्याशी उमेद सिंह कश्यप रहे. भाजपा और बसपा प्रत्याशियों के बीच जीत का अंतर 235529 था. समाजवादी पार्टी इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही और कांग्रेस चौथे पर रही. इसी के साथ इस संसदीय सीट की छह विधानसभा सीटों की बात करें तो एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. भारतीय जनता पार्टी पांच सीटों पर जीती थी.


खीरी लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

गत लोकसभा चुनाव में ही खीरी संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने 110274 मतों से जीत दर्ज की थी. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने दूसरा स्थान हासिल किया था. तीसरे स्थान पर कांग्रेस रही, जबकि चौथे स्थान पर समाजवादी पार्टी. खीरी लोकसभा क्षेत्र में 64.18 प्रतिशत मत पड़े थे. पिछली विधानसभा चुनाव की बात करें तो खीरी संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी.


हरदोई लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में यह परिणाम रहा

हरदोई संसदीय सीट पर पिछले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के अंशुल वर्मा को जीत मिली थी. अंशुल वर्मा को 360501 वोट मिले थे. जबकि बहुजन समाज पार्टी के शिव प्रसाद वर्मा को दो लाख 79 हजार 158 मत प्राप्त हुए थे. तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी की ऊषा वर्मा रहीं और कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर खड़ी हुई. कांग्रेस की हालत किसी पर बहुत खराब रही. उसके प्रत्याशी को यहां महज 23298 वोट मिले, जो कुल वोट का 2.39 प्रतिशत था. भारतीय जनता पार्टी के लिए हरदोई जीतना चुनौतीपूर्ण होगा. पिछली बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत करने वाले अंशुल वर्मा का पार्टी ने टिकट काट दिया. टिकट कटने से वह नाराज होकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो हरदोई की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत की थी और पांचवी सदर की सीट पर नितिन अग्रवाल जीते थे. नितिन अग्रवाल नरेश अग्रवाल के बेटे हैं. नरेश अग्रवाल भाजपा में शामिल हो चुके हैं.

मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में यह परिणाम रहा

मिश्रिख लोकसभा सीट पर पिछली बार भारतीय जनता पार्टी ने जी दज की थी. भाजपा प्रत्यासी अंजू बाला को यहां 412575 मत मिले थे. पार्टी ने इस बार अंजू बाला का टिकट काट दिया है. मिश्रिख में दोहरे स्थान पर बसपा रही, तीसरे पर समाजवादी पार्टी तो चौथे पर कांग्रेस. 2017 के विधानसभा चुनाव में मिश्रिख संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. भाजपा इस सीट पर अपना जीत का रिकार्ड कायम रख सके, इसके लिए उसे काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.

उन्नाव लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में यह परिणाम रहा

पिछले लोकसभा चुनाव में उन्नाव संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी. भाजपा प्रत्याशी साक्षी महाराज ने समाजवादी पार्टी के अरुण शंकर शुक्ला को हराया था. वहीं बसपा के बृजेश पाठक तीसरे नंबर पर रहे तो चौथे नंबर पर कांग्रेस की अन्नू टंडन रही. 2014 से पहले इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी को 1998 में जीत मिली थी. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्नाव संसदीय सीट क्षेत्र की सभी छह विधानसभा सीटों पर कमल खिला था. इस सीट पर इस बार कुछ खास बदलाव नहीं दिख रहा है.

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में यह परिणाम रहा

फर्रुखाबाद संसदीय सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के मुकेश राजपूत को जीत मिली थी. इससे पहले इस सीट पर बीजेपी को 1998 में सफलता हासिल हुई थी. 2014 में भाजपा पहले स्थान पर, दूसरे पर सपा के रामेश्वर सिंह यादव, तीसरे पर बसपा तो चौथे स्थान पर कांग्रेस रही. फर्रुखाबाद की 5 विधानसभा सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी.


इटावा लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

समाजवादी पार्टी के गढ़ इटावा संसदीय सीट पर 1999 के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की. दूसरे स्थान पर यहां सपा के प्रेमदास कटारिया थे. तीसरे स्थान पर बसपा तो चौथे पर कांग्रेस रही. 2017 के विधानसभा चुनाव में इटावा संसदीय क्षेत्र में चौकाने वाले परिणाम रहे. भारतीय जनता पार्टी ने इटावा की सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की. तीन सीटों पर सपा और दो पर बसपा दूसरे स्थान पर रही.

कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

मुलायम सिंह यादव 1999 का संसदीय चुनाव कन्नौज सीट से लड़े. उन्हें यहां से जीत मिली. एक साल बाद 2000 में यहां उपचुनाव हुआ और उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को लड़ाया, वह भी जीते. इसके बाद 2004 और 2009 का चुनाव भी अखिलेश जीते. 2012 में अखिलेश यूपी के सीएम बने तो उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल यादव को उतार दिया. 2014 में मोदी लहर में भी उन्होंने जीत दर्ज की, हालांकि जीत के लिए सपाइयों के पसीने छूट गए थे. इस बार डिम्पल यादव फिर चुनाव मैदान में हैं. 2017 कि विधानसभा चुनाव में सपा यहां कुछ खास नहीं कर सकी. कन्नौज की 5 सीटों में से चार बीजेपी के पास चली गई और एक समाजवादी पार्टी के पास.

कानपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

कानपुर संसदीय सीट से पिछली बार लोकसभा चुनाव में भाजपा के शीर्ष नेताओं में शुमार डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को हराया था. इस बार श्रीप्रकाश जायसवाल मैदान में हैं, लेकिन डॉ. मुरली मनोहर जोशी के स्थान पर योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी को उतारा गया है. पचौरी 2004 में भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उस वक्त वह श्रीप्रकाश जायसवाल को मात न दे सके थे. 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी बहुत अच्छा नहीं कर सकी थी. कानपुर की पांच सीटों में से दो पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी तो दो सपा के खाते में और एक कांग्रेसी के खाते में गई थी.

अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा सीट पर पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की थी. यहां बसपा के अनिल शुक्ला वारसी दूसरे स्थान पर थे. तीसरे पर समाजवादी पार्टी और चौथे पर कांग्रेस रही. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अकबरपुर संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की.


जालौन लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

भारतीय जनता पार्टी की लहर का असर पिछले लोकसभा चुनाव में जालौन संसदीय सीट पर भी देखने को मिला. जालौन संसदीय सीट तीन जिलों जालौन, झांसी और कानपुर देहात के हिस्से से मिलकर बनी है. भाजपा के भानु प्रताप सिंह वर्मा ने बृजलाल को हराया था. सपा के घनश्याम अनुरागी तीसरे स्थान पर रहे तो चौथे पर कांग्रेस रही. जालौन संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों में सभी पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी.

झांसी लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

बुंदेलखंड के झांसी संसदीय सीट पर भाजपा की कद्दावर नेता उमा भारती ने पिछली बार कांग्रेस के प्रदीप जैन आदित्य को हराया था. बीजेपी को 2014 में यह जीत 1998 के लोकसभा चुनाव के बाद मिली थी. इस बार यहां उमा भारती चुनाव नहीं लड़ रही हैं. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भजपा की साफ-साफ लहर दिखी. झांसी संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की. जबकि तीन सीटों पर सपा और दो पर बसपा दूसरे स्थान पर रही.

हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में रहा परिणाम

हमीरपुर बांदा और महोबा जिले के हिस्सों को मिलाकर बने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर दूसरे स्थान पर सपा, तीसरे पर बसपा और चौथे पर कांग्रेस रही. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की में पांच विधानसभा सीटें हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की. यहां की तीन सीटों पर समाजवादी पार्टी दूसरे स्थान पर रही एक पर कांग्रेस और एक पर बसपा रही.


Intro:लखनऊ। यूपी में चुनावी घमासान शुरू है। चौथे चरण की 13 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान हो होगा। इस क्षेत्र को कभी सपा का गढ़ माना जाता रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसका गढ़ ध्वस्त हो गया। सपा यादव यादव परिवार की बहू व पूर्व सीएम अखिलेश यादव की कन्नौज सीट ही बचा पाई। बाकी 12 लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा का विजय पताका फहरा गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने ज्यादातर सीटें जीत लीं। अब सबकी नजर है कि क्या सपा अपने गढ़ में गठबंधन के सहारे वापसी कर पायेगी। या फिर अभी भी उसके लिए यह डगर अभी भी उतना ही चुनौतीपूर्ण है। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के लिए इस बार पहले जैसा नहीं है लेकिन उसके मजबूत संगठन की वजह से गठबंधन के लिए भी राह आसान नहीं है।


Body:
तीसरे चरण में 13 सीटों पर होंगे चुनाव

चौथे चरण की 13 सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने वाला है। इन सीटों में शाहजहांपुर, खीरी, हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, जालौन, झांसी और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र शामिल हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कन्नौज छोड़कर बाकी सभी सीटों पर भाजपा जीती थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में विपक्षियों की हालत बिगड़ी ही रही। इन 13 संसदीय क्षेत्रों में कुल 66 विधानसभा सीटें हैं। भाजपा का 60 सीटों पर कमल खिला। शाहजहांपुर, कन्नौज और हरदोई में एक-एक सीट पर सपा को जीत मिली। वहीं कानपुर की पांच विधानसभा सीटों में से दो भाजपा, दो सपा और एक कांग्रेस के खाते में गयी। बाकी सभी सीटों पर भाजपा ने विजय पताका फहराई।

बाईट- भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी का दावा है कि इस बार कन्नौज भी हम जीतेंगे जिस प्रकार से बयार बही है उससे साफ जाहिर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के नाम की बयार चली थी। इस बार उनके काम की बयार चलेगी। पांच सालों तक प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश का जो विकास हुआ है, उसे जनता देख रही है। इस बार मोदी जी के काम के आधार पर जनता बीजेपी को वोट देगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपाइयों ने कन्नौज में धांधली करके सीट जीत ली थी लेकिन इस बार वह कन्नौज की सीट भी हारने जा रहे हैं। गठबंधन के बावजूद भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाएगी।

बाईट- वरिष्ठ पत्रकार मनोज भद्रा कहते हैं कि इस बार हर फेज में चुनाव चुनौतीपूर्ण होंगे। यह किसी एक दल के लिए नहीं है। भाजपा, गठबंधन और कांग्रेस, सबके लिए चुनौतीपूर्ण होंगे। खासकर इन क्षेत्रों में भाजपा को गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है। 2014 वाली स्थिति नहीं दिख रही है। गठबंधन की गणित में पिछड़ा, दलित और मुस्लिम मतदाताओं का गठजोड़ विपक्ष को परेशान कर रहा है। ऐसे में गठबंधन हर सीट पर भारी पड़ रहा है। लेकिन भाजपा का संगठन बेहद मजबूत है। 2017 के विधानसभा चुनाव होने के बाद से वह लगातार बूथ स्तर पर अपना संगठन मजबूत कर रही है। बावजूद इसके अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता कि कौन जीतेगा या कौन हारेगा।

शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

पिछले लोकसभा चुनाव में शाहजहांपुर संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी कृष्णा राज ने जीत दर्ज की थी। दूसरे नंबर पर यहां बसपा प्रत्याशी उमेद सिंह कश्यप रहे। भाजपा और बसपा प्रत्याशियों के बीच जीत का अंतर 235529 था। समाजवादी पार्टी इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही और कांग्रेस चौथे पर रही। इसी के साथ इस संसदीय सीट की छह विधानसभा सीटों की बात करें तो एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी। भारतीय जनता पार्टी पांच सीटों पर जीती थी।


खीरी लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में क्या परिणाम रहा

गट लोकसभा चुनाव में ही संसदीय क्षेत्र से खीरी संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने 110274 मतों से जीत दर्ज की थी। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने दूसरा स्थान हासिल किया था। तीसरे स्थान पर कांग्रेस रही। जबकि चौथे स्थान पर समाजवादी पार्टी। खीरी लोकसभा क्षेत्र में 64.18 प्रतिशत मत पड़े थे। पिछली विधानसभा चुनाव की बात करें तो खीरी संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। एक सीट पर कांग्रे दूसरे स्थान पर थी बाकी चार ज़ीरो पर समाजवादी पार्टी दूसरे स्थान पर रही है।

हरदोई लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में यह परिणाम रहा

हरदोई संसदीय सीट पर पिछले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के अंशुल वर्मा को जीत मिली थी। अंशुल वर्मा को 360501 वोट मिले थे। जबकि बहुजन समाज पार्टी के शिव प्रसाद वर्मा को दो लाख 79 हजार 158 मत प्राप्त हुए थे। तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी की ऊषा वर्मा रहीं और कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर खड़ी हुई। कांग्रेस की हालत किसी पर बहुत खराब रही। उसके प्रत्याशी को यहां महज 23298 वोट मिले। जो कुल वोट का 2.39 प्रतिशत था। भारतीय जनता पार्टी के लिए हरदोई जीतना चुनौतीपूर्ण होगा। पिछली बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत करने वाले अंशुल वर्मा का पार्टी ने टिकट कार्ड दिया।टिकट कटने से वह नाराज होकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं। वही 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो हरदोई की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत की थी और पांचवी सदर की सीट पर नितिन अग्रवाल जीते थे। नितिन अग्रवाल नरेश अग्रवाल के बेटे हैं। नरेश अग्रवाल भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

मिश्रित लोकसभा सीट पर पिछली बार भारतीय जनता पार्टी ने जी दज की थी भाजपा प्रत्यासी अंजू बाला को यहां 412575 मत मिले थे। पार्टी ने इस बार अंजू बाला का टिकट काट दिया है। मिश्रित में दोहरे स्थान पर बसपा रही तीसरे पर समाजवादी पार्टी तो चौथे पर कांग्रेस। 2017 के विधानसभा चुनाव में मिश्रिख संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। भाजपा इस सीट पर अपना जीत का रिकार्ड कायम रख सके, इसके लिए उसे काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।

लोकसभा लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

पिछले लोकसभा चुनाव में उन्नाव संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी। भाजपा प्रत्याशी साक्षी महाराज ने समाजवादी पार्टी के अरुण शंकर शुक्ला को हराया था। वहीं बसपा के बृजेश पाठक तीसरे नंबर पर रहे तो चौथे नंबर पर कांग्रेस की अन्नू टंडन रही। 2014 से पहले इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी को 1998 में जीत मिली थी। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्नाव संसदीय सीट क्षेत्र की सभी छह विधानसभा सीटों पर कमल खिला था। इस सीट पर इस बार कुछ खास बदलाव नहीं दिख रहा है।

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

फर्रुखाबाद संसदीय सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के मुकेश राजपूत को जीत मिली थी। इससे पहले इस सीट पर बीजेपी को 1998 में सफलता हासिल हुई थी। 2014 में भाजपा पहले स्थान पर, दूसरे पर सपा के रामेश्वर सिंह यादव, तीसरे पर बसपा तो चौथे स्थान पर कांग्रेस रही। फर्रुखाबाद की 5 विधानसभा सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। चार सीटों पर समाजवादी पार्टी दूसरे स्थान पर तो एक पर बहुजन समाज पार्टी दूसरे स्थान पर रही।

इटावा लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

समाजवादी पार्टी के गढ़ इटावा संसदीय सीट पर 1999 के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की। दूसरे स्थान पर यहां सपा के प्रेमदास कटारिया थे। तीसरे स्थान पर बसपा तो चौथे पर कांग्रेस रही। 2017 के विधानसभा चुनाव में इटावा संसदीय क्षेत्र की में चौकानेवाले परिणाम रहे भारतीय जनता पार्टी ने इटावा की सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की। तीन सीटों पर सपा और दो पर बसपा दूसरे स्थान पर रही।

कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

मुलायम सिंह यादव 1999 का संसदीय चुनाव कन्नौज सीट से लड़े। उन्हें यहां से जीत मिली। एक साल बाद 200 में यहां उपचुनाव हुआ और उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को लड़ाया। वह भी जीते। इसके बाद 2004 और 2009 का चुनाव भी अखिलेश जीते। 2012 में अखिलेश यूपी के सीएम बने तो उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल यादव को उतार दिया। 2014 में मोदी लहर में भी उन्होंने जीत दर्ज की। हालांकि जीत के लिए सपाइयों के पसीने छूट गए थे। इस बार डिम्पल यादव फिर चुनाव मैदान में हैं। 2017 कि विधानसभा चुनाव में सपा यहां कुछ खास नहीं कर सकी। कन्नौज की 5 सीटों में से चार बीजेपी के पास चली गई और एक समाजवादी पार्टी के पास।

कानपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

प्रदेश की उद्योग नगरी कानपुर संसदीय सीट से पिछली बार लोकसभा चुनाव में भाजपा के शीर्ष नेताओं में शुमार डॉ मुरली मनोहर जोशी ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को हराया था। इस बार श्रीप्रकाश जायसवाल मैदान में हैं लेकिन बीजेपी की तरफ से डॉ मुरली मनोहर जोशी के स्थान पर योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी को उतारा गया है। पचौरी 2004 में भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन उस वक्त वह श्रीप्रकाश जायसवाल को मात्र ना दे सके थे। देखना होगा कि इस बार पचौरी श्री प्रकाश जयसवाल को हराकर संसद पहुंच पाते हैं या नहीं। 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी बहुत अच्छा नहीं कर सकी थी। कानपुर की पांच सीटों में से दो पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी तो दो सपा के खाते में और एक कांग्रेसी के खाते में गई थी।

अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा सीट पर पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की थी। यहां बसपा के अनिल शुक्ला वारसी दूसरे स्थान पर थे। तीसरे पर समाजवादी पार्टी और चौथे पर कांग्रेस रही। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अकबरपुर संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की। सपा तीन सीटों पर और बसपा दो सीटों पर दूसरे स्थान पर रही।

जालौन लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

भारतीय जनता पार्टी का की लहर का असर पिछले लोकसभा चुनाव में जालौन संसदीय सीट पर भी देखने को मिला। जालौन संसदीय सीट तीन जिलों जालौन, झांसी और कानपुर देहात के हिस्से से मिलकर बनी है। भाजपा के भानु प्रताप सिंह वर्मा ने बृजलाल को हराया था। सपा के घनश्याम अनुरागी तीसरे स्थान पर रहे तो चौथे पर कांग्रेस रही। जालौन संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों में सभी पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी।

झांसी लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

बुंदेलखंड के झांसी संसदीय सीट पर भाजपा की कद्दावर नेता उमा भारती ने पिछली बार कांग्रेस के प्रदीप जैन आदित्य को हराया था। बीजेपी को 2014 में यह जीत 1998 के लोकसभा चुनाव के बाद मिली थी। इस बार यहां उमा भारती चुनाव नहीं लड़ रही हैं। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भजपा की साफ-साफ लहर दिखी। झांसी संसदीय क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। जबकि तीन सीटों पर सपा और दो पर बसपा दूसरे स्थान पर रही।

हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2017 में परिणाम रहा

हमीरपुर बांदा और महोबा जिले के हिस्सों को मिलाकर बने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर दूसरे स्थान पर सपा, तीसरे पर बसपा और चौथे पर कांग्रेस रही। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की में पांच विधानसभा सीटें हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की। यहां की तीन सीटों पर समाजवादी पार्टी दूसरे स्थान पर रही एक पर कांग्रेस और एक पर बसपा रही।


Conclusion:रिपोर्ट- दिलीप शुक्ला, 9450663213
Last Updated : Apr 15, 2019, 11:14 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.