लखनऊ: नवाबों की नगरी लखनऊ के सबसे पुराने और तकरीबन 200 साल से ज्यादा का इतिहास अपने में समेटे नक्खास बाजार भी लॉकडाउन में पूरी तरह से सन्नाटे में पसरा हुआ है. रमजान के महीने में नक्खास बाजार में चलने तक की जगह नहीं होती थी.
भीड़ को देखते हुए रमजान के महीने में बाजार बढ़कर सड़क तक आ जाया करती थी. प्रमुख सड़क को वाहनों के प्रवेश के लिए मजबूरन बंद करना पड़ता था, लेकिन कोविड-19 के कहर को देखते हुए देश में जारी लॉकडाउन के बीच रमजान महीने में यहां सन्नाटा देखा जा रहा है और व्यापारियों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.
नक्खास व्यापार मंडल के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि नक्खास बाजार में तकरीबन 400 बड़ी और 1,400 छोटी दुकानें मौजूद हैं, जिसमें रमजान के महीने में कुल मिलाकर पांच करोड़ का प्रतिदिन व्यापार हुआ करता था. पवित्र महीने रमजान में व्यापारियों का कारोबार साल के बाकी 11 महीनों के बराबर होता था, जो इस बार पूरी तरह से ठप पड़ा है और व्यापारी वर्ग नुकसान से जूझ रहा है.
हालांकि मोहम्मद शोएब कहते है कि अगर सरकार सोशल डिस्टेंसिंग के तहत दुकानों को खोलने की इजाजत देती है तो व्यापारी वर्ग के लिए यह राहत की बात होगी और उसका पालन भी किया जाएगा. नक्खास में होजरी की दुकान करने वाले मोहम्मद फाकिर का कहना है कि साल के बाकी जितने महीनों में बिक्री होती है, उतनी ही बिक्री रमजान के एक महीने में हो जाया करती थी, लेकिन कोरोना के कहर के चलते व्यपार ठप पड़ा है.
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नक्खास में कपड़ों का व्यापार करने वाले आरिफ भी कोरोना के कहर को देखते हुए लॉकडाउन से चिंतित हैं. हालांकि उनका कहना है कि पहले कोरोना के कहर पर अंकुश लग जाए, उसके बाद ही व्यापार चालू किया जाए, जिससे वायरस के संक्रमण का खतरा न रहे.